दुनिया में कुछ चुनिंदा देशों ने ऐसा एजुकेशन सिस्टम विकसित किया है जिसे सबसे बेहतर माना जाता है.
Teachers Day 2025: शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति, मानव विकास और सामाजिक विकास का मूल आधार है. अलग-अलग देशों ने अपने सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य के अनुसार शिक्षा प्रणाली विकसित की है. आज दुनिया में कई ऐसे देश हैं जिनकी शिक्षा व्यवस्था को आदर्श माना जाता है. यहां की शिक्षा पद्धति अलग है.
शिक्षक दिवस के मौके पर आइए जानने की कोशिश करते हैं कि दुनिया के किन पांच देशों का एजुकेशन सिस्टम सबसे बेहतर है. यह भी जानेंगे कि अगर ये बेहतर हैं तो भला क्यों और कैसे? इन देशों को सबसे बेहतर किसने घोषित किया है?
वो रिपोर्ट जो बताती हैं, कहां का एजुकेशन सिस्टम बेस्ट
- ‘प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट’ हर तीन साल में होने वाला अंतरराष्ट्रीय आकलन है, जिसमें 15 वर्षीय छात्रों की पढ़ाई (गणित, विज्ञान और पढ़ने की क्षमता) का मूल्यांकन किया जाता है. इस रिपोर्ट में फ़िनलैंड, सिंगापुर, जापान और दक्षिण कोरिया लगातार टॉप देशों में आते हैं.
- वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की ग्लोबल कॉम्पिटीटिवनेस रिपोर्ट में शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट को प्रतिस्पर्धा सूचकांक का अहम हिस्सा माना जाता है. सिंगापुर और फ़िनलैंड यहाँ शिक्षा की गुणवत्ता और स्किल ट्रेनिंग में बेहतर स्थान पर रहते हैं.
- यूनेस्को & यूनिसेफ एजुकेशन रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक शिक्षा सूचकांकों में कनाडा को Quality and Inclusivity (गुणवत्ता व समावेशिता) के लिए अक्सर सराहा गया है.
- QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग / टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में उच्च शिक्षा और विश्वविद्यालय गुणवत्ता के लिए जापान, कनाडा और सिंगापुर को लगातार ऊंचा दर्जा मिलता आ रहा है.
- National Indicators and Literacy Rates के मुताबिक जापान और दक्षिण कोरिया लगभग 100% literacy वाले देशों में शामिल हैं. कनाडा और फ़िनलैंड जैसे देशों में शिक्षा निवेश और शिक्षक प्रशिक्षण पर वैश्विक शोध (Brookings, World Bank रिपोर्ट्स) में इन्हें उच्च रेटिंग मिली है.
दुनिया के टॉप-5 देश जितना एजुकेशन सिस्टम सबसे बेहतर
1- फ़िनलैंड: यहां शिक्षकों की ट्रेनिंग के लिए अलग से यूनिवर्सिटी
फ़िनलैंड कई दशकों से शिक्षा के क्षेत्र में एक मॉडल देश माना जाता है. यहां पाठ्यक्रम बच्चों की मानसिक क्षमता और रचनात्मकता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. बच्चों को रटने के बजाय सोचने, प्रश्न पूछने और समस्याओं का हल खोजने पर जोर दिया जाता है. फ़िनलैंड में शिक्षक बनने के लिए मास्टर डिग्री अनिवार्य है. इनकी ट्रेनिंग के लिए अलग से यूनिवर्सिटी है.
शिक्षक समाज में एक उच्च सम्मान का दर्जा रखते हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता स्वतः बेहतर रहती है. वार्षिक परीक्षा का बोझ कम है और बच्चों को अंक-प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोग से सीखने की आदत डाली जाती है. यहाँ स्कूल का समय कम है और छुट्टियाँ अधिक हैं. बच्चों को पर्याप्त विश्राम समय मिलता है जिससे उनका संपूर्ण व्यक्तित्व विकास होता है. यहाँ की शिक्षा प्रणाली का मूल मंत्र है-सीखना आनंददायक होना चाहिए, न कि दबावपूर्ण.
2- दक्षिण कोरिया: बच्चों की पढ़ाई में परिवार का भी सहयोग जरूरी
एशिया में दक्षिण कोरिया की शिक्षा प्रणाली अनुशासन और मेहनत का वैश्विक उदाहरण है. यहां शिक्षा को करियर और राष्ट्रीय विकास के साथ गहराई से जोड़ा गया है. स्टूडेंट्स लम्बे अध्ययन घंटे और कठोर परीक्षा प्रणाली से गुजरते हैं. यहां शिक्षा में आधुनिक तकनीक का व्यापक प्रयोग होता है. ई-लर्निंग, स्मार्ट क्लासरूम और ऑनलाइन शिक्षा में दक्षिण कोरिया अग्रणी है.
