होम नॉलेज कंबोडिया कितने देशों का गुलाम रहा, कैसे मिलती आजादी? जो थाईलैंड से लड़ रहा जंग

कंबोडिया कितने देशों का गुलाम रहा, कैसे मिलती आजादी? जो थाईलैंड से लड़ रहा जंग

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पहली शताब्दी के आसपास कंबोडिया पर फुनान साम्राज्य का कब्‍जा रहा, इसके बाद यह कई देशों का गुलाम रहा.

कंबोडिया और थाईलैंड आमने-सामने आ गए हैं. दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर न केवल डटी हुई हैं बल्कि रह-रह कर हमले भी कर रही हैं. इन हमलों में धन-जन की हानि भी हुई है. यह संघर्ष क्या रुख लेगा, यह समय बताएगा. कंबोडिया दक्षिण-पूर्व एशिया का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध देश है. इसका इतिहास, पड़ोसी देशों से संबंध, अर्थव्यवस्था और भारत के साथ इसके रिश्ते कई मायनों में रोचक हैं.

इस संघर्ष के बहाने आइए कंबोडिया के बारे में जानते हैं. इस देश पर किन-किन देशों का कब्जा रहा? किन-किन राजवंशों ने यहां शासन किया? कैसे आजादी मिली और कब? वर्तमान शासक कौन हैं? इस छोटे किन्तु सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देश के बारे में अन्य रोचक तथ्य भी जानेंगे. आइए, एक-एक तथ्य जानते हैं.

कम्बोडिया पर किसने-किसने राज किया?

पहली शताब्दी के आसपास यहां फुनान साम्राज्य रहा, जिसने करीब पांच सौ साल तक राज किया. इसके बाद करीब तीन सौ साल तक यहां चेनला साम्राज्य ने राज करना शुरू किया, जो लगभग तीन सौ सालों तक चला. जब चेनला साम्राज्य ने कब्जा किया तो इसे दो हिस्सों में चिह्नित किया. जल चेनला और थल चेनला. इन दोनों शासकों पर भारत का प्रभुत्व रहा. व्यापार, संस्कृति में मेलजोल की वजह से भारत से इनके रिश्ते शानदार रहे. इसके बाद यहां खमेर साम्राज्य की शुरुआत हुई जो लगभग छह सौ सालों यानी 1431 ईस्वी तक कायम रही. यह कंबोडिया का स्वर्ण काल माना गया.

खमेर राजवंश की स्थापना जय वर्मन ने की थी. इसी समय सुप्रसिद्ध अंगकोर वाट का मंदिर यहां बना. पहले यह राज्य हिन्दू धर्म को फॉलो करता था, बाद में यहां बौद्ध धर्म का प्रभुत्व बढ़ता गया. खमेर साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगा तब यहां वर्तमान थाईलैंड का प्रभाव शुरू हो गया. उस समय थाईलैंड में अयुतथ्या साम्राज्य का राज चल रहा था. बीच-बीच में खमेर राजवंश और अयुतथ्या साम्राज्य भिड़ते रहते.

साल 1431 में थाईलैंड की सेना ने अंगकोर वाट मंदिर को लूटा और यहीं से खमेर राजवंश का पतन हुआ. 15 वीं शताब्दी के बाद से कंबोडिया पर थाईलैंड, तब स्याम के नाम से जाना जाता था, और वियतनाम का प्रभाव रहा. कई बार इन दोनों देशों ने कंबोडिया के हिस्सों पर कब्जा किया और वहां की राजनीति में हस्तक्षेप किया. यह सिलसिला करीब ढाई सौ सालों तक चला. साल 1863 में कंबोडिया ने फ्रांस से सुरक्षा की गुहार लगाई, जिससे यह फ्रांसीसी इंडोचाइना का हिस्सा बन गया. इस तरह करीब 90 साल यानी साल 1953 तक फ्रांस का उपनिवेश रहा.

Cambodia Angkor Wat

कंबोडिया का अंगकोरवाट मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. फोटो: Martin Puddy/Stone/Getty Images

जापान ने किया कब्जा

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने यहां करीब चार सालों तक कब्जा जमा लिया. यह बात साल 1941 से 1945 की है. बाद में फ्रांस ने फिर से अपना नियंत्रण वापस पा लिया.

साल 1953 में मिली आजादी

9 नवंबर 1953 को फ्रांस ने कंबोडिया को आजाद कर दिया. इसके बाद भी देश में राजनीतिक अस्थिरता, गृहयुद्ध और खमेर रूज की तानाशाही का दौर चलता रहा. इस दौरान वहां भारी अराजकता का दौर रहा. लेकिन धीरे-धीरे देश ने स्थिरता की ओर कदम बढ़ाए और अब वहां एक स्थिर सरकार है.

