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अमेरिका या रूस, किसकी परमाणु पनडुब्बी ज्यादा पावरफुल? ट्रंप की नई घोषणा ने बढ़ाया तनाव

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अमेरिका ने अब रूस के पास दो परमाणु पनडुब्बियां तैनात करने की घोषणा कर दी है.

डोनाल्ड ट्रंप जबसे दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, पूरी दुनिया को अपने इशारों पर नचाना चाहते हैं. वह अमेरिका के अच्छे-अच्छे दोस्तों को दुश्मन बनाते जा रहे हैं. इसी कड़ी में पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत की अर्थव्यवस्था को डेड इकोनॉमी तक डाला था. लाख चेतावनियों के बावजूद भारत के साथ रूस की दोस्ती पर आंच न आती देख अमेरिका ने अब रूस के पास दो परमाणु पनडुब्बियां तैनात करने की घोषणा कर दी है. इससे अमेरिका और रूस के बीच पूरा मुद्दा तनाव में बदलता दिख रहा है. आइए जान लेते हैं कि रूस और अमेरिका में से किसकी पनडुब्बियां ज्यादा ताकतवर हैं?

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव की उकसाने वाली टिप्पणी के बाद दो परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने का आदेश दिया है. इससे पहले ट्रंप ने रूस को अल्टीमेटम दिया था कि वह यूक्रेन के साथ युद्धविराम करे. कहा था कि रूस ने युद्धविराम नहीं किया तो उसको कड़ा प्रतिबंध झेलना होगा. इसके बाद ही दिमित्री मेदवेदेव ने रूस की ओर से ‘डेड हैंड’ जैसी खतरनाक रणनीति अपनाने की चेतावनी दी थी. वास्तव में डेड हैंड शीत युद्ध के दौर का एक परमाणु सिस्टम है, जो पूरी तरह से रूसी नेतृत्व का खात्मा हो जाने पर भी खुद ही परमाणु हमला करने में सक्षम है.

क्या है परमाणु पनडुब्बी?

यहां एक बात स्पष्ट कर देना जरूरी हो जाता है कि परमाणु पनडुब्बी वास्तव में परमाणु हथियार से लैस पनडुब्बी नहीं होती. दरअसल, यह भी सामान्य पनडुब्बी ही होती है. परमाणु पनडुब्बी और सामान्य पनडुब्बी में सिर्फ इतना अंतर होता है कि सामान्य पनडुब्बी आमतौर पर जहां डीजल से संचालित होती है, वहीं परमाणु पनडुब्बी परमाणु ऊर्जा से संचालित होती है. यानी जिस तरह से बिजली उत्पादन के लिए परमाणु रिएक्टर का इस्तेमाल किया जाता है, उसी तरह से परमाणु पनडुब्बी को ऊर्जा देने के लिए उसमें परमाणु रिएक्टर लगाए जाते हैं.

कुल मिलाकर समझने के लिए हम इतना कह सकते हैं कि परमाणु पनडुब्बी में परमाणु ईंधन का इस्तेमाल होता है. हो सकता है कि ऐसी कोई पनडुब्बी परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम हो, जैसे कि डीजल से चलने वाली कोई पनडुब्बी भी परमाणु हथियार से लैस करने लायक बनाई जा सकती है.

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अमेरिकी पनडुब्बी. फोटो: Woohae Cho/Getty Images)

किस देश के पास कितनी परमाणु पनडुब्बी

वर्तमान में दुनिया के कई देशों के पास परमाणु पनडुब्बियां हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से सबसे ज्यादा 68 परमाणु पनडुब्बियां अमेरिका के पास हैं. इसके बाद रूस का नंबर आता है, जिसके पास कुल 29 परमाणु पनडुब्बियां हैं. चीन के पास 12, ब्रिटेन के पास 11, फ्रांस के पास आठ और भारत के पास एक परमाणु पनडुब्बी है.

अमेरिका की परमाणु पनडुब्बी की ताकत

दुनिया में सबसे अधिक परमाणु पनडुब्बियों वाले देश अमेरिका के पास ओहियो क्लास बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां हैं. उसके पास ओहियो क्लास एसएसबीएन पनडुब्बियों की संख्या 14 है. इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये लंबे समय तक सतह पर आए बिना सागर के भीतर ही संचालन करने में सक्षम हैं. इन पनडुब्बियों को 24 ट्राइडेंट II डी5 मिसाइलों से लैस किया गया है. इसके अलावा अमेरिका के पास वर्जीनिया क्लास एसएसएन पनडुब्बियों की संख्या 24 है. इनमें अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.

इन पनडुब्बियों में खास अभियानों के लिए विशेष चैंबर बनाए गए हैं. साथ ही अमेरिका के पास तीन सीवूल्फ क्लास की पनडुब्बियां हैं जो अधिक हथियार ले जाने में सक्षम होती हैं. यही नहीं, अब भी अमेरिका में एंजेलिस क्लास की 24 पनडुब्बियां सेवा में हैं. इनका निर्माण ही खासतौर पर साल 1976 में सोवियत संघ के खतरे से निपटने के लिए किया गया था.

अमेरिका की ओहियो क्लास पनडुब्बियां पारंपरिक हथियारों से हमला करने में तो सक्षम हैं ही, इनके जरिए अमेरिकी नौसेना परमाणु हमले भी कर सकती है. बताया जाता है कि ये पनडुब्बियां अब तक की सबसे बड़ी पनडुब्बियों में से एक हैं. ये पनडुब्बियां सागर के भीतर 7400 किमी से भी अधिक दूरी तक की यात्रा कर परमाणु हथियार भी पहुंचा सकती हैं. पारंपरिक एसएसबीएन वर्जन के विपरीत इन पनडुब्बियों का एसएसजीएन वर्जन 154 टामहॉक क्रूज मिसाइलें ले जा सकता है. इससे अमेरिकी नौसेना के पारंपरिक हमले और भी बेजोड़ हो जाते हैं.

Russia Submarine

रूसी पनडुब्बी. फोटो: Laski Diffusion/Liaison/Getty Images

समुद्र में रूसी परमाणु पनडुब्बी ताकत

रूस के पास बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों में बोरेई (Borei) और डेल्टा (Delta IV) हैं. डेल्टा क्लास पनडुब्बियों की संख्या अब केवल छह है, जिनको बोरेई क्लास एसएसबीएन पनडुब्बियों से रीप्लेस किया जा रहा है. रूस के पास फिलहाल 8 ऐसी पनडुब्बियां हैं और ये 16 बुलावा मिसाइलों के साथ ही 6 टारपीडो लॉन्चर अपने साथ ले जा सकती हैं. रूसी Delta-IV पनडुब्बियों में 16 Sineva SLBMs की तैनाती होती है. इनके अलावा रूस के पास त्वरित हमले करने में सक्षम यासेन (Yasen) और अकुला (Akula) पनडुब्बियां हैं.

रूस के पास यासेन क्लास फास्ट अटैक पनडुब्बियों की संख्या चार है. इनको Kalibr और Oniks मिसाइलों से लैस किया जाता है. वहीं अकुला क्लास पनडुब्बियां, जिन्हें शार्क भी कहा जाता है, Kalibr, Oniks और Granit मिसाइलें लॉन्च करने में सक्षम हैं. रूस के पास ऐसी कुल पनडुब्बियों की संख्या पांच बताई जाती है.

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