होम विदेश India US Tariff Row: भारत की स्ट्रेटेजिक ऑटोनोमी से परेशान हैं ट्रंप, इसलिए लगा रहे टैरिफ पर टैरिफ

India US Tariff Row: भारत की स्ट्रेटेजिक ऑटोनोमी से परेशान हैं ट्रंप, इसलिए लगा रहे टैरिफ पर टैरिफ

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डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो).

टैरिफ को लेकर भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते तल्ख होते दिख रहे हैं. कई दौर की बातचीत के बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एकतरफा फैसला लेते हुए आखिरकार भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया. हालांकि उन्होंने कई और देशों पर भी ऐसे कड़े फैसले लेने की बात कही है. कुछ समय तक भारत और पीएम नरेंद्र मोदी का गुणगान करने वाले राष्ट्रपति ट्रंप आखिर इतने सख्त कैसे हो गए कि उन्होंने 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया. जबकि अन्य देशों के साथ नरमी बरती गई है. आखिर इन सबके पीछे वजह क्या है, अमेरिका चाहता क्या है?

इसका सीधा जवाब यही है, अमेरिका चाहता है कि भारत उसका पिछलग्गू बने. जबकि भारत की ओर से ऐसा कोई संकेत तक नहीं दिया गया है. भारत किसी भी मसले पर स्वतंत्र रूप से फैसला लेने के अपने रवैये पर टिका हुआ है, जो अमेरिका को पसंद नहीं आ रहा. इसीलिए भारत पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका अब टैरिफ को अपना बड़ा हथियार बना रहा है.

यूक्रेन जंग के दौरान रूस से तेल की खरीद

भारत जिस तरह से रूस और यूक्रेन के मसले पर तटस्थ बना रहा यह अमेरिका को पसंद नहीं आया. वह चाहता है कि भारत वाशिंगटन के साथ कदमताल करता दिखे. यूक्रेन के साथ लड़ाई के बीच भी भारत लगातार रूस से तेल की खरीद करता रहा. खास बात यह है कि तेल खरीद की यह दर लगातार बढ़ी ही है, कम नहीं हुई.

अमेरिका का मानना है कि भारत की ओर से रूस से तेल खरीदने की वजह से मास्को को राहत मिली हुई है और वह यूक्रेन के साथ जंग खत्म करने को राजी नहीं हो रहा. हालांकि चीन भी रूस से तेल खरीद रहा है और वह इस मामले में पहले पायदान पर है.

भारत लगातार रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है. फरवरी 2022 में यूक्रेन के साथ जंग शुरू होने से पहले भारत रोजाना करीब 68,000 बैरल तेल खरीदा करता था, जो मई 2023 में बढ़कर 21.5 लाख बैरल हो गया और आज की उसकी तेल जरूरतों का करीब 40 प्रतिशत हो गया, और इसे खरीददारी को राष्ट्रपति ट्रंप युद्ध करने वाले रूस की आर्थिक रूप से मदद करने के रूप में देखते हैं.

BRICS की सक्रियता को लेकर अमेरिका नाराज

पिछले दिनों राष्ट्रपति ट्रंप की तरह व्हाइट हाउस के प्रवक्ता स्टीफन मिलर ने भारत की ओर से रूसी तेल की लगातार खरीद को “अस्वीकार्य” करार दिया. हालांकि यह साफ नहीं हो सका है कि भारत रूस के साथ अपने दीर्घकालिक घनिष्ठ संबंधों को किस हद तक कम करने के लिए तैयार होगा. भारत के सामने अमेरिका से अपने संबंधों में मजबूती लाने और बढ़ते चीनी खतरे को देखते हुए पश्चिमी सैन्य गठबंधन के करीब जाने का दबाव बढ़ रहा है, नई दिल्ली को इस पर अपना फैसला लेना है.

रूस से तेल खरीदना ही नहीं बल्कि अमेरिका चाहता है कि भारत अपने पारंपरिक दोस्त रूस और ब्रिक्स देशों का साथ छोड़कर पश्चिमी गुट में शामिल हो जाए. वह लंबे समय से इस कोशिश में भारत को अपने साथ जोड़ा जाए. ब्रिक्स में भारत के अलावा ब्राजील, चीन और रूस जैसे अहम देश शामिल हैं और संगठन अमेरिका दुनिया में पश्चिमी असर को कम करना चाहते हैं.

यूक्रेन की तरह भारत का करना चाह रहा ‘इस्तेमाल’

साथ ही, अमेरिका चीन के खिलाफ भारत का इस्तेमाल करना चाहता है. उसकी योजना भारत का इस्तेमाल उसी तरह से करने की है जैसा उसने रूस के खिलाफ यूक्रेन का किया.

भारत की स्ट्रेटेजिक ऑटोनोमी से नाखुश अमेरिका

अमेरिका भारत की स्ट्रेटेजिक ऑटोनोमी से परेशान है, और ट्रंप की असली परेशानी इसी बात से है. वह भारत को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं. स्ट्रेटेजिक ऑटोनोमी का मतलब यह होता है कि कोई भी देश अपने राष्ट्रीय हितों को देखते हुए आगे बढ़ने और अन्य देशों पर बहुत अधिक निर्भरता की जगह अपनी स्वछंद विदेश नीति अपनाना होता है.

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