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रूस के हमलों के बीच यूक्रेन से रूठा ये यूरोपीय देश, जानिए क्या है नाराजगी

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विदेश मंत्री पीटर सिज्जार्टो.Image Credit source: Getty Images

रूस की ओर से हो रहे हमलों के बीच यूक्रेन से एक और यूरोपीय देश रूठ गया है. यह देश है हंगरी, जिसके विदेश मंत्री पीटर सिज्जार्टो ने सार्वजनिक तौर पर तनावपूर्ण संबंधों को स्वीकारा है. उन्होंने कहा है कि यूक्रेन ने हंगरी के लोगों के साथ जिस तरह का व्यवहार किया है, वही बुडापेस्ट और कीव के बीच तनाव का अहम कारण है.

यूक्रेन के पश्चिमी जकारपटिया इलाके में 1 लाख से डेढ़ लाख हंगेरियन रहते हैं. RT की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक में कीव ने यहां शिक्षा और सार्वजनिक जीवन में गैर यूक्रेनी भाषाओं के प्रयोग को प्रतिबंधित करने वाले कानून अपनाए हैं. इनकी बुडापेस्ट ने तीखी आलोचना की है और भेदभाव के आरोप लगाए हैं.

रूस के साथ संघर्ष से कहीं ज्यादा है ये तनाव

आईआईए नोवोस्ती के साथ एक इंटरव्यू में सिज्जार्टो ने स्वीकार किया कि यूक्रेन के साथ बुडापेस्ट का तनाव, रूस के साथ संघर्ष से कहीं ज्यादा है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध बहुत ही ज्यादा खराब है, इनका युद्ध से कोई लेना देना नहीं है. सिज्जार्टो के मुताबिक ये संबंध तकरीबन दस साल पहले तब शुरू हुए थे, जब यूक्रेन की सरकार ने राष्टीय अलपसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन शुरू कर दिया था. उन्होंने उम्मीद जताई कि यूक्रेन में एक दिन ऐसा प्रशासन होगा जो अल्पसंख्यकों का न सिर्फ सम्मान करेगा बल्कि उनके अधिकारों को भी बहाल करेगा.

यूक्रेन के तीन अधिकारियों पर EU के प्रतिबंध की मांग

यूक्रेन की सेना में हंगरीवासियों को जबरन भर्ती किया जा रहा है, इसका हंगरी के अधिकारियों ने विरोध किया था. हाल ही में हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने हंगेरियन जोसेफ सेबेस्टियन की मोत के लिए यूक्रेनी सेना को जिम्मेदार ठहराया था. यूक्रेन ने कहा था कि सेबेस्टियन की मौत किसी बीमारी की वजह से नहीं हुई है. उनके हिंसा के कोई लक्षण भी नहीं दिखे हैं, फिर भी हंगरी ने यूरोपीय संघ ने अनुरोध किया था कि वह तीन यूक्रेनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए.

हंगरी चर्च में लगाई गई थी आग

यूक्रेन के जकापटिया में स्थित एक हंगरी चर्च में इसी साल आग लगा दी गई थी. इसकी हंगरी की ओर से कड़े शब्दों में निंदा की गई थी.ओरबान ने यूक्रेन के नाटो और यूरोपीय संघ में शामिल होने के प्रयासों का भी विरोध किया था. इसमें तर्क दिया गया था कि इस कदम से रूप के साथ युद्ध छिड़ने का खतरा है. हुआ भी यही था, हालांकि हंगरी ने यूक्रेन में किसी भी तरह के हथियार भेजने का विरोध किया था. हालांकि यूक्रेन ने भेदभाव के आरोपों से इन्कार किया है.

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