होम देश Putin Doval met Lula Modi talked for an hour India showed its intentions to Trump over Tariff लूला-मोदी की एक घंटे हुई बात, उधर पुतिन से डोभाल की मुलाकात; भारत ने ट्रंप को दिखा दिए इरादे, India News in Hindi

Putin Doval met Lula Modi talked for an hour India showed its intentions to Trump over Tariff लूला-मोदी की एक घंटे हुई बात, उधर पुतिन से डोभाल की मुलाकात; भारत ने ट्रंप को दिखा दिए इरादे, India News in Hindi

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भारत रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा साझेदारी मजबूत कर रहा है और ब्राजील के साथ सहयोग बढ़ा रहा है। ट्रंप के टैरिफ दबाव के बावजूद भारत अपनी स्वतंत्र नीति और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए पुख्ता रणनीति बना रहा है।

ट्रंप के टैरिफ वॉर से मची खलबली के बीच वैश्विक मंच पर भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और रणनीतिक स्वायत्तता को और मजबूत कर रहा है। गुरुवार को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मॉस्को में मुलाकात की। इसके कुछ ही देर बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा के साथ एक घंटे की फोन पर बातचीत ने साफ कर दिया है कि भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। ट्रंप द्वारा भारत पर रूसी तेल खरीद को लेकर लगाए गए 50% टैरिफ के जवाब में भारत न केवल अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर रहा है, बल्कि वैश्विक साझेदारों के साथ मिलकर एक पुख्ता रणनीति भी बना रहा है।

ट्रंप का टैरिफ और भारत पर दबाव की रणनीति

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर रूसी तेल खरीद को लेकर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया है। ट्रंप का आरोप है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में रूस की “युद्ध मशीन” को बढ़ावा दे रहा है। इसके अलावा, ट्रंप ने रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दी है। यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव का कारण बन गया है, क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखने के पक्ष में है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, और रूस से 35% तेल आयात करता है, जो उसकी अर्थव्यवस्था के लिए किफायती और महत्वपूर्ण है।

पुतिन-डोभाल मुलाकात: रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी को बल

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मॉस्को में रूसी अधिकारियों, विशेष रूप से रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और फिर राष्ट्रपति पुतिन के साथ मुलाकात की। इस दौरान डोभाल ने भारत-रूस के बीच “विशेष और दीर्घकालिक” रिश्तों पर जोर दिया। उन्होंने पुतिन की भारत यात्रा की पुष्टि की, जो इस महीने के अंत या साल के अंत तक हो सकती है। यह दौरा ऐसे समय में महत्वपूर्ण है, जब भारत और रूस रक्षा, ऊर्जा, और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर काम कर रहे हैं।

डोभाल ने रूस के साथ रक्षा सहयोग को और मजबूत करने की बात कही, जिसमें S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त खरीद और Su-57 लड़ाकू विमानों पर चर्चा शामिल हो सकती है। भारत ने रूस से 2018 में S-400 सिस्टम की डील की थी, और इसका मेंटेनेंस और अतिरिक्त खरीद इस मुलाकात का हिस्सा हो सकता है।

इस मुलाकात का एक बड़ा संदेश यह है कि भारत ट्रंप की धमकियों के बावजूद रूस के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को कमजोर नहीं करेगा। भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हितों और बाजार की गतिशीलता पर आधारित है।

लूला-मोदी की बातचीत: ब्राजील के साथ गठजोड़

इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा के साथ फोन पर एक घंटे की बातचीत की। यह बातचीत भी ट्रंप के टैरिफ को लेकर थी, क्योंकि अमेरिका ने ब्राजील पर भी 50% टैरिफ लगाया है। लूला ने ट्रंप के बातचीत के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि वह ट्रंप के बजाय मोदी या चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात करना पसंद करेंगे। यह बयान दर्शाता है कि ब्राजील और भारत मिलकर ट्रंप के दबाव का जवाब देने के लिए एकजुट हो रहे हैं।

लूला ने यह भी कहा कि ब्राजील अपने हितों की रक्षा के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे मंचों का उपयोग करेगा। इस बातचीत में भारत और ब्राजील ने आपसी व्यापार और सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की, ताकि दोनों देश ट्रंप के टैरिफ के प्रभाव को कम कर सकें। यह कदम भारत की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह ग्लोबल साउथ के देशों के साथ गठजोड़ बनाकर अमेरिकी दबाव का मुकाबला कर रहा है।

भारत की रणनीति साफ- संतुलन और स्वायत्तता जरूरी

भारत की विदेश नीति हमेशा से संतुलन और स्वायत्तता पर आधारित रही है। ट्रंप के टैरिफ और धमकियों के बीच भारत ने साफ कर दिया है कि वह न तो अमेरिका के दबाव में झुकेगा और न ही अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता करेगा। भारत की रणनीति में कई अहम कदम शामिल हैं।

