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Prashant Kishor News: प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा रखी है. बीजेपी नेताओं पर लगातार उनके बयान से खलबली मची हुई है. डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर दिए उनके एक बयान के बाद एफआईआर …और पढ़ें
हाइलाइट्स
- प्रशांत किशोर पर सम्राट चौधरी के बयान के बाद एफआईआर दर्ज हुई.
- पीके की जन सुराज यात्रा ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है.
- बीजेपी नेताओं पर पीके के बयान से खलबली मची है.
पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले प्रशांत किशोर की सियासत ने बिहार में नया तूफान खड़ा कर दिया है. बिहार की राजनीति में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में कोई है तो वह हैं प्रशांत किशोर यानी पीके. अपनी जन सुराज यात्रा और लगातार हो रही बड़ी-बड़ी सभाओं के जरिए पीके राज्य के राजनीतिक समीकरणों को चुनौती दे रहे हैं. साथ ही बीजेपी के नेताओं को बारी-बारी से निशाने पर ले रहे हैं. पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पीके के निशाने पर थे अब बिहार सरकार में नंबर-2 और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी उनके निशाने पर आ गए हैं. हाल ही में उन्होंने सम्राट चौधरी को लेकर जो तीखा बयान दिया, उसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भाजपा वाकई प्रशांत किशोर की राजनीति से डरी हुई है? क्या एफआईआर दर्ज करा कर पीके पर एक तरह से राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश तो नहीं है?
सम्राट चौधरी पर हमला और एफआईआर
पीके ने हाल ही में अररिया में सम्राट चौधरी पर तंज कसते हुए कहा था कि उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की लालसा में अपनी प्रतिबद्धता और ‘मुरेठा’ दोनों को कुर्बान कर दिया. इस बयान को बीजेपी ने अपमानजनक माना और एक नेता ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि पीके बीजेपी नेताओं की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. यह एफआईआर बीजेपी की रक्षात्मक रणनीति का हिस्सा हो सकती है, जिसका मकसद पीके की बढ़ती लोकप्रियता को कानूनी दबाव से रोकना है. हालांकि, यह कदम उल्टा भी पड़ सकता है, क्योंकि यह पीके को पीड़ित के रूप में पेश कर सकता है, जिससे उनकी जन सुराज पार्टी को सहानुभूति मिल सकती है.
क्या वोट बैंक खिसकने का डर तो नहीं?
बीजेपी का क्या होगा नया प्लान?
पीके का प्रभाव केवल उनकी रणनीतिक समझ तक सीमित नहीं है. उनकी ताकत बिहार के युवा और निराश मतदाताओं को एक नया विकल्प देने में है. बीजेपी को वो सपोर्टर जो नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में नहीं देखना चाहते हैं, वे सब पीके की तरफ देखने लगे हैं. पीके नैरेटिव उनके सवर्ण और ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगा सकता है. पीके ने हाल ही में सीएजी की रिपोर्ट का हवाला देकर नीतीश सरकार पर 70,000 करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगाया, जिससे एनडीए की छवि को नुकसान पहुंचा है. साथ ही, उनकी बीपीएससी अभ्यर्थियों के आंदोलन में हिस्सेदारी और पुलिस लाठीचार्ज की आलोचना ने उन्हें युवाओं के बीच और लोकप्रिय बनाया है.

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा…और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा… और पढ़ें