पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने ट्रंप के भारत पर टैरिफ और आतंकपरस्त पाकिस्तान को प्यार-दुलार पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने जिस तरह पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर को खुश करने की कोशिश की, वह बेहद अजीब है।
डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर टैरिफ अटैक और आतंकपरस्त पाकिस्तान के प्रति प्यार की हर ओर आलोचना हो रही है। पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने कहा कि ट्रंप की “मुनीर परस्त नीति” भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने फटकार लगाते हुए कहा कि ट्रंप का आसिम मुनीर को भाव देना बहुत अजीब है, क्योंकि उसने पहलगाम आतंकी हमले से ठीक पहले भड़काऊ भाषण दिया था।
पाक ने भारत को स्थायी दुश्मन बनाया
एमजे अकबर ने एएनआई से बातचीत में कहा, “भारत का किसी से स्थायी दुश्मनी नहीं है, लेकिन पाकिस्तान ने आतंकवाद को हथियार बनाकर हमें अपना स्थायी दुश्मन बना लिया है। ट्रंप ने जिस तरह पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर को खुश करने की कोशिश की, वह बेहद अजीब है। यह वही मुनीर है, जिसने पहलगाम आतंकी हमले से ठीक पहले भड़काऊ भाषण दिया था।”
ट्रंप ने भारत-US संबंधों की मेहनत मिट्टी में मिलाई
उन्होंने कहा कि ट्रंप की इस रणनीति से भारत-अमेरिका संबंधों पर दो दशकों से जो भरोसा बन रहा था, वह खतरे में पड़ गया है। अकबर ने कहा, “जो रिश्ते बड़ी मेहनत से बनाए गए थे, उन्हें यूं ही बर्बाद नहीं किया जा सकता। लेकिन यह भी मूर्खता होगी कि हम मानें कि कोई नुकसान नहीं हुआ।”
अमेरिका की दोहरी नीति
उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका ‘दो कानून’ की नीति पर चल रहा है — एक अपने लिए, दूसरा बाकी दुनिया के लिए। उन्होंने पूछा, “मुनीर वही जनरल हैं जिन्होंने धर्म आधारित फासीवाद और नस्लीय श्रेष्ठता का सिद्धांत पेश किया है। क्या ट्रंप की टीम ने उन्हें वो भाषण नहीं दिखाया?”
मोदी ने दुनिया को दिखाई लीडरशिप
अकबर ने यह भी कहा कि आज का विश्व समान अवसर और समान अधिकारों का है, जहां भारत जैसी उभरती शक्तियां अपनी भूमिका निभाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने वह नेतृत्व दिखाया है जिसकी दुनिया को जरूरत थी। NSA अजीत डोभाल की रूस यात्रा इस नए विश्व व्यवस्था की झलक है।”
चीन के साथ संबंधों पर अकबर ने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के बावजूद 1988 की शांति संधि का पालन हुआ है और 40 साल में एक भी गोली नहीं चली। “भारत-चीन संबंध अब एक अनोखे सिद्धांत पर टिके हैं — नॉन-सॉल्यूशन ही समाधान है। जब सहमति न बन सके, तो असहमति को स्वीकार कर शांति से आगे बढ़ो।”
उन्होंने कहा कि भारत और चीन अब पर्यटन व व्यापार जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं और दोनों को इस पर ध्यान देना चाहिए कि वे एक-दूसरे को कैसे देखते हैं — न कि बाकी दुनिया उन्हें कैसे देखती है।