विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में कहा कि पाकिस्तान ने ही युद्धविराम की गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा कि 193 में से केवल तीन देशों ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध किया था।
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को पूरी दुनिया में बेनकाब कर दिया। उन्होंने कहा कि यूएन में शामिल 193 देशों में से केवल तीन ऐसे देश थे जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन नहीं किया था। बाकी के देशों ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव द्विपक्षीय मामला था। किसी अन्य देश के दखल से ऑपरेशन सिंदूर को नहीं रोका गया था, बल्कि डीजीएमओ के स्तर पर पाकिस्तान ने ही आगे बढ़कर ऑपरेशन रोकने की गुहार लगाई थी।
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि 22 अप्रैल से 17 जून तक पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर कोई बात नहीं हुई। उन्होंने कहा कि 9 मई को अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने फोन किया था। प्रधानमंत्री नोदी ने स्पष्ट बता दिया था कि अगर पाकिस्तान कोई हरकत करता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
विदेश नीति पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार की विदेश नीति की ही वजह से अमेरिका ने टीआरएफ को आतंकियों की लिस्ट में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि 26/11 आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा अगर अमेरिका से भारत आ गया है तो वह विदेश नीति की वजह से ही संभव हो पाया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चुनौती यह थी कि पाकिस्तान सिक्योरिटी काउंसिल का सदस्य है। सिक्योरिटी काउंसिल में हमारा लक्ष्य था कि इस हमले में जिन लोगों की जान गई है, उनके परिवारों को न्याय मिले। उन्होंने कहा, 22 अप्रैल को सुरक्षा परिषद ने कहा था कि सभी सदस्य आतंकी हमले की निंदा करते हैं। इस तरह के आतंकी हमले पूरी दुनिया की शांति के लिए खतरा हैं। जो लोग भी इस हमले के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें बेनकाब करना जरूरी है।
एस जयशंकर ने कहा, विपक्ष ने हमसे पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर क्यों बंद कर दिया गया। आप देखिए कि यह सवाल पूछ कौन रहा है। 26/11 हमले के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा था कि सैन्य स्तर पर इसका जवाब नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन आपने वह भी नहीं किया। नवंबर 2008 में हमला हुआ और फिर भारत की तत्कालीन सरकार और पाकिस्तान की सरकार इस बात पर सहमत होते हैं कि आतंकवाद दोनों के लिए चुनौती है। आपकी अपनी सरकार कह रही थी कि आतंकवाद दोनों देशों के लिए खतरनाक है। यूपीए सरकार ने बलूचिस्तान का जिक्र किया। क्या बलूचिस्तान और भारत के आतंकी हमले की तुलना की जा सकती है? विदेश मंत्री ने कहा कि जुलाई 2006 में मुबंई में ट्रेन में विस्फोट हुए। इसके तीन महीने बाद ही दोनों देशों में वार्ता को फिर से शुरू करने की सहमति बन गई।