फ्रांस फिलिस्तीन को जल्द ही देगा मान्यता
फ्रांस ने फिलिस्तीन को अलग देश के तौर पर मान्यता देने का ऐलान कर दिया है. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि वह सितंबर में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान इस फैसले को औपचारिक रूप से दुनिया के सामने रखेंगे. फ्रांस की मान्यता से फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अंतरराष्ट्रीय वैधता भले मिल जाए, लेकिन इससे एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है आखिर इस नए देश का नेतृत्व कौन करेगा?
89 साल के महमूद अब्बास साल 2004 से फिलिस्तीनी अथॉरिटी और PLO (पैलेस्टाइन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन) के प्रमुख हैं. लेकिन बढ़ती उम्र और बदलते राजनीतिक हालात को देखते हुए अब अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ गया है कि वो अपनी जगह किसी उत्तराधिकारी को तैयार करें.
हुसैन अल-शीख: अगला नेता?
इसी साल अप्रैल में अब्बास ने अपने करीबी और पुराने सहयोगी हुसैन अल-शीख को PLO का उपाध्यक्ष नियुक्त किया. यह फैसला PLO की एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में लिया गया. माना जा रहा है कि हुसैन अल-शीख को ही आजाद फिलिस्तीन देश का पहला राष्ट्रपति बनाया जा सकता है.
1960 में जन्मे हुसैन फतह पार्टी से जुड़े रहे हैं और लंबे समय से इजराइल के साथ बातचीत के मुख्य संपर्क अधिकारी भी रहे हैं. उन्हें व्यावहारिक सोच वाला और अब्बास का सबसे भरोसेमंद सहयोगी माना जाता है.
क्यों जरूरी है नेतृत्व परिवर्तन?
फिलिस्तीनी अथॉरिटी की लोकप्रियता पिछले कुछ सालों में तेजी से घटी है. भ्रष्टाचार के आरोप, इजराइली सैन्य कार्रवाइयों से निपटने में नाकामी और 2005 के बाद चुनाव न होने की वजह से जनता में असंतोष बढ़ा है. गाजा में हमास और वेस्ट बैंक में PA के बीच गहराते मतभेदों ने फिलिस्तीनी नेतृत्व को और कमजोर किया है. अमेरिका और खाड़ी देशों का भी दबाव है कि फिलिस्तीनी अथॉरिटी में सुधार हो और एक मजबूत नेतृत्व सामने आए जो इजराइल से दो-राष्ट्र समाधान के तहत ठोस बातचीत कर सके.
अब आगे क्या?
अब सबकी नजरें इस पर हैं कि सितंबर में फ्रांस के ऐलान के बाद फिलिस्तीन किस दिशा में आगे बढ़ता है. क्या हुसैन अल-शीख फिलिस्तीन के पहले राष्ट्रपति बनेंगे या फिर कोई नया नाम सामने आएगा—ये आने वाले महीनों में साफ होगा. लेकिन इतना तय है कि फ्रांस की मान्यता ने फिलिस्तीन की सियासत को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है.