मलेरिया एक प्लास्मोडियम परजीवी द्वारा फैलता है, जो मादा एनाफिलीज मच्छरों द्वारा फैलाया जाता है। ICMR की एडफाल्सीवैक्स वैक्सीन प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम परजीवी के खिलाफ असरदार है। यह परजीवी मलेरिया का सबसे घातक परजीवी है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने बायोटैक्नोलॉजी विभाग के साथ मिलकर मलेरिया रोधी वैक्सीन को तैयार किया है। अब इस वैक्सीन को बाजार में उतारने के लिए परिषद ने प्राइवेट कंपनियों आवेदन करने का आग्रह किया है। हालांकि इस मामले के जानकार लोगों के मुताबिक इस वैक्सीन को पूरी तरह से तैयार होने में और बाजार में आने में अभी भी करीब 6 से 7 साल लगने की संभावना है।
एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक इस स्वदेशी वैक्सीन को पूरी तरह से तैयार होने में अभी कई चरणों से गुजरना होगा। सबसे पहले इसे ‘गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस और प्रोडक्शन, टॉक्सिलॉजी’ की कसौटी पर खरा उतरना होगा, जिसमें कम से कम 2 साल का समय लगेगा। उसके बाद क्लिनिकल ट्रायल, जिसमें रेग्यूलेटरी अप्रूवल भी शामिल होगा, इसमें भी कम से कम दो साल का समय लगेगा। इसके बाद फेज 2बी और फेज 3बी के भी क्लीनिकल ट्रायल होंगे इसमें भी दो से तीन साल का समय लगेगा। इसके बाद व्यावसायिक लाइसेंस लेने में भी कम से कम 6 महीने का समय लग जाएगा।
आपको बता दें आईसीएमआर द्वारा तैयार की जा रही एडफाल्सीवैक्स नामक यह स्वदेशी वैक्सीन प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम (मलेरिया का सबसे घातक परजीवी) के दो प्रमुख चरणों को प्रभावित करती है। इस वैक्सीन को लेक्टोकोकस लैक्टिस नामक एक सुरक्षित खाद्य-स्तर के जीवाणु पर प्रयोग करके बनाया गया है। यह वैक्सीन एक काइमेरिकी तरीके के वैक्सीन है, इसका मतलब यह है कि इसको कई तरीके के आनुवांशिक सामग्री मिलाकर एक हाइब्रिड संरचना बनाकर तैयार किया जाता है।