अमेरिका और वेनेजुएला की दुश्मनी गहरी होती जा रही है.
अमेरिका और वेनेजुएला के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में ड्रग्स की तस्करी करने वाले समूहों पर कार्रवाई के बहाने तीन युद्धपोत वेनेजुएला रवाना किए थे. वेनेजुएला इससे खफा था. अब तनाव बढ़ गया है. गुरुवार को वेनेजुएला के दो F-16 लड़ाकू विमानों ने अमेरिकी युद्धपोत के ऊपर उड़ान भरी.
ट्रंप प्रशासन ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति मादुरो पर अमेरिका में नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रग कार्टेल से मिले होने का आरोप लगाया था. इसके साथ ही अमेरिका ने मादुरो की गिरफ्तारी के लिए घोषित इनाम को दोगुना करके राशि को 5 करोड़ डॉलर किया गया.
अमेरिका भारत समेत दुनियाभर के उन देशों से खफा है जो रूस से तेल खरीद रहे हैं. ट्रंप का दावा है कि वो देश रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन में चल रही जंग को बढ़ावा दे रहे हैं. भले हीवेनेजुएला का रूस से कनेक्शन नहीं है, लेकिन यहां भी मुद्दा तेल का ही है.
वेनेजुएला की असली ‘दौलत’
तेल वेनेजुएला की असली ताकत है. इस देश के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार है. वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की रिपोर्ट कहती है, 303,008 मिलियन बैरल तेल के साथ इस मामले में वेनेजुएला टॉप पर है. तेल के निर्यात से होने वाली कमाई उसकी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देती है. एक समय पर देश को होने वाली कमाई में तेल की हिस्सेदारी 90 फीसदी तक थी. हालांकि, यहां प्राकृतिक गैस, सोना, बॉक्साइट और कोयला खदानें भी हैं जो वेनेजुएला सरकार की कमाई का जरिया हैं. लेकिन तेल से होने वाली कमाई के सामने इनका बहुत महत्व नहीं है.
वेनेजुएला इसके अलावा कॉफी, मकई, चावल और गन्ना जैसी फसलें सालों से कमाई करता है, लेकिन इनका भी देश की अर्थव्यवस्था में बहुत अधिक योगदान नहीं है क्योंकि यहां हमेशा से ही तेल पर जोर दिया गया. इसका एक्सपोर्ट बढ़ाने को प्राथमिकता दी. नतीजा, यह रहा है कि जब तेल की कीमतें गिरीं या राजनीतिक अस्थिरता आई तो सीधा झटका यहां की अर्थव्यवस्था को लगा. 2013 के बाद वेनेजुएला में महंगाई आसमान छूने लगीं. बेरोजगारी बढ़ती गई. खाने का संकट भी पैदा हुआ.
वेनेजुएला ने इससे सबक लिया और तेल पर निर्भरता को कम करता गया. यहां की सरकार ने कृषि और पर्यटन को बढ़ाने पर जोर देना शुरू किया. बदलाव हो रहा है लेकिन अभी भी तेल इस देश की रीढ़ बना हुआ है.

वेनेज़ुएला कॉफी की भी खेती करता है.
ट्रंप की नजर तेल पर क्यों?
अमेरिका कई बार वेनेजुएला में अपना प्रभाव स्थापित करने की कोशिश कर चुका है, लेकिन वो सफल नहीं हो पाया. वेनेजुएला के पूर्व राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज से लेकर वर्तमान राष्ट्रपति निकोलस मादुरो तक, किसी ने भी अमेरिका के सामने दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाया और अमेरिका की तानाशाही नीतियों के सामने नहीं झुके. ट्रंप के साथ ही ऐसा भी हुआ. यही वजह है कि अमेरिका वहां अपना हस्तक्षेप बढ़ाने की कोशिश करता रहा है, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप.

ट्रंप वेनेजुएला के तेल पर प्रतिबंध लगा चुके हैं.
ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान भी वेनेजुएला पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे. ट्रंप जानते हैं कि तेल वेनेजुएला की रीढ़ है, इसलिए राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर दबाव बनाने की कोशिश करते हुए तेल पर बैन लगा दिया था. मादुरो उनके दबाव में नहीं आए तो ट्रंप ने वेनेजुएला पर कब्जा करने और सत्ता पलटने की धमकी तक दे डाली थी. इसके बाद भी वेनेजुएला उनके सामने नहीं झुका.
अब ट्रंप की नजरें वेनेजुएला पर टेढ़ी हैं. दोनों देशों की तरफ से होने वाली कार्रवाई तनाव को बढ़ाने का काम कर रही हैं.
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