होम देश Government Double Attitude on Proposal Against Justice Yashwant Varma Trying to Avoid Embarrassment Says Congress जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव मामले पर सरकार का दोहरा रवैया, शर्मिंदगी से बचने की कोशिश: कांग्रेस, India News in Hindi

Government Double Attitude on Proposal Against Justice Yashwant Varma Trying to Avoid Embarrassment Says Congress जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव मामले पर सरकार का दोहरा रवैया, शर्मिंदगी से बचने की कोशिश: कांग्रेस, India News in Hindi

द्वारा
Hindi NewsIndia NewsGovernment Double Attitude on Proposal Against Justice Yashwant Varma Trying to Avoid Embarrassment Says Congress

उन्होंने कहा कि 21 जुलाई 2025 को कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने प्रस्ताव संबंधी नोटिस राज्यसभा में दिया, जो कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के विषय से जुड़ा था। इस प्रस्ताव के नोटिस पर 63 राज्यसभा सदस्यों के दस्तखत थे।

Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 26 July 2025 05:29 PM

कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि सरकार ने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की प्रक्रिया सिर्फ लोकसभा में शुरू करने की बात करके दोहरे रवैये और पाखंड का परिचय दिया है क्योंकि इससे संबंधित प्रस्ताव मिलने का उल्लेख तत्कालीन सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में किया था और ऐसे में कानून के मुताबिक इस प्रक्रिया में उच्च सदन की भी भूमिका होनी चाहिए। पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दावा किया कि सरकार शर्मिंदगी से बचने के लिए यह कह रही है कि राज्यसभा में प्रस्ताव स्वीकार नहीं हुआ है।

केंद्रीय संसदीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को कहा था कि इसमें कोई संदेह में नहीं रहना चाहिए कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने की कार्यवाही प्रक्रिया लोकसभा में शुरू होगी। सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ”हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और होते हैं। न्यायपालिका के विषय की जवाबदेही में भाजपा बिलकुल ऐसा ही दोहरा रवैया अपना रही है। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार और भाजपा के राजनीतिक शब्दकोश में दोहरा रवैया और ‘पाखंड’ पर विशेष जोर दिया गया है।”

उन्होंने कहा, ”21 जुलाई 2025 को कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने प्रस्ताव संबंधी नोटिस राज्यसभा में दिया, जो कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के विषय से जुड़ा था। इस प्रस्ताव के नोटिस पर 63 राज्यसभा सदस्यों के दस्तखत थे। इसके अलावा, लोकसभा में दिए गए एक अन्य प्रस्ताव पर 152 सदस्यों के दस्तखत थे।” सिंघवी के मुताबिक, जगदीप धनखड़ ने औपचारिक रूप से कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से पूछा कि दूसरा प्रस्ताव लोकसभा में है या नहीं, तब मंत्री ने ‘हां’ में जवाब दिया।

उन्होंने कहा, ”लेकिन कल एक पूर्व कानून (किरेन रिजीजू) मंत्री ज्ञान दे रहे थे कि कोई प्रस्ताव राज्यसभा में स्वीकार ही नहीं हुआ।” कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि अगर ऐसा है तो राज्यसभा सभापति को इतना बड़ा वक्तव्य देने की जरूरत क्या थी? सिंघवी ने कहा, ”जब धनखड़ साहब कह रहे थे कि मेरे पास राज्यसभा में प्रस्ताव आ गया है, जो कानून के तथ्यों को संतुष्ट करता है। साथ ही, कानून मंत्री भी लोकसभा में प्रस्ताव के दिए जाने की बात मान रहे थे तो फिर प्रस्ताव को स्वीकार करने लिए क्या बचता है? मैं जानना चाहता हूं।”

उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि यदि एक ही दिन दोनों सदन में प्रस्ताव दिया जाता है तो फिर जांच समिति दोनों के पीठासीन अधिकारियों के समन्वय और सहमति से बनेगी। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ”ये सब मोदी सरकार की असुरक्षा को दिखाता है। इन्हें बस किसी तरह शर्मिंदगी से बचना है। इससे ये भी मालूम पड़ता है कि इनका संवैधानिक प्रक्रिया, न्यायिक जवाबदेही और भ्रष्टाचार विरोधी कदम से कोई संबंध नहीं है।” सिंघवी ने दावा किया कि सत्तापक्ष का मकसद न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने का नहीं, बल्कि राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए दिखावा करना है।

आपको यह भी पसंद आ सकता हैं

एक टिप्पणी छोड़ें

संस्कृति, राजनीति और गाँवो की

सच्ची आवाज़

© कॉपीराइट 2025 – सभी अधिकार सुरक्षित। डिजाइन और मगध संदेश द्वारा विकसित किया गया