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भूकंप और सुनामी के बाद भी जापान को क्यों नहीं हुआ नुकसान, सिर्फ एक मौत

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सुनामी का अलर्ट.

रूस में बुधवार को आए भीषण भूकंप के बाद जापान की चिंता बढ़ गई है. जापान में सुनामी का खतरा मंडरा रहा है, जिसके चलते समुद्र के किनारे बसे शहरों, कस्बों, गांवों और परमाणु रिएक्टरों को खाली करा लिया गया है और हवाई अड्डों को बंद कर दिया गया है, जबकि कार्यालय में काम करने वालों को ऊंची मंजिलों पर शिफ्ट किया गया है.

ऐसी सुनामी के लिए जापान तैयार तो है, लेकिन 2011 के पूर्वी जापान भूकंप और सुनामी को भुलाया नहीं जा सका था और उस आपदा से मिले सबक को अमल में लाया जा रहा था, इसलिए चिंताएं होना लाज़मी है. होक्काइडो से रीब 1,500 किलोमीटर दूर रूस के कामचटका प्रायद्वीप के तट पर आए 8.7 तीव्रता के भूकंप के बाद दुनिया भर के देशों ने आने वाली लहरों के लिए तैयारी कर ली है, हवाई, अमेरिकी मैन लैंड और इक्वाडोर सहित प्रशांत द्वीपों के लिए अलर्ट जारी किया गया है और कुछ स्थानों पर 3 मीटर से अधिक ऊंची सुनामी की संभावना जताई गई है.

जापान में खतरा बरकरार

जापान में सुनामी का खतरा बरकरार है, बुधवार दोपहर के आखिर तक, तट पर आने वाली सबसे ऊंची लहरें 1.3 मीटर ऊंची थीं. जापान से एक शख्स की मौत की खबर मिली है और कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है. अन्य जगहों पर भी स्थिति लगभग वैसी ही है.

जापान में अधिकारियों ने जनता को तैयार रहने के लिए कहा है, क्योंकि सुनामी अप्रत्याशित हो सकती है और लहरें तट पर आने के काफी समय बाद भी चरम पर पहुंच सकती हैं, जबकि हो सकता है कि लहरें भूकंप के केंद्र से बहुत दूर स्थित क्षेत्रों तक न पहुंची हों.

मौसम विभाग ने क्या कहा?

मौसम विज्ञान एजेंसी ने कहा, “सुनामी लंबे समय तक बार-बार आ सकती है. पहली सुनामी के बाद आने वाली लहरें बड़ी हो सकती हैं, इसलिए सुनामी की चेतावनी या परामर्श हटाए जाने तक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना जारी रखना जरूरी है.”

एजेंसी के मुताबिक हर लहर की अवधि बहुत लंबी होती है, यानी एक लहर चक्र के गुजरने में लगभग एक घंटा लग सकता है, इसलिए सुनामी गतिविधि लंबे समय तक देखी जा सकती है. ऊंची सुनामी लहरों का खतरा कम से कम एक दिन तक बना रह सकता है.

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