ऊंचाई पर जाने पर शराब का नशा ज्यादा चढ़ता है.
शराब का नशा तो सभी पर चढ़ता है लेकिन विमान या पहाड़ों पर इसका असर ज्यादा होता है. वाइन एक्सपर्ट इसकी पुष्टि भी करते हैं और इसकी वजह भी बताते हैं. विमान और पहाड़ों पर शराब क्यों ज्यादा चढ़ती है, इसका जवाब जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि यह शरीर में कैसे असर दिखाना शुरू करती है. शराब शरीर में पहुंचने के बाद छोटी आंत से होते हुए खून में तेजी से घुलती है.
यह प्रक्रिया जितनी तेजी से होगी, नशे का असर भी तेजी से दिखेगा. यही वजह है कि इंसान में खाली पेट नशा तेजी से चढ़ता है. अब वाइन एक्सपर्ट सोनम हॉलैंड से जान लेते हैं, विमान या पहाड़ों में शराब पीने पर नशा ज्यादा क्यों चढ़ता है.
विमान या पहाड़ों में शराब का नशा क्यों ज्यादा चढ़ता है?
वाइन एक्सपर्ट सोनम हॉलैंड कहती हैं, पहाड़ों पर और विमान में शराब पीने के बाद लोगों को यह महसूस होता है कि नशा ज्यादा चढ़ रहा है, लेकिन इसके पीछे का साइंस भी बहुत खास है. जब हम ज्यादा ऊंचाई पर होते हैं तो ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है. शरीर पर इसका असर भी दिखता है. विमान हो या पहाड़ दोनों जगह ऑक्सीजन कम हो जाती है. ऐसे हालात में शरीर और दिमाग को अपना काम करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है.
वह कहती हैं, शराब में मौजूद अल्कोहल पहले ही आपकी रक्त वाहिकाओं को फैला देता है और ब्रेन से जुड़ी एक्टिविटीज को धीमा कर देता है. जब ऐसा ऑक्सीजन की कमी के बीच होता है तो अल्कोहल अपना असर ज्यादा दिखाता है.
यही वजह है कि अगर आप लेह में शराब का एक पैग लेते हैं या फिर 30 फीट की ऊंचाई पर शराब पीते हैं तो दो पैग के बराबर नशा महसूस करते हैं. वहींं इतना ही नशा महसूस करने के लिए मैदानी इलाकों में दो पैग पीने पड़ते हैं. यही वजह है कि शराब का नशा ऊंचाई वाली जगहों पर ज्यादा चढ़ता है.
शराब का नशा किसी में कम, किसी में ज्यादा क्यों होता है?
शराब का नशा हर इंसान में एक जैसा नहीं चढ़ता. किसी में कम तो किसी में ज्यादा चढ़ता है, इसकी कई वजह हैं. पहली है वजन. जिनका वजन ज्यादा होता है उसमें शराब को खून में मिलने पर ज्यादा समय लगता है या आसानी से नहीं घुलता. इसलिए इनमें नशा कम चढ़ता है. वहीं, दुबले-पतले इंसान में शराब का नशा जल्दी चढ़ता है.
अगर कोई शख्स खाली पेट शराब पीता है तो उसका असर ज्यादा और तेज होता है. ऐसी स्थिति में शराब ब्लड में तेजी से घुलती है. वहीं, पेट भरा होने पर इसे शरीर में एब्जॉर्ब होने में समय लगता है. नतीजा, नशा धीरे-धीरे चढ़ता है. वहीं, कुछ लोगों में इसके लिए जीन्स भी जिम्मेदार होते हैं. कई लोगों में अल्कोहल को पचाने वाले एंजाइम कम या ज्यादा बनते हैं. यह फैक्टर भी नशा कम या ज्यादा चढ़ने के लिए जिम्मेदार होता है.
लिवर में मौजूद Alcohol Dehydrogenase (ADH) नाम का एंजाइम अल्कोहल को तोड़ने का काम करता है. अगर किसी का लिवर स्वस्थ है और उसने ज्यादा शराब पी है तो शरीर अल्कोहल को जल्दी तोडता है. वहीं, कमजोर लिवर वालों में नशा ज्यादा देर तक रहता है.
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