सांसद ने कहा कि यदि सदन में किसी नियम का उल्लंघन हो रहा हो, तो सांसद ‘प्वाइंट ऑफ ऑर्डर’ उठा सकते हैं। यह एक वैध संसदीय प्रक्रिया है जिसे सभापति को गंभीरता से लेना चाहिए, न कि नजरअंदाज करना चाहिए।
Vice President of India: जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद फिलहाल भारत के उपराष्ट्रपति की कुर्सी खाली पड़ी है। इस पद के लिए जल्द ही चुनाव होने वाला है। चुनाव आयोग की तरफ से इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। चुनाव के नतीजे सामने आते ही जल्द ही देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर एक नया चेहरा विराजमान होगा। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) से राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखकर भारत के अगले उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति को आठ सलाह दी है।
1. विपक्ष की नोटिस पर ध्यान दें
डेरेक ओ ब्रायन लिखते हैं कि राज्यसभा की कार्यवाही में विपक्ष की भूमिका बेहद अहम होती है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि विपक्ष की ओर से दिए गए नोटिसों को स्वीकार करने में भारी गिरावट आई है। 2009 से 2016 के बीच 110 नोटिस स्वीकार हुए, जबकि 2017 से 2024 के बीच केवल 36। राज्यसभा के नियम 267 के तहत किसी राष्ट्रीय महत्व के विषय पर चर्चा के लिए दिन का अन्य काम स्थगित किया जा सकता है। लेकिन पिछले आठ वर्षों में एक भी चर्चा इस नियम के तहत नहीं हो पाई।
2. सांसदों का सामूहिक निलंबन रोका जाए
दिसंबर 2023 में संसद के इतिहास का सबसे बड़ा निलंबन हुआ जब 146 सांसदों को निलंबित किया गया। इनमें से 100 लोकसभा से थे यूपीए I और II के 10 वर्षों में कुल 50 सांसदों को ही निलंबित किया गया था। आपको बता दें कि विपक्ष के सांसद संसद की सुरक्षा में सेंध को लेकर गृह मंत्री का बयान मांग रहे थे, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया।
3. उपसभापति पद के लिए योग्य चयन हो
राज्यसभा के अध्यक्ष के पास छह सांसदों को उपसभापति पैनल में मनोनीत करने का अधिकार होता है। डेरेक ने कहा कि हाल के वर्षों में लगभग 30 सांसदों को इसमें नामित किया गया, जिससे यह प्रक्रिया अनौपचारिक ‘सांस्कृतिक परंपरा’ जैसी बन गई है।
उन्होंने कहा कि केवल अनुभवी सांसदों को यह जिम्मेदारी दी जाए। संबंधित राजनीतिक दल से अनौपचारिक चर्चा की जाए।
4. विपक्ष के विरोध प्रदर्शनों को सेंसर न किया जाए
डेरेक के मुताबिक, संसद टीवी पर सरकार पक्ष की सीटें और गतिविधियां तो दिखाई जाती हैं, लेकिन विपक्ष के विरोध प्रदर्शन नहीं दिखाए जाते हैं। यह पारदर्शिता के सिद्धांत के खिलाफ है और लोकतंत्र के साथ अन्याय भी है।
5. अधिक विधेयकों को संसदीय समिति में भेजा जाए
उन्होंने कहा कि विधेयकों की गुणवत्ता तभी सुधरती है जब वे विशेषज्ञों और हितधारकों के सुझावों से गुजरें। उन्होंने कहा कि 14वीं लोकसभा में 60% विधेयक समिति को भेजे गए। 15वीं लोकसभा में 70%। 16वीं और 17वीं लोकसभा में यह आंकड़ा घटकर लगभग 30% और 20% रह गया।
6. सांसदों को संशोधन और मतदान का अधिकार मिले
टीएमसी सांसद ने कहा है कि जब कोई विधेयक पास हो रहा हो, तो हर सांसद को संशोधन प्रस्ताव देने और उस पर डिविजन (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग) की मांग करने का संवैधानिक अधिकार है। हाल के वर्षों में कई बार इस अधिकार को रोका गया, विशेष रूप से कृषि कानूनों के दौरान ऐसा देखा गया।
7. ‘प्वाइंट ऑफ ऑर्डर’ को नजरअंदाज न किया जाए
उन्होंने कहा कि यदि सदन में किसी नियम का उल्लंघन हो रहा हो, तो सांसद ‘प्वाइंट ऑफ ऑर्डर’ उठा सकते हैं। यह एक वैध संसदीय प्रक्रिया है जिसे सभापति को गंभीरता से लेना चाहिए, न कि नजरअंदाज करना चाहिए।
8. जन्मदिन की बधाइयों की परंपरा समाप्त करें
हाल के वर्षों में सांसदों को जन्मदिन पर बधाई देने की परंपरा शुरू की गई है। लेकिन अगर 200 से अधिक सांसदों को 2-2 मिनट दिए जाएं, तो यह साल भर में 400 मिनट से अधिक समय लेता है। यह समय राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।