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जंग के बाद एक्शन में खामनेई, ईरान के राष्ट्रपति के धुर विरोधी को दे दी ये बड़ी जिम्मेदारी

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खामेनेई ने अपने करीबी को दी बड़ी जिम्मेदारी

इजराइल के साथ चली 12 दिनों के जंग के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई एक्शन मोड में आ गए हैं. हाल ही में उन्होंने नए रक्षा परिषद की मंजूरी दी थी जिसे नेशनल डिफेंस काउंसिल (राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ) नाम दिया गया है. अब इसका सचिव भी नियुक्त कर दिया गया है. खामेनेई ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के कट्टर राजनीतिक विरोधी माने जाने वाले अली लारीजानी को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का नया प्रमुख नियुक्त किया है.

68 वर्षीय लारीजानी, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) से जुड़े जनरल अली-अकबर अहमदियन की जगह लेंगे. अहमदियन को मई 2023 में इस पद पर बैठाया गया था. इस नियुक्ति को कई कई जानकार ईरान की सत्ता के कट्टरपंथी रुख से हटकर एक उदार दिशा में बढ़ने के तौर पर देख रहे हैं.

जानिए कौन है अली लारजानी?

लारीजानी एक प्रभावशाली शिया मुस्लिम परिवार से आते हैं. उनका जन्म 3 जून 1958 को हुआ. लारीजानी का सरकार से संबंध है, और उन्होंने फिलॉस्फी में डॉक्टरेट डिग्री हासिल की है. वे इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के पूर्व सदस्य भी रह चुके हैं. करीब तीन दशकों में कई वरिष्ठ सरकारी पदों पर काम किया है. ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने उन्हें मई 2020 में अपने सलाहकारों में से एक बनाया था.

3 बार राष्ट्रपति बनते बनते रह गए

लरीजानी ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन भी किया था लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहरा दिया गया. ये पहली बार नहीं था. 2005 में किस्मत आजमाई थी, मगर छठे नंबर पर रह गए. 2021 में भी दावेदारी पेश की, लेकिन तब भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. जबकि उन्हें एक प्रमुख उम्मीदवार माना जा रहा था

2005 से शुरू होकर, लारिजानी ने ईरान की परमाणु नीति का नेतृत्व किया था, लेकिन पश्चिमी शक्तियों के साथ दो साल की बातचीत के बाद, तत्कालीन राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के साथ गंभीर मतभेदों का हवाला देते हुए, उन्होंने इस्तीफा दे दिया. 2008 से 2020 तक संसद अध्यक्ष रहते हुए लारीजानी ने विश्व शक्तियों के साथ 2015 के परमाणु समझौते का समर्थन किया.

क्या करेगी ईरान की सुरक्षा परिषद?

ईरान ने युद्ध के हालात में फैसले लेने के लिए नेशनल डिफेंस काउंसिल बनाई है. इसकी अगुवाई राष्ट्रपति मसऊद पेजेश्कियान करेंगे. ये परिषद हालिया 12 दिन की जंग के बाद सुरक्षा ढांचे में किए गए बड़े बदलाव का हिस्सा है. इसका मकसद सैन्य रणनीति तय करना और सेनाओं की क्षमताएं बढ़ाना है. मगर इसमें लिए गए फैसले पर आखिरी मुहर ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ही लगाते हैं. परिषद में सबसे सीनियर सदस्य यानी सचिव ही तय करते हैं कि जो फैसला हुआ है, वो जमीन पर कैसे उतरेगा और ठीक से लागू हो रहा है या नहीं.

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