सरकार के पास वर्तमान में एलआईसी में 96.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसने मई, 2022 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के माध्यम से 902-949 रुपये प्रति शेयर के मूल्य दायरे पर 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची थी।
केंद्र सरकार, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य वित्तीय संस्थानों में एक बार फिर हिस्सेदारी बेचने वाली है। इसके लिए मर्चेंट बैंकरों और कानूनी सलाहकारों की नियुक्ति की गई है। निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव अरुणीश चावला ने यह जानकारी दी। चावला ने कहा कि जहां तक एलआईसी का सवाल है, हमने आरएफपी (प्रस्ताव के लिए आग्रह) प्रक्रिया पूरी कर ली है। मर्चेंट बैंकरों और कानूनी सलाहकारों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि मर्चेंट बैंकर सभी वित्तीय संस्थानों के लिए काम करेंगे।
फरवरी में बोलियां आमंत्रित
बता दें कि दीपम ने फरवरी के महीने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और सूचीबद्ध वित्तीय संस्थानों में अपनी हिस्सेदारी बेचने में सरकार की सहायता को मर्चेंट बैंकर, कानूनी फर्मों से बोलियां आमंत्रित की थीं। दीपम द्वारा जारी दो आरएफपी (प्रस्ताव हेतु अनुरोध) के अनुसार, मर्चेंट बैंकरों और कानूनी सलाहकारों को तीन साल के लिए पैनल में शामिल किया जाएगा, जिसे एक और साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि मर्चेंट बैंकर वित्तीय संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) से संबंधित सभी लेनदेन की देखरेख करेंगे।
सेबी के मानदंड को मानना जरूरी
वर्तमान में, कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने अभी तक बाजार नियामक सेबी द्वारा निर्धारित न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंड को पूरा नहीं किया है। सरकार ने ऐसी गैर-अनुपालन संस्थाओं के लिए सरकारी हिस्सेदारी कम करने और सार्वजनिक फ्लोट मानदंडों को पूरा करने की समय सीमा एक अगस्त, 2026 निर्धारित की है।
एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी
सरकार के पास वर्तमान में एलआईसी में 96.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसने मई, 2022 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के माध्यम से 902-949 रुपये प्रति शेयर के मूल्य दायरे पर 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची थी। इस शेयर बिक्री से सरकार को लगभग 21,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। सरकार को 16 मई, 2027 तक अनिवार्य 10 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एलआईसी में 6.5 प्रतिशत हिस्सेदारी और बेचने की आवश्यकता है। इसके अलावा, पांच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अभी भी न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंड पूरा करना बाकी है।