होम देश High Court is not a separate island why did the Supreme Court say this हाईकोर्ट कोई अलग द्वीप नहीं, उम्मीद है कि आगे ऐसा आदेश न मिले; सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा, India News in Hindi

High Court is not a separate island why did the Supreme Court say this हाईकोर्ट कोई अलग द्वीप नहीं, उम्मीद है कि आगे ऐसा आदेश न मिले; सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा, India News in Hindi

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सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जताई कि अब उसे किसी भी हाईकोर्ट से ऐसा ‘विकृत और अन्यायपूर्ण’ आदेश नहीं मिलेगा। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का प्रयास हमेशा कानून के शासन को बनाए रखना और संस्थागत विश्वसनीयता बनाए रखना होना चाहिए।

Himanshu Jha हिन्दुस्तान, नई दिल्ली।Sat, 9 Aug 2025 06:31 AM

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज प्रशांत कुमार मामले में की गईं टिप्पणियां हटा दीं। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट ‘अलग द्वीप’ नहीं हैं, जिन्हें इस संस्था से अलग किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ही ‘रोस्टर’ के लिए अधिकृत होते हैं और उसने इस मामले में निर्णय लेने का अधिकार उन्हें ही सौंप दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जताई कि अब उसे किसी भी हाईकोर्ट से ऐसा ‘विकृत और अन्यायपूर्ण’ आदेश नहीं मिलेगा। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का प्रयास हमेशा कानून के शासन को बनाए रखना और संस्थागत विश्वसनीयता बनाए रखना होना चाहिए। यदि कोर्ट में ही कानून न रखें या संरक्षित नहीं किया जाता, तो यह देश की न्याय व्यवस्था का अंत होगा।

टिप्पणी वापस लेना अच्छा कदम

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस प्रशांत कुमार के एक निर्णय को लेकर की गई तल्ख टिप्पणी को वापस लेने के सुप्रीम कोर्ट के कदम का स्वागत किया है। बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि यह बहुत अच्छा कदम है।

सुप्रीम कोर्ट ने की थी यह टिप्पणी

पीठ ने कहा था कि हाईकोर्ट के जज से यह अपेक्षा की जाती है कि वह कानून की सुस्थापित स्थिति को जाने कि दीवानी विवादों से संबंधित मामलों में शिकायतकर्ता को आपराधिक कार्यवाही का सहारा लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती, ऐसा हुआ तो कानून का दुरुपयोग होगा।

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