होम नॉलेज मालदीव की सबसे बड़ी खूबी उसके लिए सबसे बड़ा खतरा कैसे बन गई? जहां PM मोदी का दौरा

मालदीव की सबसे बड़ी खूबी उसके लिए सबसे बड़ा खतरा कैसे बन गई? जहां PM मोदी का दौरा

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5 लाख से अधिक आबादी वाले मालदीव में 1190 छोटे-छोटे द्वीप हैं.

पीएम मोदी का मालदीव दौरा चर्चा में है. वो मालदीव जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, साफ-सुथरे समुद्र और शांतिभरे माहौल के लिए जाना जाता है. मालदीव को आइलैंड का देश भी कहा जाता है क्योंकि यहां 1190 छोटे-छोटे द्वीप हैं. यहां तटों पर सफेद रेत, नीला पानी और सूरज की रोशनी स्वर्ग सा अहसास कराती है. जिस समुद्र के कारण हर साल 21 लाख भारतीय मालदीव पहुंचते हैं और दुनियाभर से पर्यटक यहां आते हैं, वही इस देश के लिए खतरा है.

मालदीव दुनिया का सबसे निचला देश है. यह समुद्र तल से केवल आठ फीट ऊपर है, जो पृथ्वी पर किसी भी अन्य देश से सबसे कम है. 90 फीसदी द्वीपों की औसत ऊंचाई समुद्र तल से लगभग सात फीट है. खतरा सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है. आगे की कहानी वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में समझाई है.

100 सालों में डूब जाएगा मालदीव

समुद्र ही मालदीव की खूबसूरती में चार चांद लगाता है और यही इसके लिए खतरा बन गया है. संयुक्त राष्ट्र समेत कई वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च की और उसमें इसकी पुष्टि की गई है. रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगले 100 सालों में मालदीव डूब सकता है. सिर्फ मालदीव ही नहीं, तुवालू, मार्शल आइलैंड, नौरू और किरीबाती भी इंसान की आबादी के रहने लायक नहीं बचेंगे. इसकी वजह है ग्लोबल वॉर्मिंग.

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा है. इसकी रिपोर्ट कहती है, अगर ग्बोबल वॉर्मिंग 1.5°C से ऊपर जाती है तो समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ेगा. इसका सबसे ज्यादा खतरा मालदीव को है. पिघलते ग्लेशियर और ग्रीन हाउस गैसों का कारण समुद्र का जलस्तर पहले ही बढ़ रहा है. इसके कारण छोटे आइलैंड वाले देशों पर संकट बना हुआ है.

Maldives Is Sinking

मालदीव को डूबने का खतरा सता रहा है. फोटो: Sebnem Coskun/Anadolu Agency via Getty Images

मालदीव अच्छी तरह से इस संकट को समझ रहा है. इस पर कड़ा एक्शन लेने के लिए मालदीव ने कई बार UN में मुद्दा उठाया और जलवायु परिवर्तन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की. मालदीव ने अपनी समस्या को बताने के लिए क्लाइमेट रिफ्यूजी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा, अगर हमारा देश डूबता है, तो नागरिकों को दूसरी जगह बसाने की ज़रूरत पड़ेगी.

एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया हे कि अगर ऐसे ही हालात बने रहे और जलवायु परिवर्तन का असर जारी रहा तो 2050 तक मालदीव 80 फीसदी तक हिस्सा रहने लायक नहीं बचेगा.

Maldives Underwater Meeting

समुद्र में हुई थी कैबिनेट बैठक

17 अक्टूबर, 2009 को मालदीव में समुद्र की गहराई में कैबिनेट बैठक हुई थी. सभी कैबिनेट मंत्री स्कूबा डाइविंग सूट और ऑक्सीजन टैंक लेकर समुद्र की गहराई में पहुंचे थे. उनकी बैठक के लिए बाकायदा अंडरवॉटर टेबल-कुर्सियों की व्यवस्था की गई थी.दुनियाभर के नेता कार्बन उत्सर्जन में कटौती करें और ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं, बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया था. इस पर सभी ने मुहर भी लगाई थी.

यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के कोपेनहेगन जलवायु सम्मेलन (COP15) में भी पेश किया गया था. जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर हुई इस अंडरवॉटर बैठक ने दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा था. यह मालदीव सरकार का एक ऐसा कदम था जो बताता है कि अगर जलवायु परिवर्तन को लेकर गंभीर कदम नहीं उठाए गए तो पूरा देश समुद्र में समा सकता है.

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