विधानसभा-वार प्रभाव- सात विधानसभा क्षेत्रों में नाम हटाने की संख्या अलग-अलग रही. पूर्णिया सदर में सबसे अधिक 49,860 नाम कटे. अमौर में 46,948, धमदाहा में 42,930, बनमनखी में 36,636, कस्बा में 35,647, रूपौली में 35,343 और बायसी में 26,556 नाम हटे. अब अमौर में 2,88,806, बायसी में 2,69,845, कस्बा में 2,66,501, बनमनखी में 2,91,401, रूपौली में 2,87,230, धमदाहा में 3,01,735 और पूर्णिया सदर में 2,88,993 मतदाता बचे हैं.
विधानसभा क्षेत्र | कितने नाम हटे | मतदाता बचे |
पूर्णिया सदर | 49,860 | 2,88,993 |
अमौर | 46,948 | 2,88,806 |
धमदाहा | 42,930 | 3,01,735 |
बनमनखी | 36,636 | 2,91,401 |
कसबा | 35,647 | 2,66,501 |
रूपौली | 35,343 | 2,87,230 |
बायसी | 26,556 | 2,69,845 |
अल्पसंख्यक क्षेत्रों में सवाल
पूर्णिया में 38.4% मुस्लिम आबादी है और यहां नाम हटाने की दर राज्य औसत 8.3% से अधिक रही. कथित बांग्लादेशी प्रवासियों की मौजूदगी के दावों के बीच कुछ दलों ने इसे टारगेटेड कदम बताया है. स्थानीय मतदाताओं ने शिकायत की कि 2024 में वोट देने वालों के नाम भी गायब हैं. एक बूथ-स्तरीय अधिकारी ने बताया कि जिला स्तर पर नाम हटाए जाते हैं और कई बार दस्तावेजों में गड़बड़ी के कारण ऐसा होता है.
दावे-आपत्ति और नई व्यवस्था
2025 चुनाव पर क्या होगा असर?
12.1% मतदाताओं की कटौती से 2025 के विधानसभा चुनाव प्रभावित हो सकते हैं. बता दें कि 2020 के चुनाव में बिहार की कई सीटें कम अंतर से जीती गई थीं, और इस तरह के बड़े बदलाव नतीजों को पलट सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आधार, वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों से सत्यापन का सुझाव दिया है. अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी, जिसके बाद यह स्पष्ट होगा कि कितने मतदाताओं को वापस शामिल किया गया.