शिक्षा में यहां माता-पिता की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है. बच्चों की पढ़ाई में परिवार सक्रिय रूप से सहयोग करता है. अंग्रेज़ी जैसी भाषाओं का प्रशिक्षण वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए विद्यार्थियों को तैयार करता है. इस कठोर लेकिन व्यवस्थित मॉडल ने दक्षिण कोरिया को तकनीक और अर्थव्यवस्था में शीर्ष पर पहुंचाने में मदद की.
3- सिंगापुर: जैसी भविष्य की जरूरतें, वैसा पाठ्यक्रम
दक्षिण-पूर्व एशिया का छोटा-सा देश सिंगापुर शिक्षा में विश्व-स्तर पर लगातार उच्च स्थान प्राप्त करता है. शिक्षा प्रणाली छात्रों की व्यक्तिगत ताकत और रुचि के अनुसार अवसर प्रदान करती है. गणित, विज्ञान और तकनीकी विषयों में गहन प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे विद्यार्थी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनते हैं.
अंग्रेज़ी और मातृभाषा (चीनी, मलय या तमिल) दोनों की शिक्षा से बच्चों में सांस्कृतिक संतुलन और वैश्विक दृष्टिकोण विकसित होता है. यहां केवल वार्षिक परीक्षा नहीं बल्कि पूरे वर्ष छात्रों का मूल्यांकन होता है. इस तरह कठोर अनुशासन, तकनीक-आधारित शिक्षा और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया गया पाठ्यक्रम इसकी खासियत है.
4- जापान: समय की पाबंदी और टीम भावना पर फोकस
जापान की शिक्षा प्रणाली मेहनत, नैतिकता और टीमवर्क पर आधारित है. अनुशासन और नैतिक शिक्षा का बीज बच्चों को शुरू से देने की व्यवस्था की गई है. यहां कम उम्र से ही समय की पाबंदी, स्वच्छता, टीम भावना और जिम्मेदारी सिखाई जाती है. क्लास-रूम में समूह गतिविधियाों और सामूहिक चर्चा पर जोर दिया जाता है.
जापान की साक्षरता दर लगभग करीब 100% है, जो उसकी शिक्षा प्रणाली की सफलता दर्शाती है. तकनीक और अनुसंधान-प्रधान प्रणाली ने जापान को वैज्ञानिक और औद्योगिक प्रगति में अग्रणी बना दिया है. शिक्षा में नैतिक मूल्यों के साथसाथ आधुनिक विज्ञान पर बराबर ध्यान देना जापानी प्रणाली को अलग पहचान देता है.
5- कनाडा: डिजिटल दौर के मुताबिक चलती है तैयारी
उत्तर अमेरिका का यह देश शिक्षा प्रणाली के लिए निरंतर उच्च रैंकिंग प्राप्त करता है. यहां प्रवासी एवं विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले छात्रों को समान अवसर दिए जाते हैं. शिक्षा पर सरकार का अत्यधिक निवेश होने से गुणवत्तापूर्ण स्कूल और विश्वविद्यालय उपलब्ध हैं. शोध और रचनात्मकता को विद्यालय स्तर से ही प्रोत्साहित किया जाता है. बच्चों की रुचि और क्षमता के अनुसार पाठ्यक्रम विकल्प दिए जाते हैं, जिससे उन्हें अपनी दिशा चुनने की स्वतंत्रता मिलती है. कनाडा बच्चों को डिजिटल युग के लिए तैयार करता है. इसकी प्रणाली स्वतंत्रता, समान अवसर और व्यावहारिक शिक्षा पर आधारित होने के कारण दुनिया में विशिष्ट मानी जाती है.
इन पांचों देशों की शिक्षा व्यवस्था अलगअलग सामाजिक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से निकली है, लेकिन इनकी कुछ सामान्य विशेषताएं कुछ इस तरह हैं…
- शिक्षक का उच्च दर्जा और प्रशिक्षित होना.
- बच्चों की रचनात्मकता और व्यावहारिक शिक्षा पर जोर.
- तकनीक और आधुनिक संसाधनों का उपयोग.
- समान अवसर और समाज का सहयोग.
फ़िनलैंड मानवीय दृष्टिकोण और संतुलित जीवन को प्राथमिकता देता है. दक्षिण कोरिया मेहनत और प्रतिस्पर्धा पर आधारित है. सिंगापुर और जापान तकनीक व अनुशासन पर बल देते हैं, जबकि कनाडा बराबरी और समावेशिता को सम्मान देता है. इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति और समाज को विकसित करने का एक व्यापक माध्यम है.
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