सल्तनत ए बंगाल बांग्लादेश का इस्लामिक संगठन है, जिस पर तुर्की का प्रभाव बताया जाता है.
बांग्लादेश में भारत के खिलाफ एक बार फिर कुछ ऐसा हुआ है जिसकी गूंज भारतीय संसद तक पहुंच गई है. इस बार बहस की वजह से एक पोस्टर जिसमें ग्रेटर बांग्लादेश को दर्शाया गया है. विवाद इस बात पर है कि इस पोस्टर में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों कुछ हिस्सों को भी ग्रेटर बांग्लादेश में शामिल दिखाया गया है. छह कारनामा किया है ‘सल्तनत ए बांग्ला’ ने. यह एक संगठन है जो ग्रेटर बांग्लादेश की मांग करता है, इसका सीधा कनेक्शन तुर्की से है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खुद संसद में इसकी जानकारी दी है.
युनूस की अंतिरम सरकार जब से बांग्लादेश में स्थापित हुई तब से पड़ोसी मुल्क से अक्सर भारत के खिलाफ मोर्चा खोला जाता है. इस बार ढाका विश्वविद्यालय में एक पोस्टर इसकी वजह बना है. संसद में कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे लेकर सवाल उठाया था. जयशंकर ने इसके जवाब में ही सल्तनत ए बांग्ला का जिक्र किया है.
क्या है ‘सल्तनत ए बांग्ला’
सल्तनत ए बांग्ला का नाम बंगाल सल्तनत से लिया गया है, जो एक स्वतंत्र मुस्लिम शासित राज्य था. 1352 और 1538 ईस्वी के बीच यह सल्तनत पूर्वी भारत और बांग्लादेश के हिस्सों को कवर करती थी. इसी के नाम पर बना संगठन सल्तनत ए बांग्ला एक इस्लामी समूह है, जो ग्रेटर बांग्लादेश की मांग करता रहा है. संसद में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया है कि इस संगठन को तुर्की के गैर सरकारी संगठन तुर्की यूथ फेडरेशन का समर्थन प्राप्त है. इसी संगठन ने वो मानचित्र 14 अप्रैल को ढाका विवि में लगाया था, जिसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों मसलन असम, त्रिपुरा, उड़ीसा, झारखंड, बिहार, म्यांमार और अराकान क्षेत्र में शामिल किया गया है. हालांकि बांग्लादेश सरकार का दावा है कि ऐसा कोई भी संगठन बांग्लादेश में सक्रिय नहीं है. बांग्लादेश सरकार के फैक्ट चेकर प्लेटफॉर्म बांग्ला फैक्ट में ये दावा किया गया है कि जिस प्रदर्शनी में यह मैप प्रदर्शित किया गया था उसके आयोजकों का भी किसी विदेशी राजनीतिक संस्था से कोई संबंध नहीं है.
तुर्की यूथ फेडरेशन से क्या है संबंध?
तुर्की यूथ फेडरेशन एक एनजीओ है, इसकी स्थापना 12 अप्रैल 2004 को तुर्की में हुई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण विकास, युवा सशक्तीकरण, सामाजिक समावेश, मानवाधिकार और लोकतंत्र और संवाद क्षेत्रों में काम करना है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दावा किया है कि यही संगठन सल्तनत ए बांग्ला का सपोर्ट कर रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि यही एनजीओ सल्तनत ए बांग्ला को आइडियोलॉजिकल और फाइनेंशियल सपोर्ट कर रही है. बांग्लादेश की सरकार भले ही किसी विदेशी राजनीतिक ताकत से इंकार होने की बात कहे, लेकिन यह एनजीओ खुद ही ऐलान कर चुकी है कि वह बांग्लादेश के एजुकेशन सेक्टर और धार्मिक संगठनों को सपोर्ट करता है.
कैसे युनुस को पपेट बना रहा मुस्लिम ब्रदरहुड
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के पीएम युनुस एक पपेट की तरह काम कर रहे हैं और उन्हें मुस्लिम ब्रदरहुड चला रहा है. बताया जा रहा है कि सऊदी अरब ने विजन 2030 के चलते बांग्लादेश के मदरसा और मस्जिदों की फंडिंग रोक दी थी. इससे जो वैक्यूम बना, उसे भरने में तुर्की और कतर ने दिलचस्पी दिखाई. ऐसा कहा जाता है कि बांग्लादेश में सक्रिय जमात ए इस्लामी ही बांग्लादेश में मुस्लिम ब्रदरहुड की कमान संभाले है. जमात ए इस्लामी और हिज्ब उत तहरीर भी कई बार ये दावा कर चुके हैं कि दुनिया में पॉलिटिकल बॉर्डर नहीं होने चाहिए. जहां भी मुस्लिम रह रहे हैं वहां एक इस्लामिक स्टेस्ट होना चाहिए. इसी साल मार्च में इसे लेकर हिज्ब उत तहरीर ने खिलाफ मार्च भी निकाला था.
युनुस की बेटी से संबंध!
बांग्लादेश में सल्तनत-ए-बंगाल संगठन से युनुस की बेटी दीना के वित्तीय संबंधों का दावा किया जा रहा है. इस संगठन का मुख्यालय बेलियाघाटा में है, इसके अलावा उप शाखा बारावा ए बंगाल में है. इसे संगठन का रसद और भर्ती केंद्र भी माना जाता है, जहां पर युवा कैडरों को भर्ती करना और उन्हें शिक्षित करने का काम होता है. न्यूज एरिना की एक रिपोर्ट में भारतीय खुफिया अधिकारी के हवाले से लिखा है कि बांग्लादेशी सरकार के करीबी लोगों की SEM में संलिप्तता है और यह गलती जानबूझकर अनदेखी की जा रही है.