होम देश 20 years of mumbai flood how fire department saved hundreds of lives जब मुंबई में आ गई थी जल प्रलय, दमकल कर्मियों ने देवदूत बनकर बचा ली थी 300 लोगों की जान, India News in Hindi

20 years of mumbai flood how fire department saved hundreds of lives जब मुंबई में आ गई थी जल प्रलय, दमकल कर्मियों ने देवदूत बनकर बचा ली थी 300 लोगों की जान, India News in Hindi

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मुंबई में 20 साल पहले भीषण बाढ़ आई थी। एक रिटायर्ड दमकल विभाग के अधिकारी ने उस समय को याद करते हुए बताया कि कैसे 300 लोगों की जान बचाई गई थी। उनमें कई दिव्यांग भी शामिल थे।

मुंबई में एक भीषण बाढ़ को 20 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन दमकल विभाग सेवानिवृत्त अधिकारी प्रभात राहंगडाले जब भी उस दौर को याद करते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बीस साल पहले, उस दिन यहां 24 घंटे के अंदर अभूतपूर्व 944 मिलीमीटर बारिश हुई थी तथा उच्च ज्वार के कारण अचानक बाढ़ और भूस्खलन हुआ, जिससे 450 लोगों की मौत हो गई थी। राहंगडाले को स्पष्ट रूप से याद है कि कैसे उनकी टीम ने 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्रों–कुर्ला पश्चिम, बीकेसी और कलिना से, आमतौर पर साहसिक खेलों में इस्तेमाल होने वाले ‘कयाक’ और ‘जेट स्की’ का इस्तेमाल करके 300 लोगों को बचाया था।

उन्होंने याद करते हुए कहा, ‘मैंने हजारों बचाव कार्यों में भाग लिया है, लेकिन कुछ घटनाएं मेरी स्मृति में हमेशा के लिए अंकित हो गई हैं।’ उस समय, दमकल विभाग और नगर निगम के पास समर्पित बाढ़ बचाव दल नहीं था, जिसकी वजह से राहंगडाले को समुद्र तट पर साहसिक गतिविधियों में विशेषज्ञता रखने वाली एक एजेंसी से कर्मियों को नियुक्त करना पड़ा।

वह और अन्य अधिकारी जीप में सवार होकर सायन सर्कल से बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स होते हुए कलानगर पहुंचे। रास्ते में पानी भरा था और जगह-जगह वाहन फंसे हुए थे। अब पीछे मुड़कर देखने पर, राहंगडाले को एहसास होता है कि उन्होंने कितना बड़ा जोखिम उठाया था। उन्होंने कहा, ‘उस दिन सिर्फ तीन गाड़ियां ही कलानगर क्रॉसिंग तक पहुंच पाईं। पीछे मुड़कर देखने पर मुझे एहसास होता है कि यह कितना खतरनाक था। खुशकिस्मती से हमारी जीप खराब नहीं हुई। हमने देखा कि दूसरी गाड़ियां लगभग डूब चुकी थीं।’

बीकेसी के पूर्वी हिस्से में पहुंचने के बाद, टीम ने बचाव कार्य शुरू करने से पहले एमटीएनएल भवन में एक कमान और नियंत्रण केंद्र स्थापित किया। मीठी नदी के दूसरे किनारे पर एक भयावह दृश्य दिखाई दे रहा था।

उन्होंने कहा, “एक डबल-डेकर बस लगभग पूरी तरह से कीचड़ भरे पानी में डूब गई थी, सिर्फ उसकी छत दिखाई दे रही थी।” बचाव कार्य की तैयारियों के दौरान, राहंगडाले ने मदद की गुहार लगा रही एक महिला की आवाज सुनी। वह किसी तरह बिजली के खंभे पर चढ़ी हुई थी और उसके कंधे पर एक बच्चा था।

जब पानी का स्तर उसकी कमर तक पहुंच गया, टीम को एहसास हो गया कि समय कम होता जा रहा है। उन्होंने तुरंत एक कयाक और एक जेट स्की का इस्तेमाल किया और महिला एवं बच्चे को बचा लिया। राहंगडाले ने कहा, “महिला ने बताया कि वह एलबीएस रोड जंक्शन पर 90 मिनट से फंसी थी। मुझे आज भी हैरानी होती है कि वह एक बच्चे को गोद में लिए हुए, चारों तरफ से बहते पानी के बीच, खंभे पर कैसे चढ़ गई।”

घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर, बचावकर्मियों ने एक बस देखी जिसमें 20-25 लोग पानी में फंसे हुए थे। उनमें दिव्यांग और छोटी लड़कियां भी शामिल थीं। उन्होंने कहा, “हमने उन्हें पीछे की आपातकालीन खिड़कियों से बाहर निकाला।”

लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित दो बसों के बीच रस्सी बांधी गई, जिससे फंसे हुए लोगों को कयाक के माध्यम से पहले डबल-डेकर बस की छत पर ले जाया जा सका, तथा अंततः एमटीएनएल भवन में सुरक्षित पहुंचाया गया।

राहंगडाले ने कहा, “उस महिला और दिव्यांग व्यक्तियों को बचाकर मुझे अपार संतुष्टि मिली।” राहंगडाले से पूछा गया कि बीते दो दशक में क्या बदला है? इसपर उन्होंने कहा कि मुंबई अग्निशमन विभाग अब शहरी बाढ़ से निपटने के लिए नावों, कयाकों और जेट स्की से लैस है। इसके अतिरिक्त, समुद्र तट सुरक्षा दल भी बनाए गए हैं, जिससे ऐसी परिस्थितियों में होने वाली मौतों में उल्लेखनीय कमी आई है।

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