रूस के साथ मजबूत साझेदारी: पुतिन की भारत यात्रा और डोभाल की मॉस्को यात्रा से यह साफ है कि भारत रूस के साथ अपने रक्षा और ऊर्जा संबंधों को और गहरा करेगा। रूस भारत को सस्ता तेल और उन्नत हथियार उपलब्ध कराता है, जो भारत की आर्थिक और रक्षा जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण है।

ब्राजील और चीन के साथ सहयोग: मोदी की लूला के साथ बातचीत और अगस्त के अंत में प्रस्तावित चीन यात्रा (जहां वह शी जिनपिंग से मिलेंगे) दर्शाती है कि भारत वैश्विक मंच पर अपने सहयोगियों का दायरा बढ़ा रहा है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे मंचों पर भारत, रूस, और चीन के बीच समन्वय अमेरिका के एकतरफा दबाव को कम करने में मदद करेगा।

विश्व व्यापार संगठन (WTO) का उपयोग: भारत और ब्राजील दोनों ने संकेत दिया है कि वे ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ WTO में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह भारत की उस नीति का हिस्सा है, जिसमें वह अंतरराष्ट्रीय नियमों और मंचों का उपयोग अपने हितों की रक्षा के लिए करता है।

आर्थिक स्वायत्तता: भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है। यह तेल आयात भारत की ऊर्जा लागत को कम करता है और महंगाई को नियंत्रित करने में मदद करता है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा नीति को अमेरिकी दबाव के आधार पर नहीं बदलेगा।

ट्रंप की धमकियों का जवाब

भारत ने ट्रंप की धमकियों का जवाब न केवल कूटनीति से, बल्कि ठोस कदमों से भी दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत की ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हितों और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है। इसके अलावा, भारतीय मूल की अमेरिकी नेता निक्की हेली ने भी ट्रंप को सलाह दी कि भारत जैसे मजबूत सहयोगी के साथ रिश्ते खराब न करें, जबकि चीन को टैरिफ में छूट दी जा रही है।

भारत अब केवल एक संतुलनकारी शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक व्यवस्था में एक नया संतुलन बनाने वाला देश बन रहा है। रूस, ब्राजील, और चीन के साथ भारत की बढ़ती नजदीकियां और SCO, BRICS जैसे मंचों पर सक्रियता यह दिखाती है कि भारत अमेरिका के दबदबे से इतर एक वैकल्पिक विश्व व्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत, रूस, और चीन (RIC) का गठजोड़ 21वीं सदी के नए विश्व व्यवस्था की नींव रख सकता है।

भारत में कहां होगा ज्यादा असर?

ट्रंप के टैरिफ से भारत के निर्यात, विशेष रूप से कपड़ा, रत्न-आभूषण, ऑटो पार्ट्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों पर गहरा असर पड़ सकता है। भारत का अमेरिका को लगभग 87 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत के लिए अन्य बाजारों, जैसे यूरोप और आसियान देशों, की ओर रुख करने का अवसर हो सकता है। फाउंडेशन फॉर इकोनॉमिक डेवलपमेंट के संस्थापक राहुल अहलूवालिया ने सुझाव दिया कि भारत को इस संकट को आर्थिक सुधारों के अवसर के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा, “कृषि कल्याण को सब्सिडी के बजाय डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) की ओर ले जाना और श्रम-प्रधान उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना समय की मांग है।”

वैकल्पिक बाजार और ‘मेक इन अमेरिका’ की संभावनाएं

भारत वैकल्पिक व्यापारिक रास्तों पर भी विचार कर रहा है। रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष किरीट भंसाली ने कहा कि उद्योग दुबई और मैक्सिको जैसे देशों के माध्यम से अपने उत्पादों को रीराउट करने और वहां विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने की योजना बना रहा है। इसके अलावा, संयुक्त उद्यमों के माध्यम से ‘मेक इन अमेरिका’ रणनीति पर भी विचार किया जा रहा है।

विदेश मंत्रालय ने संकेत दिया है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक वार्ता जारी है, और अगली बैठक 25 अगस्त को भारत में होगी। पूर्व अमेरिकी राजनयिक निशा बिस्वाल ने कहा कि ट्रंप का टैरिफ कदम एक “बातचीत की रणनीति” है, न कि नीतिगत बदलाव। उन्होंने दोनों देशों से संवाद जारी रखने की सलाह दी ताकि एक ऐतिहासिक व्यापार समझौता हो सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत अपने हितों को प्राथमिकता देगा, भले ही इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़े। उन्होंने कहा, “भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और आर्थिक हितों पर समझौता नहीं करेगा।”

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