ईरान के राष्ट्रपति जाएंगे पाकिस्तान के दौरे पर
ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेश्कियन 26 जुलाई को पाकिस्तान के दौरे पर आ रहे हैं. राष्ट्रपति बनने के बाद ये उनका पहली पाक यात्रा होगी. ये दौरा ईरान इजराइल के बीच चली 12 दिनों की जंग के बाद हो रही है. लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब ईरान ने किसी बड़े क्षेत्रीय तनाव खासतौर पर इरजराइल से टकराव के बाद पाकिस्तान का रुख किया हो.
इससे पहले अप्रैल 2024 में भी जब इजराइल और ईरान के बीच झड़प हुई थी तब तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी तीन दिन के दौरे पर पाकिस्तान पहुंचे थे. आइए जानते हैं कि जब भी ईरान इजराइल में तनाव बढ़ता है, तब ईरान पाकिस्तान की तरफ ही रूख क्यों करता है?
पाकिस्तान की तरफ रूख क्यों?
विश्लेषकों के मुताबिक, जब भी ईरान पर बाहरी दबाव खासकर इज़राइल या अमेरिका से बढ़ता है, तो ईरान पड़ोसी मुल्कों के साथ रिश्तों को मजबूत करने में जुट जाता है. और पाकिस्तान इस रणनीति का अहम हिस्सा होता है. पाकिस्तान के साथ साझा धार्मिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास को ईरान ऐसे मौके पर राजनयिक पूंजी की तरह इस्तेमाल करता है. इससे उसे न सिर्फ क्षेत्रीय समर्थन मिलता है, बल्कि ये संदेश भी जाता है कि वह अकेला नहीं है.
बातचीत की टेबल पर तेल, गैस और बॉर्डर सिक्योरिटी
इस्लामाबाद में राष्ट्रपति पेज़ेश्कियन की मुलाकात प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ से होगी, जहां व्यापार, सुरक्षा, ऊर्जा और सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी. खास बात ये है कि बलूचिस्तान के कई इलाकों में ईरान पहले से ही बिजली सप्लाई कर रहा है और दोनों देशों के बीच LPG और तेल का अनौपचारिक व्यापार भी चलता है. अब इस दौरे के जरिए इन सौदों को औपचारिक रूप देने की कोशिश हो सकती है.
कैसे रहे हैं दोनों देशों के रिश्ते?
ईरान और पाकिस्तान के बीच रिश्तों का इतिहास तनावपूर्ण रहा है. दोनों ही एक-दूसरे पर सशस्त्र समूहों पर लगाम लगाने में नाकाम रहने का आरोप लगाते रहे हैं. 2024 की शुरुआत में दोनों देशों के बीच गंभीर तनाव देखने को मिला था, जब ईरान ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की थी और बदले में पाकिस्तान ने भी ईरान में मिसाइल दागी थी. लेकिन कुछ ही हफ्तों में दोनों देशों ने बातचीत से मामले को शांत किया.
पाकिस्तान के लिए ईरान क्यों जरूरी है?
जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान के लिए ईरान से अच्छे रिश्ते इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि भारत और अफगानिस्तान के साथ पहले से ही उसके रिश्ते चुनौतीपूर्ण हैं. ईरान के साथ तनाव एक और मोर्चा खोल देगा, जिसे पाकिस्तान अभी नहीं झेल सकता.
वहीं ईरान के लिए भी पाकिस्तान एक ऐसा पड़ोसी है जिसके जरिए वह अपनी क्षेत्रीय ताकत का संदेश दे सकता है चाहे वो इज़राइल के खिलाफ हो या पश्चिमी दबाव के जवाब में.