सर्वे में जुटाए डेटा के आधार पर सरकार प्रत्येक उप-जाति की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति का विश्लेषण कर रही है। इसका उद्देश्य उन समुदायों को लक्षित सहायता प्रदान करना है जो अभी भी विकास में पीछे हैं।
तेलंगाना सरकार ने हाल ही में किए गए व्यापक जाति सर्वेक्षण के आधार पर एक अभूतपूर्व कदम उठाने की योजना बनाई है, जिसके तहत प्रत्येक उप-जाति के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए लाभ और योजनाएं प्रदान की जाएंगी। जातिगत सर्वेक्षण के आधार पर अब राज्य की 59 अनुसूचित जातियों (SC) और 33 अनुसूचित जनजातियों (ST) को शिक्षा, रोजगार और व्यक्तिगत स्तर पर वित्तीय सहायता जैसी सुविधाएं विशेष रूप से उपलब्ध कराई जाएंगी। इन योजनाओं को हर जाति और उपजाति की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक का ध्यान मुख्य रूप से सबसे बड़ी अनुसूचित जाति ‘मडिगा’ और उसके बाद ‘माला’ उपजाति पर केंद्रित रहा था, लेकिन नई रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है कि शेष 57 उपजातियां अब भी काफी पिछड़ी हुई हैं। इस आधार पर सरकार अब इन उपेक्षित जातियों के लिए ‘कस्टमाइज्ड स्कीम्स’ लागू करेगी। इसी तरह की योजनाएं 134 पिछड़ी जातियों (BC) की लगभग 50 उपजातियों के लिए भी तैयार की जाएंगी।
यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी. सुधर्शन रेड्डी की अध्यक्षता वाली 11 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार की गई 300 पन्नों की रिपोर्ट के बाद सामने आई है, जिसे हाल ही में मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को सौंपा गया।
डिप्टी सीएम ने दी जानकारी
राज्य के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क (वित्त एवं योजना, ऊर्जा मंत्री) ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “यह रिपोर्ट केवल आंकड़े नहीं है, बल्कि यह हर समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति की गहरी झलक देती है। हमें अब हर जाति और परिवार स्तर तक विशिष्ट समाधान तैयार करने होंगे।” एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जातियों की संख्यात्मक ताकत के आधार पर सरकार न केवल योजनाएं बनाएगी, बल्कि शिक्षा, रोजगार में आरक्षण, व्यक्तिगत वित्तीय सहायता और राजनीतिक प्रतिनिधित्व तक में भी इसे ध्यान में रखा जाएगा- यहां तक कि मंडल और जिला परिषद की सीटों तक।
कुछ चौंकाने वाले खुलासे भी
जातिगत सर्वे में कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में पिछड़ी जातियों (BC) की जनसंख्या 56% से अधिक हो चुकी है। इसी आधार पर राज्य सरकार ने 11 जुलाई को दो विधेयक पारित किए थे- एक स्थानीय निकायों में पिछड़ी जातियों को 42% आरक्षण देने का, और दूसरा शिक्षा व रोजगार में 42% आरक्षण देने का।
इन विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा गया था। लेकिन सरकार को संकेत मिले कि राष्ट्रपति कार्यालय इन विधेयकों को मंजूरी नहीं देगा। इसके बाद मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, डिप्टी सीएम भट्टी विक्रमार्क और अन्य वरिष्ठ नेता दिल्ली रवाना हुए और AICC कार्यालय में प्रेजेंटेशन देकर दबाव बनाने की कोशिश की। इसके अलावा, एक और रोचक तथ्य यह रहा कि करीब 4% लोगों ने खुद को ‘जातिविहीन’ घोषित किया है।
अंतिम आंकड़े क्या कहते हैं?
जातिगत सर्वेक्षण में कुल 1,15,71,457 घरों को कवर किया गया और कुल जनसंख्या 3,55,50,759 दर्ज की गई। इसमें –
- SC जनसंख्या: 61,91,294 (17.42%)
- ST जनसंख्या: 37,08,408 (10.43%)
- BC जनसंख्या: 2,00,37,668 (56.36%)
- अन्य जातियां: 56,13,389 (15.89%)
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने इस सर्वे को भारत के लिए एक “रोल मॉडल” बताया। उन्होंने कहा कि यह सर्वे घर-घर जाकर और लोगों के आत्म-प्रमाणन के आधार पर किया गया है, जिसमें कुल 88 करोड़ पन्नों की जानकारी एकत्र की गई है। तेलंगाना सरकार ने इसे सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक-रोजगार-राजनीतिक (SEEPC) सर्वे नाम दिया है।