बासमती की लोकप्रिय किस्में 1121 और 1509 पहले ही सस्ती हो चुकी हैं। 2022-23 में 4,500 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 2023-24 में 3,500-3,600 तक पहुंच गई हैं। अब इनके 3,000 तक गिरने का डर है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से होने वाले बासमती चावल के आयात पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले ने पंजाब और हरियाणा के किसानों व निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है। उन्हें डर है कि इस भारी-भरकम टैरिफ से अमेरिकी बाजार में भारत की सुगंधित बासमती की मांग बुरी तरह प्रभावित होगी, जबकि पड़ोसी पाकिस्तान को बड़ा लाभ मिलेगा। ट्रंप प्रशासन का यह दंडात्मक शुल्क 7 अगस्त को जारी कार्यकारी आदेश से लागू हुआ। इसमें भारत की रूस से तेल खरीद के कारण 25% अतिरिक्त पेनल्टी जोड़ी गई, जो पहले से लागू 25% शुल्क के साथ मिलकर कुल 50% हो गई। यह 28 अगस्त से प्रभावी होगा।
बासमती एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रंजीत सिंह जोसन ने कहा, “यह दोहरी मार है। भारत हर साल करीब 3 लाख टन बासमती अमेरिका भेजता है। इतने ऊंचे शुल्क से निर्यातकों को भारी नुकसान होगा और पाकिस्तान को बढ़त मिल जाएगी, जहां से आने वाले माल पर सिर्फ 19% टैक्स है।”
उन्होंने बताया कि जहां भारत से आने वाला एक टन बासमती अमेरिकी बाजार में 1,200 डॉलर का पड़ता है, उस पर 600 डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगेगा, जबकि पाकिस्तान से आने वाले समान चावल पर यह सिर्फ 228 डॉलर होगा। उन्होंने कहा, “इस अंतर के कारण अमेरिकी खरीदार सीधे पाकिस्तान की ओर जा रहे हैं और भारतीय व्यापारी सौदे नहीं कर पा रहे।”
कीमतों में गिरावट और खेती पर असर
बासमती की लोकप्रिय किस्में 1121 और 1509 पहले ही सस्ती हो चुकी हैं। 2022-23 में 4,500 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 2023-24 में 3,500-3,600 तक पहुंच गई हैं। अब इनके 3,000 तक गिरने का डर है। पंजाब के तरणतारण के रहने वाले किसान ग़ुरबक्शिश सिंह के मुताबिक, अगर यह गिरावट जारी रही तो किसान बासमती छोड़कर साधारण धान की ओर लौट सकते हैं, जिसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,400 से अधिक है।
पंजाब में बासमती का रकबा 2015-16 के 7.63 लाख हेक्टेयर से घटकर 2024-25 में 6.39 लाख हेक्टेयर रह गया है। हरियाणा में यह 6.5-7.1 लाख हेक्टेयर के बीच उतार-चढ़ाव के बाद 2025 में 6.8 लाख हेक्टेयर है। पंजाब अकेले देश के कुल बासमती का करीब 40% उत्पादन करता है।
जोसन ने बताया कि करीब 100 करोड़ का सालाना कारोबार वाले छोटे निर्यातकों पर इसका सीधा असर पड़ा है। उन्होंने किसानों से खरीद मूल्य 7,100 से घटाकर 6,200 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जिससे थोक कीमतें 71 रुपये से घटकर 62 प्रति किलो हो गई हैं। खुदरा बाजार में भी गिरावट तय है। मिल मालिकों के गोदामों में बासमती का पुराना स्टॉक अटका पड़ा है। जोसन ने कहा, “जब तक हालात नहीं सुधरते, निर्यातक खरीद नहीं करेंगे।”