भारत अमेरिका से अपने प्राकृतिक गैस आयात, संचार उपकरण और सोने की खरीद में बढ़ोतरी करने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है ताकि आने वाले तीन से चार वर्षों में भारत-अमेरिका व्यापार असंतुलन को कम किया जा सके।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। इसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापार और रणनीतिक रिश्तों में तकरार देखने को मिलने लगी है। ट्रंप ने कहा है कि भारत ने अब तक अमेरिका के साथ कम बिजनेस किया है। उन्होंने भारत के ऊंचे आयात शुल्क को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। इस बीच भारत ने अमेरिका से F-35 फाइटर जेट्स खरीदने से जुड़ी एक डील को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
भारत ने एक तरह से जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका को बताया है कि अब F-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स खरीदने में रुचि नहीं रह गई है। ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। आपको बता दें कि यह प्रस्ताव फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप द्वारा दिया गया था।
रक्षा सौदों पर भारत की प्राथमिकता अब स्वदेशी डिजाइन और निर्माण पर केंद्रित है। मोदी सरकार अब ऐसे रक्षा मॉडल की तलाश में है जिसमें ‘मेक इन इंडिया’ के तहत संयुक्त उत्पादन और तकनीकी हस्तांतरण को महत्व दिया जाए।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार फिलहाल ट्रंप की इस चकित कर देने वाली घोषणा पर कोई तात्कालिक जवाबी कार्रवाई नहीं करेगी। इसके बजाय व्हाइट हाउस को शांत करने के लिए वैकल्पिक उपायों पर विचार किया जा रहा है।
भारत अमेरिका से अपने प्राकृतिक गैस आयात, संचार उपकरण और सोने की खरीद में बढ़ोतरी करने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है ताकि आने वाले तीन से चार वर्षों में भारत-अमेरिका व्यापार असंतुलन को कम किया जा सके।
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस के रिश्तों को लेकर कहा था, “मुझे फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं को साथ ले जाएं, मुझे कोई परवाह नहीं।” उन्होंने यह भी कहा था कि भारत हमेशा से अपनी सैन्य खरीद का बड़ा हिस्सा रूस से डील करता रहा है। रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा ग्राहक भी है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत इस समय व्यापार वार्ता को पटरी पर बनाए रखने को प्राथमिकता दे रहा है। हालांकि, रक्षा खरीद को फिलहाल विचार से बाहर रखा गया है।