होम देश HRW Report Forced Deportation of Bengali Muslims from India to Bangladesh भारत से बांग्लादेश भेजे गए बंगाली भाषी मुस्लिम: एचआरडब्ल्यू, India News in Hindi

HRW Report Forced Deportation of Bengali Muslims from India to Bangladesh भारत से बांग्लादेश भेजे गए बंगाली भाषी मुस्लिम: एचआरडब्ल्यू, India News in Hindi

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ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सैकड़ों बंगाली भाषी मुसलमानों को जबरन बांग्लादेश भेजा गया है। रिपोर्ट में 1,500 से अधिक लोगों की सीमा पार खदेड़े जाने का जिक्र है। भारतीय…

डॉयचे वेले दिल्लीFri, 25 July 2025 12:58 PM

ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में रहने वाले सैकड़ों बंगाली भाषी मुसलमानों को जबरन पड़ोसी देश बांग्लादेश भेजा गया है.इन लोगों ने एचआरडब्ल्यू को बताया कि अगर वे नहीं जाते, तो उनकी जान को खतरा था.एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट में बांग्लादेशी अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा गया है कि 7 मई से 15 जून के बीच कम से कम 1,500 मुस्लिम पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को सीमा पार से खदेड़ा गया.इनमें से कुछ के साथ मारपीट की गई और उनके भारतीय पहचान पत्र नष्ट कर दिए गए.वहीं, भारत सरकार ने इस बारे में कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है कि उसने कितने लोगों को अवैध अप्रवासी के तौर पर चिह्नित करके बांग्लादेश भेजा है.ह्यूमन राइट्स वॉच की एशिया निदेशक इलेन पियर्सन ने कहा, “भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भारतीय नागरिकों सहित बंगाली मुसलमानों को मनमाने ढंग से देश से निकालकर भेदभाव को बढ़ावा दे रही है” उन्होंने कहा, “भारत सरकार अवैध तरीके से देश में रह रहे विदेशियों की तलाश में हजारों कमजोर लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रही है, उसकी कार्रवाई मुसलमानों के प्रति व्यापक भेदभावपूर्ण नीतियों को दिखाती है””घुसपैठियों” के खिलाफ मोदी सरकार की मुहिमभारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने लंबे समय से अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कड़ा रूख अपनाया हुआ है.चुनाव के दौरान अपने भाषण में पीएम मोदी ने अक्सर बांग्लादेश से आए प्रवासियों का जिक्र किया और उन्हें “घुसपैठिया” कहा है.गृह मंत्रालय ने मई में राज्यों को बिना दस्तावेज वाले बांग्लादेशी प्रवासियों को पकड़ने के लिए 30 दिन की समय-सीमा दी थी.यह समय-सीमा भारतीय कश्मीर में सैलानियों पर हुए हमले के तुरंत बाद जारी की गई थी. इस हमले में संदिग्ध इस्लामी चरमपंथियों ने हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया था.भारत सरकार का दावा है कि सभी निष्कासन अवैध प्रवासन को रोकने के लिए किए गए थे.एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट में जल्दबाजी में की गई कार्रवाई की कड़ी आलोचना करते हुए कहा गया है कि सरकार का तर्क “अविश्वसनीय” है क्योंकि इसमें “उचित प्रक्रिया से जुड़े अधिकारों, घरेलू गारंटियों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों” की अवहेलना की गई है.पियर्सन ने कहा, “सरकार राजनीतिक समर्थन जुटाने के लिए उत्पीड़न से प्रभावित लोगों को शरण देने के भारत के पुराने इतिहास को कमजोर कर रही है”मई में, भारतीय मीडिया ने खबर दी थी कि अधिकारियों ने लगभग 40 रोहिंग्या शरणार्थियों को जबरन हिरासत में लिया था और उन्हें नौसेना के जहाजों के जरिए अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में छोड़ दिया था.हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे “खूबसूरती से गढ़ी गई कहानी” कहा है, लेकिन मोदी सरकार ने अभी तक सार्वजनिक रूप से इन आरोपों का खंडन नहीं किया है.मुस्लिम प्रवासी मजदूरों को बनाया गया निशानान्यूयॉर्क स्थित एचआरडब्ल्यू ने कहा कि जिन लोगों को देश से निकाला गया उनमें से कुछ बांग्लादेशी नागरिक थे.जबकि, कई भारतीय नागरिक बांग्लादेश के पड़ोसी राज्यों के बंगाली भाषी मुसलमान थे.रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि अधिकारियों ने बिना किसी उचित प्रक्रिया के तुरंत उन्हें देश से निकाल दिया. जबकि, उचित प्रक्रिया के तहत निष्कासन से पहले व्यक्ति की नागरिकता की पुष्टि करनी होती है.भारत के झारखंड में भी उभरने लगी घुसपैठ की समस्यानिष्कासित लोगों में से 300 लोग पूर्वी राज्य असम से हैं, जहां नागरिकता सत्यापन प्रक्रिया को लेकर विवाद जारी है.अन्य बंगाली भाषी मुसलमान थे जो काम की तलाश में पश्चिम बंगाल से गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और दिल्ली आए थे.भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ अभियान प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी बीजेपी और उससे जुड़े संगठनों के एजेंडे में है.बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा पश्चिम बंगाल के लिए भी बड़ा मुद्दा है.यह उन गिने-चुने राज्यों में से एक है जहां बीजेपी जीत नहीं पाई है और 2026 में वहां चुनाव होने हैं.”मुझे लगा कि वे मुझे मार देंगे”एचआरडब्ल्यू ने कहा कि उसने एक दर्जन से ज्यादा प्रभावित लोगों और उनके परिवारों से बातचीत की है.इनमें वे लोग भी शामिल थे जिन्हें बांग्लादेश भेज दिया गया था और फिर वापस भारत लाया गया. पश्चिम बंगाल के एक प्रवासी मजदूर नजीमुद्दीन शेख पांच साल से भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में रह रहे थे.उन्होंने बताया कि पुलिस ने उनके घर पर छापा मारा, उनकी भारतीय नागरिकता साबित करने वाले उनके पहचान पत्र नष्ट कर दिए और उन्हें 100 से ज्यादा अन्य लोगों के साथ बांग्लादेश सीमा पर ले जाया गया.उन्होंने कहा, “अगर हम ज्यादा बोलते थे, तो वे हमें पीटते थे.मेरी पीठ और हाथों पर लाठियों से मारते थे.वे हमें पीट रहे थे और कह रहे थे कि हम बांग्लादेशी हैं” असम के एक और मजदूर ने अपनी आपबीती सुनाई.उन्होंने कहा, “मैं बांग्लादेश में एक लाश की तरह घुसा.उनके हाथ में बंदूकें थीं.मुझे लगा कि वे मुझे मार डालेंगे और मेरे परिवार में किसी को पता भी नहीं चलेगा”.

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