होम देश PM Kisan to Ujjwala beneficiaries of these central schemes to face fresh audit Explained पीएम किसान से लेकर उज्ज्वला तक, इन योजनाओं के लाभार्थियों का नए सिरे से होगा ऑडिट; क्या असर?, India News in Hindi

PM Kisan to Ujjwala beneficiaries of these central schemes to face fresh audit Explained पीएम किसान से लेकर उज्ज्वला तक, इन योजनाओं के लाभार्थियों का नए सिरे से होगा ऑडिट; क्या असर?, India News in Hindi

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इस नई कवायद से न केवल डुप्लीकेट या अपात्र लाभार्थियों को हटाया जाएगा, बल्कि योजनाओं की डिजाइन और पात्रता मानदंडों में भी जरूरी संशोधन किया जा सकेगा ताकि सही जरूरतमंदों तक मदद पहुंचे। जानिए पूरी डिटेल।

भारत सरकार ने विभिन्न केंद्रीय कल्याणकारी योजनाओं, जैसे पीएम किसान निधि, उज्ज्वला योजना, पीएम आवास योजना, मुफ्त अनाज योजना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लाभार्थियों का नए सिरे से ऑडिट और सत्यापन करने का फैसला किया है। यह प्रक्रिया दिसंबर 2025 तक पूरी की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य इन योजनाओं के लाभार्थियों के डेटा को अपडेट करना और यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी सहायता सही लोगों तक पहुंचे।

इकनॉमिक टाइम्स ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा है कि इस तरह की प्रक्रियाएं समय-समय पर होती रहती हैं, लेकिन इस बार यह व्यापक स्तर पर की जाएगी। सभी लाभार्थियों के पास आधार कार्ड होना और उनका बैंक खाता आधार से लिंक होना अनिवार्य किया गया है। इस प्रक्रिया के तहत प्रत्येक मंत्रालय राज्यों के सहयोग से लाभार्थियों का आधार आधारित KYC सत्यापन करेगा और उनसे परिवार के अन्य सदस्यों के आधार कार्ड सहित अन्य जरूरी दस्तावेज भी मांगे जाएंगे, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी को खत्म किया जा सके।

अधिकारी ने बताया कि सरकार आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ भेजने को प्राथमिकता दे रही है और निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य की सभी योजनाएं आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AEPS) के जरिए ही डिजाइन की जाएं, ताकि केवल आधार लिंकिंग नहीं बल्कि वास्तविक प्रमाणीकरण सुनिश्चित किया जा सके। सरकार इस प्रक्रिया से योजनाओं की वास्तविक स्थिति का भी मूल्यांकन करेगी। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 2.2 करोड़ लाभार्थियों ने 3 से 12 महीनों तक मुफ्त राशन नहीं उठाया, जिससे यह संकेत मिलता है कि या तो उन्हें अब इसकी जरूरत नहीं रही या फिर डेटा में गड़बड़ी है।

ऑडिट और सत्यापन का मकसद क्या है?

भारत सरकार की कई कल्याणकारी योजनाएं डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए चलाई जाती हैं। इन योजनाओं के तहत लाभार्थियों को सीधे उनके बैंक खातों में पैसा या अन्य लाभ ट्रांसफर किए जाते हैं। लेकिन समय-समय पर यह देखा गया है कि कुछ लोगों के नाम गलत या फर्जी तरीके से लाभार्थी लिस्ट में शामिल हो जाते हैं, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग होता है। इसलिए सरकार ने फैसला किया है कि सभी लाभार्थियों का आधार-आधारित KYC सत्यापन किया जाएगा। यह सत्यापन केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिलकर किया जाएगा ताकि डेटा में किसी भी तरह की गड़बड़ी को दूर किया जा सके। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि योजनाओं का लाभ केवल वास्तविक और पात्र लोगों तक ही पहुंचे।

इसके अलावा, यह ऑडिट अगले वित्त वर्ष (अप्रैल 2026 से शुरू) से पहले डेटा को अपडेट करने के लिए भी जरूरी है। सरकार इस प्रक्रिया के जरिए योजनाओं की दक्षता को बढ़ाने और जरूरत पड़ने पर उनके नियमों या पात्रता मानदंडों में बदलाव करने की योजना बना रही है।

किन योजनाओं का होगा ऑडिट?

