होम राजनीति Tej Pratap Yadav News: तेज प्रताप यादव का हरी टोपी छोड़ पीली टोपी वाला हो जाना…’लालू परिवार की राजनीति’ का रंग रोचक होने वाला है!

Tej Pratap Yadav News: तेज प्रताप यादव का हरी टोपी छोड़ पीली टोपी वाला हो जाना…’लालू परिवार की राजनीति’ का रंग रोचक होने वाला है!

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पटना. बिहार की सियासत में एक ‘नया रंग’ तब उभर आया जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपनी प्रतिष्ठा और आरजेडी की पहचान से जुड़ी हरी टोपी छोड़कर पीली टोपी धारण कर ली. माना जा रहा है कि यह बदलाव केवल रंग का नहीं, बल्कि सियासी मंशा का भी प्रतीक है. दरअसल, महुआ से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर तेज प्रताप यादव ने राजद से दूरी और अपनी नई पहचान की ओर कदम बढ़ा दिया है. ‘टीम तेज प्रताप यादव’ के बैनर तले उनकी यह रणनीति बिहार की राजनीति में हलचल मचा रही है. क्या यह परिवार और पार्टी से बगावत है या नई सियासी जमीन तैयार करने की कोशिश? जानकारों की नजर में तेज प्रताप यादव का हरी टोपी से पीली टोपी में परिवर्तन बिहार की राजनीति में कई संकेतों की ओर इशारा करता है जो उनके व्यक्तिगत और राजनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव को साफ-साफ बता रहा है. आइये हम आगे समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर इस परिवर्तन के क्या संकेत हैं.

राजद से दूरी और स्वतंत्र पहचान की कोशिश: बता दें कि हरी टोपी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का पारंपरिक प्रतीक रही है जो लालू प्रसाद यादव की पार्टी की पहचान से जुड़ी है. लालू परिवार के दिल के करीब यह हरी टोपी अब तेज प्रताप यादव ने त्याग दिया है. जानकारों का कहना है कि तेज प्रताप का पीली टोपी अपनाना और ‘टीम तेज प्रताप यादव’ का गठन इस बात का संकेत है कि वे RJD से अलग अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाने की दिशा में कदम उठा रहे हैं. यह विशेष रूप से तब स्पष्ट होता है जब उन्होंने RJD के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल और परिवार के कई सदस्यों को अनफॉलो कर दिया है.

महुआ से निर्दलीय चुनाव की घोषणा

तेज प्रताप ने वैशाली जिले की महुआ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है जो पहले उनकी विधानसभा सीट रह चुकी है. जानकार कहते हैं कि आरजेडी में उनके लिए असम्मानजनक बातें कही जाने लगी हैं, ऐसे में तेज प्रताप यादव की पीली टोपी और ‘टीम तेज प्रताप यादव’ का झंडा अपना इस बात का प्रतीक है कि वे आरजेडी में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की छत्रछाया से बाहर निकलकर अपने समर्थकों के साथ एक नया मंच स्थापित करना चाहते हैं. यह कदम RJD के इतर उनकी स्थिति और प्रभाव को मजबूत करने या परिवार और पार्टी से अलग अपनी सियासी जमीन तैयार करने की रणनीति हो सकती है.

परिवार और पार्टी से तनाव का संकेत

तेज प्रताप यादव को राष्ट्रीय जनता दल और लालू परिवार से 6 साल के लिए निष्कासित किया गया है जिसका कारण उनकी निजी जिंदगी से जुड़ा अनुष्का यादव प्रकरण है. इस निष्कासन और उनके आरजेडी के प्रतीकों (हरी टोपी और झंडा) को छोड़ना यह बताता है कि वे परिवार और पार्टी नेतृत्व, विशेष रूप से तेजस्वी यादव के रुख से असंतुष्ट हैं. जानकार कहते हैं कि पीली टोपी उनके इस विद्रोह और नई शुरुआत की ओर संकेत देती है.

