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Bihar SIR: बिहार के पूर्णिया में SIR के बाद बड़े पैमाने पर मतदाता हटाए गए, विधानसभा क्षेत्रों के लिस्ट देखिये

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पूर्णिया. बिहार के पूर्णिया जिले में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित मतदाता सूची के मसौदे में 2,73,920 नाम हटाए गए. पहले 22,68,431 मतदाता थे, लेकिन अब 19,94,511 बचे हैं. जानकारी के अनुसार, पूर्णिया सदर में सबसे अधिक 49,860 नाम कटे हैं. पुरुष मतदाता 10,51,164, महिला मतदाता 9,43,275 और थर्ड जेंडर के 72 मतदाता हैं. अल्पसंख्यक बहुल इस जिले में 12.1% की कमी ने सवाल खड़े किए हैं. एसआईआर के बाद 12.1% की कमी ने अल्पसंख्यक बहुल जिले में सवाल उठाए हैं. निर्वाचन आयोग ने 1 सितंबर तक दावे-आपत्तियां मांगी हैं. 340 नए मतदान केंद्र बनाए गए. यह बदलाव आगामी विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है.

विधानसभा-वार प्रभाव- सात विधानसभा क्षेत्रों में नाम हटाने की संख्या अलग-अलग रही. पूर्णिया सदर में सबसे अधिक 49,860 नाम कटे. अमौर में 46,948, धमदाहा में 42,930, बनमनखी में 36,636, कस्बा में 35,647, रूपौली में 35,343 और बायसी में 26,556 नाम हटे. अब अमौर में 2,88,806, बायसी में 2,69,845, कस्बा में 2,66,501, बनमनखी में 2,91,401, रूपौली में 2,87,230, धमदाहा में 3,01,735 और पूर्णिया सदर में 2,88,993 मतदाता बचे हैं.

विधानसभा क्षेत्र कितने नाम हटे मतदाता बचे
पूर्णिया सदर 49,860 2,88,993
अमौर 46,948 2,88,806
धमदाहा 42,930 3,01,735
बनमनखी 36,636 2,91,401
कसबा 35,647 2,66,501
रूपौली 35,343 2,87,230
बायसी 26,556 2,69,845

अल्पसंख्यक क्षेत्रों में सवाल

पूर्णिया में 38.4% मुस्लिम आबादी है और यहां नाम हटाने की दर राज्य औसत 8.3% से अधिक रही. कथित बांग्लादेशी प्रवासियों की मौजूदगी के दावों के बीच कुछ दलों ने इसे टारगेटेड कदम बताया है. स्थानीय मतदाताओं ने शिकायत की कि 2024 में वोट देने वालों के नाम भी गायब हैं. एक बूथ-स्तरीय अधिकारी ने बताया कि जिला स्तर पर नाम हटाए जाते हैं और कई बार दस्तावेजों में गड़बड़ी के कारण ऐसा होता है.

दावे-आपत्ति और नई व्यवस्था

निर्वाचन आयोग ने 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे-आपत्तियां मांगी हैं. प्रखंडों और नगर निगम में शिविर सुबह 10 से शाम 5 बजे तक चलेंगे. डीएम अंशुल कुमार ने राजनीतिक दलों के साथ बैठक की. जिले में 340 नए मतदान केंद्र बनाए गए, जिससे कुल संख्या 2,553 हो गई. बता दें कि पूर्णिया सहित बिहार के कई जिलों में मतदाता सूची संशोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं. कोर्ट ने सुझाव दिया कि आधार, वोटर आईडी, और राशन कार्ड को सत्यापन के लिए स्वीकार किया जाए.

2025 चुनाव पर क्या होगा असर?

12.1% मतदाताओं की कटौती से 2025 के विधानसभा चुनाव प्रभावित हो सकते हैं. बता दें कि 2020 के चुनाव में बिहार की कई सीटें कम अंतर से जीती गई थीं, और इस तरह के बड़े बदलाव नतीजों को पलट सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आधार, वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों से सत्यापन का सुझाव दिया है.   अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी, जिसके बाद यह स्पष्ट होगा कि कितने मतदाताओं को वापस शामिल किया गया.

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