इस ऑडिट में कई प्रमुख केंद्रीय योजनाएं शामिल होंगी-

पीएम किसान सम्मान निधि: इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को हर साल 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। ऑडिट से यह सुनिश्चित होगा कि केवल पात्र किसान ही इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।

उज्ज्वला योजना: इस योजना में गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन दिए जाते हैं। ऑडिट से यह पता लगाया जाएगा कि कनेक्शन का उपयोग सही तरीके से हो रहा है या नहीं।

पीएम आवास योजना: इस योजना के तहत गरीबों को पक्का मकान बनाने के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। ऑडिट यह जांचेगा कि लाभ सही लोगों तक पहुंच रहा है।

मुफ्त अनाज योजना: इस योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त या रियायती दर पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS): इस प्रणाली के तहत राशन कार्ड धारकों को सस्ते दाम पर खाद्य सामग्री दी जाती है।

ऑडिट की प्रक्रिया कैसे होगी?

आधार-आधारित KYC सत्यापन: सभी लाभार्थियों का आधार नंबर उनके बैंक खातों और योजना से जुड़े डेटा के साथ जोड़ा जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि एक ही व्यक्ति को कई योजनाओं में डुप्लिकेट लाभ न मिले।

केंद्र और राज्य का सहयोग: केंद्र सरकार इस प्रक्रिया में राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी ताकि डेटा में किसी भी तरह की गड़बड़ी को पकड़ा जा सके।

डेटा अपडेशन: ऑडिट के दौरान पुराने या गलत डेटा को हटाया जाएगा और नया, सटीक डेटा जोड़ा जाएगा।

योजनाओं में सुधार: सत्यापन के दौरान मिली जानकारी के आधार पर सरकार योजनाओं के नियमों या पात्रता मानदंडों में बदलाव कर सकती है।

उदाहरण के लिए, अगर कोई लाभार्थी योजना का लाभ नहीं ले रहा है, तो यह माना जा सकता है कि उसे इसकी जरूरत नहीं है, और उसका नाम लिस्ट से हटाया जा सकता है।

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ऑडिट का क्या असर होगा?

आधार-आधारित सत्यापन से फर्जी लाभार्थियों को हटाया जा सकेगा, जिससे सरकारी धन का सही उपयोग होगा। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2025 में लगभग 2.2 करोड़ लाभार्थियों ने मुफ्त अनाज योजना का लाभ 3 से 12 महीने तक नहीं लिया, जिससे यह संकेत मिलता है कि या तो डेटा में गड़बड़ी है या उन्हें इसकी जरूरत नहीं है।

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर ने पिछले एक दशक में सरकार को भारी बचत कराई है। 2014 में DBT के जरिए 7,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे, जो 2025 में बढ़कर 6.83 लाख करोड़ रुपये हो गए हैं। ऑडिट से यह बचत और बढ़ सकती है। ऑडिट से मिली जानकारी के आधार पर सरकार योजनाओं को और प्रभावी बना सकती है। अगर किसी योजना का लाभ सही लोगों तक नहीं पहुंच रहा, तो उसके नियमों में बदलाव किए जा सकते हैं। अपडेटेड डेटा अगले वित्त आयोग चक्र के लिए महत्वपूर्ण होगा, जो केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच संसाधनों के बंटवारे में मदद करेगा।

पिछले एक दशक में DBT ने भारत में कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के तरीके को बदल दिया है। DBT ने लगभग 30 करोड़ लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा है। 2014 में जहां केवल 50% आबादी के पास बैंक खाते थे, वहीं 2017 तक यह बढ़कर 80% हो गया। DBT के जरिए सरकार ने फर्जी और डुप्लिकेट लाभार्थियों को हटाकर अब तक 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत की है। आधार और जन धन खातों के साथ मोबाइल फोन की तिकड़ी (JAM ट्रिनिटी) ने सरकारी योजनाओं को पारदर्शी और कुशल बनाया है। DBT ने वित्तीय समावेशन में लैंगिक अंतर को 20% से घटाकर 6% कर दिया है।

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