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रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की UN में दो टूक, फिर दोहराई PM मोदी की बात- ये युग युद्ध का नहीं

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश.

भारत ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में कहा है कि वह रूस-यूक्रेन जंग को जल्द ही खत्म करने के लिए राजनयिक प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने कहा, ‘भारत यूक्रेन की स्थिति को लेकर चिंतित है. हमारा मानना है कि निर्दोष लोगों की जान नहीं जानी चाहिए. युद्ध के मैदान में इसका कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता.’

भारत ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि जंग खत्म करने के लिए बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है, चाहे यह रास्ता कितना भी कठिन क्यों न लगे. स्थायी शांति के लिए दोनों देशों की भागीदारी और प्रतिबद्धता अहम है. जंग का जल्द ही अंत होना सभी के हित में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है. भारत इसके लिए कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है.

भारत ने अलास्का समिट की तारीफ की

भारत इस दिशा में हाल के सकारात्मक घटनाक्रमों का स्वागत करता है. हमने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई समिट का समर्थन किया. हम अलास्का समिट में हुई प्रगति की सराहना करते हैं.

हम वाशिंगटन डीसी में यूक्रेनी राष्ट्रपति और यूरोपीय नेताओं के साथ ट्रंप के कूटनीतिक प्रयासों की भी सराहना करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलहाल की स्थिति को लेकर राष्ट्रपति पुतिन, राष्ट्रपति जेलेंस्की और यूरोपीय नेतृत्व के संपर्क में हैं.

तेल की कीमतों का मुद्दा उठाया

पार्वथानेनी हरीश ने आगे कहा कि ये सभी कूटनीतिक प्रयास जंग खत्म करने और स्थायी शांति की संभावनाएं खोलने में सक्षम हैं. हमें खेद है कि इस संघर्ष के दौरान दुनियाभर में ईंधन की कीमतें प्रभावित हो रही है, इससे विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देश ज्यादा प्रभावित हैं, जिन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया गया है.

हरीश ने कहा कि हमारे नजरिए से यह महत्वपूर्ण है कि उनकी आवाज सुनी जाए और चिंताओं का उचित समाधान किया जाए. यूक्रेन संघर्ष के प्रति भारत का नजरिया लोगों पर फोकस करता है. हम यूक्रेन को मानवीय सहायता और ग्लोबल साउथ में साझेदारों को आर्थिक सहायता दे रहे हैं. इनमें आर्थिक संकट से जूझ रहे हमारे कुछ पड़ोसी देश भी शामिल हैं.

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