होम राजनीति Bihar Chunav 2025: ‘नेक सलाह’ पर ऐसा हुआ तो नीतीश कुमार को झोला भर-भरकर थैंक्यू कहेगा लालू परिवार! राबड़ी देवी की सियासी चतुराई समझिये

Bihar Chunav 2025: ‘नेक सलाह’ पर ऐसा हुआ तो नीतीश कुमार को झोला भर-भरकर थैंक्यू कहेगा लालू परिवार! राबड़ी देवी की सियासी चतुराई समझिये

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पटना. बिहार विधान परिषद की नेता प्रतिपक्ष और लालू परिवार की वरिष्ठ नेता राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सलाह दी है कि वे अपने बेटे निशांत कुमार को बिहार का सीएम बना दें, क्योंकि वे युवा हैं और राज्य की सरकार संभाल लेंगे. जानकारों की नजर में राबड़ी देवी यह बयान महज एक सुझाव भर नहीं, बल्कि गहरी सियासी रणनीति का हिस्सा है. दरअसल, राबड़ी देवी का यह बयान तब आया जब बिहार में अपराध और लॉ एंड ऑर्डर को लेकर नीतीश सरकार की खूब आलोचना हो रही है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से बिहार संभल नहीं रहा, इसलिए निशांत कुमार को सत्ता सौंप देनी चाहिए. सामने से तो यह नीतीश कुमार पर हमला लगता है, लेकिन गहराई में यह लालू परिवार की सियासी चतुराई कही जा रही है, क्योंकि इसमें तेजस्वी यादव का सियासी भविष्य नजर आ रहा है.

बिहार की राजनीति के जानकार बताते हैं कि राबड़ी देवी के बयान के गहरे राजनीतिक निहितार्थ हैं. दरअसल, नीतीश कुमार ने हमेशा लालू परिवार पर परिवारवाद का आरोप लगाया है. खासकर तेजस्वी यादव को सीएम पद के लिए तैयार करने के लिए प्राय: लालू परिवार टारगेट पर रहता है. ऐसे में अगर नीतीश कुमार अपने बेटे निशांत कुमार को सीएम बनाते हैं तो परिवारवाद का यह नैरेटिव हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा. जाहिर है सीधे तौर पर निशांत कुछ समय के लिए सीएम बन सकते हैं, लेकिन लालू परिवार हमेशा-हमेशा के लिए परिवारवाद के आरोप से मुक्त हो जाएगा ओर इसे अपनी जीत के रूप में पेश करेगा. ऐसे में इससे लालू यादव की विरासत तेजस्वी यादव के संभालने को लेकर उठने वाले सवाल भी दब जाएंगे, क्योंकि नीतीश का परिवारवाद में उतरना लालू की रणनीति को सियासी ताकत दे देगा.

बिहार में परिवारवाद का नया अध्याय!

बता दें कि बिहार में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है. लालू-राबड़ी परिवार ने तेजस्वी यादव और तेज प्रताप को राजनीति में लाकर इसका एक और उदाहरण भर पेश किया है. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन भी इसी कड़ी की एक लड़ी हैं, जिन्होंने सियासी पारी पिता के नाम की विरासत के साथ ही आगे बढ़ाई है. राबड़ी का बयान नीतीश कुमार को भी इसी ‘सियासी दलदल’ में खींचने की कोशिश हो सकती है. ऐसा इसलिए कि निशांत अगर राजनीति में आते हैं तो नीतीश कुमार की अपनी राजनीति के लिए चुनौती होगी. यह स्थिति लालू परिवार को यह कहने का मौका देगी कि अगर नीतीश कुमार भी परिवारवाद अपना रहे हैं तो तेजस्वी यादव पर सवाल क्यों?

निशांत बनाम तेजस्वी में मुख्य मुकाबला?

बता दें कि निशांत कुमार की राजनीतिक एंट्री की चर्चा पहले से है और राबड़ी का बयान इसे और आगे बढ़ा सकता है. अगर निशांत सीएम बनते हैं तो बिहार में सियासी समीकरण बदल जाएंगे. तेजस्वी याद पहले से ही युवा चेहरा के रूप में उभर रहे हैं और निशांत कुमार के साथ मुख्य राजनीतिक मुकाबले में होंगे. चिराग पासवान का जनाधार सीमित है, और अगर निशांत आते हैं तो नीतीश कुमार के वोट बैंक से सीधा लाभ वही ले जाएंगे. ऐसे में चिराग पासवान के सियासी दायरे (वोट बैंक) के विस्तार के प्रयास को झटका लग सकता है.

