डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए वैश्विक व्यापार व्यवस्था में एक बार फिर बड़ा झटका दिया है. उन्होंने भारत समेत कई देशों पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है, जो 7 अगस्त से लागू होंगे. लेकिन इस पूरी लिस्ट में सबसे चौंकाने वाला फैसला सीरिया को लेकर है.
अमेरिका ने सीरिया पर 41 फीसदी टैरिफ लगाया है, जबकि पिछले साल अमेरिका ने इस देश से सिर्फ 11 मिलियन डॉलर का आयात किया था. यानी कुल व्यापार न के बराबर, लेकिन टैक्स सबसे ज्यादा.
क्या है ट्रंप का नया टैरिफ प्लान?
ट्रंप ने Further Modifying The Reciprocal Tariff Rates नाम से नया कार्यकारी आदेश जारी किया है, जिसके तहत 68 देशों और यूरोपीय संघ (EU) पर कम से कम 10% और व्यापार घाटे वाले देशों पर 15% या उससे ज्यादा का शुल्क लागू किया गया है. भारत पर 25% और पाकिस्तान पर 19% का टैरिफ लगाया गया है.
सीरिया पर सबसे ज्यादा टैक्स क्यों?
सीरिया, जो एक दशक से ज्यादा चले गृहयुद्ध के बाद अब धीरे-धीरे पुनर्निर्माण की कोशिश कर रहा है, उस पर इतना भारी शुल्क लगाना चौंकाता है. संयुक्त राष्ट्र और ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका ने 2024 में सीरिया से सिर्फ 11 मिलियन डॉलर का सामान मंगवाया.
इसमें ज़्यादातर कृषि उत्पाद और पुरातन वस्तुएं शामिल थीं. जानकार मानते हैं कि ये कदम सीरिया की पहले से ही कमजोर हो चुकी अर्थव्यवस्था के लिए एक और झटका है. युद्ध के बाद पुनर्निर्माण की कोशिशों में जुटे सीरिया के लिए यह फैसला बाधा बन सकता है. जानकार मानते हैं कि टैरिफ लगाने की वजह सीधी है, दबाव बनाना और नियंत्रण बनाए रखना.
पहले से ही दबाव में है सीरियाई अर्थव्यवस्था
सीरिया पहले से ही अमेरिका के कड़े प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. ये प्रतिबंध बशर अल-असद शासन के दौरान हुए मानवाधिकार उल्लंघनों के चलते लगाए गए थे. अमेरिका और सीरिया के बीच कोई औपचारिक बैंकिंग संबंध नहीं है. ट्रंप ने हाल ही में मिडिल ईस्ट के दौरे पर सीरिया पर लगे कुछ पुराने वित्तीय प्रतिबंधों को खत्म करने की बात भी कही थी, ताकि देश में विदेशी निवेश आ सके. लेकिन नए टैरिफ से ये प्रक्रिया भी उलझती दिख रही है.
चीन को क्यों छोड़ा गया बाहर?
चौंकाने वाली बात ये है कि इस टैरिफ लिस्ट में चीन का नाम शामिल नहीं है. जबकि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध लंबे समय से चर्चा में रहा है. विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रम्प की इस रणनीति का मकसद उन छोटे देशों पर दबाव बनाना है, जिनसे अमेरिका को समान व्यापार की उम्मीद है, भले ही उन देशों से व्यापारिक लेन-देन बहुत ही कम क्यों न हो.