फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू.
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गुरुवार को ऐलान किया कि फ्रांस अब फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा. उन्होंने कहा कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी. यह फैसला मिडिल ईस्ट में शांति स्थापना के नाम पर लिया गया है, लेकिन इजराइल इसे अपने खिलाफ एक बड़ा कूटनीतिक हमला मान रहा है.
फिलिस्तीन वाले फैसले के 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि फ्रांस ने इजराइल के लिए एक और सियासी झटका तैयार कर दिया. अल अरेबिया की एक खबर के मुताबिक फ्रांस, अमेरिका और सीरिया ने एक साझा बयान जारी कर कहा कि वे सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और एकता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे. तीनों देशों ने साफ किया कि सीरिया को उसके पड़ोसियों के लिए खतरा नहीं बनने दिया जाएगा और न ही पड़ोसी देशों को सीरिया के लिए खतरा बनने दिया जाएगा.
दमिश्क पर इजराइली हमला, तनाव चरम पर
हाल ही में इजराइल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में जोरदार हवाई हमला कर दिया था. इस हमले में सीरिया के रक्षा मंत्रालय को निशाना बनाया गया था. इजराइल की यह कार्रवाई उसके ‘डेविड कॉरिडोर’ नामक रणनीति से जोड़ी जा रही है, जिसके जरिए वह सीरिया के दक्षिणी हिस्से में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है.
ड्रूज समुदाय पर हमला, खतरे की घंटी
सीरिया के स्वेइदा शहर में ड्रूज समुदाय और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों के बाद इजराइल ने सीरियाई सेना को चेतावनी दी थी कि अगर ड्रूज समुदाय पर हमले नहीं रुके तो वह सीरियाई सेना को नेस्तनाबूद कर देगा. यह बयान सीरिया की संप्रभुता पर सीधा हमला माना गया.
‘ग्रेटर इजराइल’ का सपना?
इजराइल की गतिविधियां ‘ग्रेटर इजराइल’ की पुरानी थ्योरी को हवा दे रही हैं. माना जाता है कि इजराइल धीरे-धीरे सीरिया, लेबनान और फिलिस्तीन के हिस्सों को मिलाकर अपने क्षेत्र को विस्तार देना चाहता है. हालांकि इजराइल ने आधिकारिक तौर पर ऐसे किसी प्लान की पुष्टि नहीं की है, लेकिन उसके सैन्य एक्शन और बयानबाज़ी इसी ओर इशारा करते हैं.