तेजस्वी यादव की राह आसान होगी!

दरअसल, जद(यू) का कोर वोटर निशांत के पीछे खड़ा हो सकता है और इससे तेजस्वी की राह आसान हो सकती है, क्योंकि चिराग पासवान से तेजस्वी यादव की तुलना की जाती है और ऐसे में चिराग का प्रभाव कमजोर पड़ जाएगा. वहीं, निशांत कुमार अब तक अध्यात्म में रमे रहे हैं और अब वह अगर सियासत में उतरते हैं तो नीतीश कुमार का अनुभव और जदयू का संगठन उनकी ताकत बनेगा. लेकिन, यह भी सच है कि उनके सामने सीधे तौर पर तेजस्वी यादव ही होंगे, क्योंकि उनकी लोकप्रियता और आरजेडी का यादव-मुस्लिम वोट बैंक उन्हें चुनौती देगा.

राजनीतिक लाभ हैं तो कुछ जोखिम भी!

राबड़ी के बयान का लालू परिवार के लिए बड़ा फायदा यह होगा कि नीतीश को परिवारवाद के आरोप से मुक्त कर वे खुद को बचाएंगे. अगर निशांत सीएम बनते हैं तो लालू परिवार नीतीश को धन्यवाद दे सकता है, क्योंकि यह उनके लिए नैरेटिव की जंग जीतने जैसा होगा. लेकिन इसके साथ जोखिम भी है. अगर निशांत की एंट्री से जदयू मजबूत होता है तो बीजेपी को नुकसान हो सकता है जो नीतीश के गठबंधन में अहम है. दूसरी ओर, तेजस्वी को निशांत से मुकाबला करना होगा जो उनकी तैयारियों को परखेगा. राबड़ी देवी का यह कदम 2025 के चुनाव से पहले विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश भी हो सकती है, लेकिन सफलता इस पर निर्भर करेगी कि नीतीश इस सलाह को कैसे लेते हैं.

CM नीतीश की चुप्पी और निशांत का भविष्य?

हालांकि, नीतीश कुमार ने अब तक इस बयान पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन उनका रुख तय करेगा कि निशांत की सियासी पारी कब शुरू होगी. बता दें कि निशांत कुमार ने पहले राजनीति से दूरी बनाई थी, लेकिन हाल के दिनों में उनकी सक्रियता और जदयू नेताओं से मुलाकातें संकेत दे रही हैं. अगर वे आते हैं तो बिहार में सियासी संघर्ष का नया दौर शुरू हो सकता है जो अपने पिता की विरासत संभाल रहे युवाओं के बीच होगा. राबड़ी का बयान तेजस्वी को मजबूत करने की सियासी चाल हो सकती है, लेकिन यह सबकुछ नीतीश कुमार की रणनीति और उनके अगले गदम पर भी निर्भर करेगा.

बिहार की राजनीति में यह नया मोड़ आने वाला है?

राबड़ी देवी का निशांत को सीएम बनाने का बयान सीधे तौर पर नीतीश सरकार पर निशाना, तंज या व्यंग्य कह लीजिये, लेकिन इसकी गहराई में सियासी मास्टरस्ट्रोक है जो तेजस्वी यादव की राह आसान करेगा और लालू परिवार को एक साथ कई सवालों से छुटकारा दिलादेगा. यह नीतीश कुमार को भी परिवारवाद के दायरे में लाकर लालू परिवार को बचाने की बड़ी कोशिश है जो तेजस्वी-निशांत के बीच मुख्य मुकाबले के तौर पर तय कर सकता है. वहीं, चिराग पासवान का प्रभाव कमजोर हो सकता है. बहरहाल 2025 का बिहारविधानसभा चुनाव इस रणनीति की परख होगी.बहरहाल, बिहार की सियासत में यह नया मोड़ आता है या नहीं यह आने वाले दिनों में और साफ होगा.

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