साल 1979 से साल 1989 तक यहां वियतनाम की सेना का कब्जा रहा. कारण यह बना कि साल 1975 से 1979 तक यहां खमेर रूज़ का खतरनाक शासन भी चला. जनता कराह रही थी तब वियतनाम को मौका मिला और उसने सेना भेजकर खमेर रूज़ शासक पोल पॉट से मुक्ति दिलवाई. इन दस सालों में यहाँ की सत्ता हैंग समरिन के हाथों में रही.

Cambodia

कंबोडिया की 95% से अधिक आबादी बौद्ध धर्म को मानती है. फोटो: Bob Krist/The Image Bank/Getty Images

कंबोडिया की सीमाएं किन-किन देशों से लगती हैं?

कंबोडिया की सीमा कुल तीन देशों से मिलती है. पश्चिम और उत्तर में थाईलैंड है तो उत्तर में लाओस स्थित है. पूर्व और दक्षिण पूर्व में वियतनाम है तो दक्षिण में कंबोडिया की सीमा थाईलैंड की खाड़ी से मिलती है.

वर्तमान शासक कौन हैं?

अब कंबोडिया एक संवैधानिक राजतंत्र है. वर्तमान में कंबोडिया के राजा नरोदम सिहामोनी हैं, जो साल 2004 से सिंहासन पर हैं. हून मानेट वर्तमान प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने 2023 में अपने पिता हून सेन के बाद यह पद संभाला है.

अर्थव्यवस्था कैसी है?

कंबोडिया की अर्थव्यवस्था विकासशील है और मुख्य रूप से कृषि, वस्त्र उद्योग, पर्यटन और निर्माण पर आधारित है. कृषि में चावल, रबर, मक्का, और मछली पालन प्रमुख हैं. कंबोडिया के वस्त्र और परिधान उद्योग में लाखों लोग कार्यरत हैं और यह देश के निर्यात का बड़ा हिस्सा है. अंगकोर वाट जैसे ऐतिहासिक स्थल विश्व प्रसिद्ध हैं, जिससे पर्यटन कंबोडिया की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है. गरीबी, भ्रष्टाचार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, और आर्थिक असमानता अब भी इस देश की बड़ी चुनौतियां हैं.

Cambodia Currency

कंबोडिया की मुद्रा का नाम “रियल” (Riel) है.फोटो:Pixabay

थाईलैंड से किस मुद्दे पर ठनी है?

कंबोडिया और थाईलैंड के बीच मुख्य विवाद प्रेह विहार मंदिर को लेकर है. यह मंदिर कंबोडिया-थाईलैंड सीमा पर स्थित है. साल 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इसे कंबोडिया का हिस्सा माना, लेकिन थाईलैंड ने इस फैसले को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया.

साल 2008-2011 के बीच इस क्षेत्र में कई बार सैन्य झड़पें भी हुईं. अब फिर से दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं. थाईलैंड ने फाइटर जेट से हमला किया है तो कंबोडिया ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी.

अंगकोर वाट दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. कंबोडिया का झंडा ऐसा एकमात्र राष्ट्रीय ध्वज है जिसमें किसी इमारत (अंगकोर वाट) की तस्वीर है. यहां की मुद्रा का नाम “रियल” (Riel) है, लेकिन अमेरिकी डॉलर भी व्यापक रूप से चलता है. कंबोडिया की 95% से अधिक आबादी बौद्ध धर्म को मानती है.

भारत और कंबोडिया के रिश्ते

भारत और कंबोडिया के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्तर पर मजबूत हैं. प्राचीन काल में भारत से कंबोडिया में हिंदू और बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ. अंगकोर कालीन मंदिरों में भारतीय स्थापत्य और संस्कृति की झलक मिलती है. भारत ने साल 1952 में कंबोडिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए. भारत कंबोडिया को विकास सहायता, शिक्षा, स्वास्थ्य, आईटी, और क्षमता निर्माण में सहयोग देता आ रहा है. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान, छात्रवृत्तियां, और पर्यटन को बढ़ावा दिया जाता है. भारत अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत कंबोडिया के साथ अपने संबंधों को और मजबूत कर रहा है.

कंबोडिया का इतिहास संघर्षों और पुनर्निर्माण की मिसाल है. आज यह देश अपनी सांस्कृतिक विरासत, पर्यटन, और विकास की ओर बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है. जिस तरह का उतार चढ़ाव इस देश ने देखा है, ऐसे में कंबोडिया की कहानी न सिर्फ दक्षिण-पूर्व एशिया, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायक है.

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