पूर्व न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक
ढाका की एक अदालत ने गुरुवार को बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. खैरुल हक को जत्राबाड़ी पुलिस स्टेशन के पास हुए विद्रोह के दौरान हुई हत्या के एक मामले में गिरफ्तार किया गया है. यह फैसला हक को उनके आवास में डिटेन करने के कुछ घंटों बाद आया. बांग्लादेश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी न्यायाधीश को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया हो.
टीवी फुटेज में दिखाया गया कि पुलिस हक के हाथों में हथकड़ी लगाकर, हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट पहनाकर अदालत ले गई. बताया जा रहा है कि पुलिस रात के करीब 8 बजे हक को जेल वैन से ढाका के पुराने इलाके में स्थिति अदालत में ले गई. जहां उन्हें सीढ़ियों के रास्ते मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ले जाया गया
किस मामले में किया गया गिरफ्तार
दरअसल, पिछले साल जत्राबाड़ी में एक पुलिस चौकी के पास हिंसक आंदोलन हुआ था. इस आंदोलन के दौरान एक छात्र कार्यकर्ता अब्दूल कैयूम अहद पर धारदार हथियारों से हमला हुआ था और उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसी मामले में पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक को आरोपी ठहराकर जेल भेज दिया गया था. इस आंदोलन को तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को उखाड़ फेंकने वाला विद्रोह कहा जाता है.
हत्या में 1,000 से 2,000 लोग शामिल
एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एम सनाउल्लाह ने किशोर अब्दुल कैयूम अहद की हत्या के मामले सुनवाई करते हुए हक को जेल भेजने का आदेश दिया. इस मामले में हक को एक आरोपी के रूप में नामित किया गया था, जबकि पुलिस ने कहा कि जत्राबाड़ी इलाके में हुई इस हत्या में 1,000 से 2,000 लोग शामिल थे. अदालत में भीड़ नारे लगा कर पूर्व मुख्य न्यायाधीश खैरुल हक को फासीवादी शासन का सहयोगी बता रही थी.
हक के बचाव के लिए नहीं था कोई वकील
बांग्लादेश के एक समाचार पत्र में बताया कि अदालती कार्यवाही के दौरान हक 40 मिनट तक कटघरे में खड़े रहे, लेकिन अदालत में कोई भी वकील उनके बचाव पक्ष के लिए खड़ा नहीं हुआ. अभियोजन पक्ष मांग कर रहा था कि उन्हें जेल में डाल दिया जाए. अभियोजन पक्ष के एक वकील ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश को गिरफ्तार करने के लिए मुहम्मद यूनुस की सरकार को धन्यवाद भी दिया. अदालत में मौजूद अधिकारियों ने कहा कि वह बांग्लादेश के इतिहास में पहले मुख्य न्यायाधीश थे जिन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया.
बता दें कि हक ने 2010 से 2011 तक देश के 19वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था. वह अपने कार्यकाल के दौरान लिए गए कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाने जाते थे. उन्होंने 2011 में एक फैसला लिया था, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश की गैर-पक्षपाती कार्यवाहक सरकार प्रणाली को असंवैधानिक घोषित कर दिया था.