उत्तरकाशी के धराली में चल रहे राहत मिशन में खोजी कुत्तों को भी लगाया गया है.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने और सैलाब से आई तबाही के कारण मौतों का आंकड़ा 6 हो गया है. धराली गांव में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. 190 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. गांव चारों तरफ से पानी और मलबे से भरा हुआ है. इस मिशन के लिए सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, और स्थानीय लोगों के साथ खोजी कुत्तों को भी भेजा गया है ताकि लाशों को मलबे से निकालकर उनकी पहचान की जा सके.
रेस्क्यू मिशन के दौरान खोजी कुत्ते यानी स्निफर डॉग के जरिए लापता लोगों का पता लगाने की कोशिश की जाएगी. ये कुत्ते अपनी सूंघने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं. अब सवाल है कि ये खोजी कुत्ते मलबे में कितनी गहराई तक दबे शवों को सूंघने और खोजने में समर्थ होते हैं और इनके अंदर सूंघने की क्षमत इतनी ज्यादा क्यों होती है. जानिए इनके जवाब.
स्निफर डाॅग क्यों कितने खास?
इन खोजी कुत्तों की खासियत होती है सूंघने की क्षमता. इन्हें ट्रेनिंग देकर और भी पावरफुल बनाया जाता है. इनकी सूंघने की क्षमता क्यों ज्यादा होती है, अब इसे जान लेते हैं. स्निफर डॉग में करीब 50 करोड़ सूंघने वाले रिसेप्टर्स होते हैं, जबकि इंसानों में करीब 50 लाख होते हैं.
इनकी इसी खूबी का इस्तेमाल करते हुए इन्हें ट्रेनिंग दी जाती है. इन्हें अलग-अलग गंध को पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. जैसे- कोकीन की गंध, इंसानों की गंध, TNT. गंध को पहचानने के बाद ये बैठकर, पंजा मारकर या भौंककर इशारा करते हैं.
खोजी कुत्तों को संदिग्ध जगहों के पास ले जाया जाता है. वो सूंघता है और अगर उसे कोई जानी-पहचानी गंध समझ आती है तो वो खास तरह का सिग्नल देता है. इसके बाद विशेषज्ञों की टीम अगला कदम उठाती है. खोजी कुत्तों की टीम में जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर, बेल्जियन मेलिनोइस और कोकर स्पैनियल नस्लें बहुत एक्टिव, फुर्तीली और समझदार मानी जाती हैं.

खोजी कुत्तों की टीम में जर्मन शेफर्ड को भी शामिल किया जाता है. फोटो:Pixabay
कितनी गहराई तक सूंघ लेते हैं खोजी कुत्ते?
आमतौर मुलायम मिट्टी में 5 से 6 फीट की गहराई तक ये डेडबॉडी को सूंघने की क्षमता रखते हैं. वहीं रेत या ढीली मिट्टी में 3 से 4 फीट और बर्फ में 10 फीट तक सूंघ लेते हैं. हालांकि, पानी के मामले में इनके सूंघने की क्षमता ज्यादा नहीं होती. कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब 6 फीट से नीचे दबे शवों को भी खोजी कुत्तों को सूंघकर पहचान लिया.
शव खोजने वाले कुत्ते को कैडेवर डॉग कहते हैं. इनकी सूंघने की क्षमता के कारण शवों को ढूंढना आसान हो जाता है. कुत्ते हवा में फैली गंध के हल्के अंश को भी पहचान सकते हैं. फिर चाहें मिट्टी में दबा हो, बर्फ के नीचे हो या फिर पानी के पास हो.
वर्तमान में भारतीय वायुसेना (IAF) भी राहत और बचाव कार्य मेंलगी है. बरेली और आगरा एयरबेस से Mi-17 हेलिकॉप्टर, ALH Mk-III, An-32 और C-295 विमानों को अभियान के लिए तैयार रखा गया है.
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