नई राजनीतिक रणनीति या छवि परिवर्तन

तेज प्रताप का कहना है कि ‘टीम तेज प्रताप यादव’ कोई नई पार्टी नहीं, बल्कि एक ओपन प्लेटफॉर्म है जो युवाओं, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर काम करेगा. पीली टोपी और नए झंडे का उपयोग उनकी छवि को नया रूप देने और बिहार की राजनीति में जनता, खासकर युवाओं, के बीच एक सकारात्मक और स्वतंत्र छवि बनाने की कोशिश हो सकती है. यह उनकी पुरानी ‘अगंभीर’ छवि से अलग एक गंभीर और जिम्मेदार नेता के रूप में ‘रीब्रांडिंग’ का हिस्सा हो सकती है.

बिहार की राजनीति में नया मोड़!

तेज प्रताप का यह कदम बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर रहा है, क्योंकि यह RJD के लिए आंतरिक चुनौती बन सकती है. उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने और नए प्रतीकों को अपनाने से RJD का वोट बैंक, विशेष रूप से यादव समुदाय प्रभावित हो सकता है. साथ ही यह अन्य दलों, जैसे- बीजेपी को RJD में सेंध लगाने का अवसर दे सकता है. कुछ जानकारों का कहना है कि यह कदम तेज प्रताप की ओर से दबाव की राजनीति भी हो सकती है, ताकि वे RJD में अपनी स्थिति दोबारा मजबूत कर सकें.

सांकेतिक और सांस्कृतिक आयाम

हालांकि, हरी टोपी छोड़कर उनके पीली टोपी के चयन को लेकर कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में पीली टोपी को भगवान कृष्ण के पीतांबर से जोड़ा गया है जिसे तेज प्रताप अक्सर अपने व्यक्तित्व से जोड़ते हैं. ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि पीली टोपी सांकेतिक रूप से उनकी छवि को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत करने की कोशिश हो सकती है. हालांकि, इसका सियासी मकसद स्पष्ट रूप से आरजेडी से अलगाव और नई पहचान स्थापित करना ही है.

स्वतंत्र रास्ते की खोज का ‘गंभीर प्रतीक’!

जानकार कहते हैं कि तेज प्रताप यादव का हरी टोपी से पीली टोपी में परिवर्तन बिहार की राजनीति में उनके स्वतंत्र रास्ते की खोज, आरजेडी और लालू परिवार से दूरी और नई राजनीतिक पहचान बनाने की कोशिश का ‘गंभीर प्रतीक’ है. तेज प्रताप का यह कदम RJD के लिए आंतरिक संकट पैदा कर सकता है और बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में नई राजनीतिक समीकरणों को जन्म दे सकता है. हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि तेज प्रताप पूरी तरह से नई पार्टी बनाएंगे या अपनी इस रणनीति का उपयोग आरजेडी में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए करेंगे.

किस मोड़ पर खड़ी है तेज की सियासत?

तेज प्रताप यादव का हरी टोपी छोड़कर पीली टोपी अपनाना बिहार की सियासत में एक नया रंग और मोड़ ला रहा है. यह कदम राजद से उनकी बगावत और स्वतंत्र सियासी पहचान बनाने की कोशिश का प्रतीक है. महुआ से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान और ‘टीम तेज प्रताप’ का गठन उनके अलग रास्ते का संकेत देता है. इससे राजद के वोट बैंक में सेंधमरी हो सकती है. उनके इस कदम से नीतीश कुमार और विपक्षी दलों को रणनीति बदलने की चुनौती मिलेगी. इसके साथ ही लालू परिवार में दरार और तेजस्वी की नेतृत्व छवि पर सवाल उठ सकते हैं. बिहार का सियासी रंगमंच अब अप्रत्याशित गठबंधनों और टकरावों का गवाह बन सकता है. आगे का इंतजार कीजिये क्योंकि बिहार का सियासी रंगमंच अब और रोचक होने वाला है.

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