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पाकिस्तान को हथियार देने वाले तुर्की को खुद लड़नी पड़ेगी जंग, सीरिया में बिछी बिसात

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तुर्की को खुद लड़नी पड़ेगी जंग, सीरिया में बिछ गई बिसात

मध्य पूर्व में एक और जंग का मोर्चा खुल सकता है. जंग के लपेटे में इस बार तुर्की है. कहा जा रहा है कि जिस तरीके का सिचुएशन बन रहा है, उसमें न चाहते हुए भी तुर्की को जंग के मैदान में उतरना पड़ेगा. दरअसल, तुर्की ने 4 दिन पहले ऐलान किया था कि अगर सीरिया का डेमोक्रेटिक फोर्स हथियार नहीं डालता है तो उसे सबक सिखाया जाएगा.

एसडीएफ ने तुर्की के इस अल्टीमेटम को ठेंगा दिखा दिया है, जिसके बाद दमिश्क से अंकारा तक सैन्य सरगर्मी तेज हो गई है. पर्दे के पीछे से पाकिस्तान जैसे देशों को हथियार सप्लाई करने वाला तुर्की लंबे वक्त से किसी देश से जंग नहीं लड़ा है.

तुर्की को युद्ध में खुद क्यों उतरना पड़ेगा?

1. एसडीएफ के मुकाबले सीरिया की सेना कमजोर- सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्स के पास वर्तमान में 1 लाख लड़ाके हैं. अल शरा के नेतृत्व वाली सेना भी बहुत ज्यादा मजबूत नहीं है. अल शरा राष्ट्रपति तो बन गए हैं, लेकिन अभी तक सेना और सरकार का ठीक ढंग से गठन नहीं कर पाए हैं.

अल मायादीन के मुताबिक अल शरा की रक्षा भी तुर्की की सेना ही कर रही है. सीरिया में हाल ही में अल शरा को मारने की 3 कवायद हुई थी, लेकिन तुर्की की सेना की वजह से उन्हें बचा लिया गया.

2. सीरिया उलझा तो कई मोर्चे एक साथ खुलेंगे- अल शरा की सेना अगर आधिकारिक तौर पर सीरिया डेमेक्रोटिक फोर्स से उलझती है तो एक साथ सीरिया में कई मोर्चे खुल जाएंगे. अल शरा के खिलाफ ड्रूज और अलावी समुदाय पहले से मोर्चा खोल रखा है.

तुर्की यह बात भली-भांति जानता है. इसलिए तुर्की ने एसडीएफ को सीधी चेतावनी दी है. तुर्की के विदेश मंत्री ने 2 दिन पहले पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि एसडीएफ नहीं मानता है तो उसे सबक सिखाया जाएगा.

3. आतंक मुक्त तुर्की का सपना रहेगा अधूरा– एसडीएफ सीरिया के जिन इलाकों में सक्रिय है. वो तुर्की सीमा से लगा है. रैसप एर्दोआन ने आतंक मुक्त तुर्की का अभियान चलाया है. कहा जा रहा है कि अगर सीरिया के इन इलाकों में एसडीएफ हथियार नहीं डालता है तो यह आतंक मुक्त तुर्की के अभियान पर असर डालेगा.

तुर्की ने कई कोशिशों के बाद कुर्द्स लड़ाकों को अपने देश में हथियार डालने के लिए मनाया है. एसडीएफ अगर आंख दिखाता है तो इस बात की संभावना है कि कुर्द्स पीकेके के कई लड़ाके उसके साथ जा सकते हैं. यह तुर्की के लिए झटका साबित होगा.

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