फिलिस्तीन को आजाद देश की मान्यता देगा फ्रांस
मिडिल ईस्ट में चल रहे संघर्ष के बीच फ्रांस ने फिलिस्तीन को लेकर बड़ा एलान किया है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ऐलान किया है कि उनका देश जल्द ही फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता देगा. ये ऐलान उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर किया और कहा कि सितंबर में होने वाली संयुक्त राष्ट्र के दौरान इसे औपचारिक रूप से घोषित किया जाएगा.
फ्रांस ऐसा करने वाला G7 ग्रुप का पहला बड़ा पश्चिमी देश बन जाएगा. फ्रांस के इस फैसले को लेकर दुनियाभर में हलचल मच गई है. फिलिस्तीनी अथॉरिटी ने इस पर खुशी जताई है जबकि इजराइल ने तीखी आपत्ति दर्ज कराई है.
नेतन्याहू ने कहा ये आतंकवाद को इनाम देने जैसा
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि फ्रांस का ये कदम आतंकवाद को इनाम देने जैसा है और गाजा की तरह एक और ईरानी मोहरे को जन्म देने का खतरा बढ़ाता है.
We strongly condemn President Macrons decision to recognize a Palestinian state next to Tel Aviv in the wake of the October 7 massacre. Such a move rewards terror and risks creating another Iranian proxy, just as Gaza became.
A Palestinian state in these conditions would be a
— Benjamin Netanyahu – בנימין נתניהו (@netanyahu) July 24, 2025
नेतन्याहू ने कहा कि अगर फिलिस्तीनी राज्य बनता है, तो वो इजराइल के साथ शांति से जीने का माध्यम नहीं, बल्कि उसे मिटा देने का लॉन्चपैड साबित होगा. साफ कहें तो फिलिस्तीन को इजराइल के साथ नहीं, बल्कि इजराइल की जगह चाहिए!
अब तक कौन-कौन देश मानते हैं फिलिस्तीन को?
फ्रांस से पहले 147 देशों ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी है. यानी संयुक्त राष्ट्र के कुल 193 सदस्य देशों में से लगभग 75% देश फिलिस्तीन को एक देश मानते हैं. ये देश मुख्य रूप से एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और अरब दुनिया से हैं. इनमें से कुछ प्रमुख देश हैं भारत, चीन, ब्राजील, रूस, साउथ अफ्रीका.
अरब देशों में सऊदी अरब, मिस्र, यूएई, कतर. एशियाई देशों में इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश. वहीं अफ्रीकी देशों की बात करें तो नाइजीरिया, केन्या, अल्जीरिया फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं. लैटिन अमेरिकी देशों में वेनेजुएला, क्यूबा, अर्जेंटीना शामिल हैं.
यूरोप के क्या हाल हैं?
यूरोप के कई देश धीरे-धीरे फिलिस्तीन को मान्यता दे रहे हैं. स्वीडन 2014 में ऐसा करने वाला पहला पश्चिमी यूरोपीय देश था.
2024 में हालात और बदले. 22 मई 2024 को नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने साथ में फिलिस्तीन को मान्यता दी. 4 जून 2024 को स्लोवेनिया ने भी फिलिस्तीन को एक देश माना. माल्टा और बेल्जियम जैसे देश भी इस पर चर्चा कर रहे हैं. इन देशों ने कहा कि वो 1967 की सीमा के अनुसार फिलिस्तीन को मान्यता देंगे, यानी वेस्ट बैंक, पूर्वी यरुशलम और गाज़ा पट्टी को फिलिस्तीन का हिस्सा मानते हैं.
G7 देश और अमेरिका की स्थिति
आज की तारीख में G7 के कोई भी देश, यानी अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, जापान, कनाडा और खुद फ्रांस फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता नहीं देते थे. अब फ्रांस इस ग्रुप का पहला देश बन गया है जो यह कदम उठा रहा है. अमेरिका और ब्रिटेन फिलहाल दो-राष्ट्र समाधान की बात तो करते हैं, लेकिन फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने से बचते रहे हैं.
इतिहास: कब-कब मिली मान्यता?
1988: यासिर अराफात ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया. इसके तुरंत बाद 80 से ज्यादा देशों ने मान्यता दी.
1993: ऑस्लो समझौते में इजराइल और फिलिस्तीन ने सीधी बातचीत की, लेकिन अलग राज्य बनने की उम्मीद अधूरी रह गई.
2012: UN महासभा ने फिलिस्तीन को नॉन-मेंबर ऑब्जर्वर स्टेट का दर्जा दिया.
2014: स्वीडन ने पश्चिमी यूरोप से पहली बार मान्यता दी.
फिलिस्तीन को मान्यता क्यों मायने रखती है?
इससे फिलिस्तीन की वैश्विक स्थिति मजबूत होती है. दूसरा कि इजराइल पर दबाव बढ़ता है कि वो अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करे. दो-राष्ट्र समाधान (इज़राइल और फिलिस्तीन का अलग-अलग वजूद) को बल मिलता है. गाज़ा में युद्ध और नागरिकों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ वैश्विक एकता का संकेत मिलता है.
फ्रांस की स्थिति क्यों खास है?
फ्रांस में पश्चिमी यूरोप की सबसे बड़ी मुस्लिम और सबसे बड़ी यहूदी आबादी है. इसलिए वहां मिडिल ईस्ट का कोई भी विवाद घरेलू तनाव में बदल सकता है. यही वजह है कि फ्रांस का यह कदम कूटनीतिक रूप से बहुत अहम माना जा रहा है.
फ्रांस के इस ऐलान के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि अब जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका जैसे बड़े पश्चिमी देश क्या रुख अपनाते हैं.