अशोक चौधरी का जवाब, बीजेपी की हूटिंग, तेजस्वी का तंज
बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एनडीए सरकार में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया.
बिहार की सियासत में नीतीश कुमार-विजय सिन्हा की अदावत!
बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब विजय सिन्हा और नीतीश कुमार की सरकार के बीच तनाव उजागर हुआ हो. पहले भी विधानसभा में विजय सिन्हा की नीतीश कुमार से तीखी बहस हो चुकी है जो बीजेपी-जेडीयू के बीच गठबंधन की नाजुक स्थिति को बताती है. इस बार तो नीतीश कुमार के करीबी मंत्री अशोक चौधरी से डिप्टी सीएम विजय सिन्हा की बहस हुई है, लेकिन बिहार की सियासत में नीतीश कुमार और विजय कुमार सिन्हा के बीच के तनावपूर्ण रिश्ते भी समय-समय पर सुर्खियों में रहे हैं. आइये एक नजर डालते हैं विजय सिन्हा और नीतीश कुमार के बीच सियासी अदावत और तनातनी पर.
लखीसराय सरस्वती पूजा मामला और संवैधानिक विवाद
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस अधिनियम पर जबरदस्त हंगामा
23 मार्च 2021, बिहार विधानसभा में बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस अधिनियम 2021 पर विपक्षी विधायकों ने जमकर हंगामा किया. विपक्ष ने इस बिल को दमनकारी बताते हुए विरोध किया, जिसके जवाब में पुलिस ने सदन के भीतर कार्रवाई की. सिन्हा उस समय विधानसभा अध्यक्ष थे. उन्होंने इस हंगामे को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन नीतीश सरकार ने इसे अनुचित माना. बाद में आचार समिति ने 12 विपक्षी विधायकों पर कार्रवाई की सिफारिश की. तब विजय सिन्हा ने इस मामले में नीतीश सरकार की कार्रवाई को अप्रत्यक्ष रूप से पक्षपातपूर्ण बताया जिससे दोनों के बीच तनाव बढ़ा. विजय सिन्हा ने कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे व्यक्तिगत हमले के रूप में लिया. इस घटना ने विधानसभा अध्यक्ष के रूप में विजय सिन्हा की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और जेडीयू-बीजेपी के बीच गठबंधन की कमजोर कड़ी को उजागर किया.
विजय सिन्हा का स्पीकर पद से इस्तीफा और नीतीश का पत्र

एनडीए विधायक दल की बैठक के दौरान विजय सिन्हा और अशोक चौधरी के बीच बहस की खबर सामने आ रही है.
नीतीश-विजय में अप्रत्यक्ष टकराव और सियासी बयानबाजी
2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में लौटने के बाद विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. हालांकि, 26 दिसंबर 2024 को विजय सिन्हा ने अटल जयंती पर कहा कि “बिहार में बीजेपी की सरकार बनने तक अटल का सपना अधूरा है,”. उनके इस बयान को नीतीश कुमार के नेतृत्व पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी माना गया. हालांकि, बाद में विजय सिन्हा ने नीतीश की कुमार की तारीफ कर अपने बयान को बैलेंस करने की कोशिश की. वहीं, अब 21 जुलाई को प्रहलाद यादव और ग्लोबल टेंडरिंग जैसे मुद्दों पर विजय सिन्हा ने नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी पर गठबंधन धर्म की अनदेखी का आरोप लगाया. जाहिर है ऐसे विवादों और तल्ख बयानों ने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में तालमेल की कमी की बात को सतह पर ला दिया है. वहीं, तेजस्वी यादव ने इसे भ्रष्टाचार और आंतरिक कलह से जोड़कर नीतीश सरकार पर निशाना साधा है.
सियासी तकरार एनडीए की एकजुटता पर उठा रहा सवाल
राजनीति के जानकारों का कहना है कि विजय सिन्हा और नीतीश कुमार और उनके मंत्रियों के बीच तनाव का मुख्य कारण एऩडीए गठबंधन में अंदरूनी खींचतान का नतीजा है.दरअसल, विजय सिन्हा बीजेपी के मजबूत नेता के रूप में अपने क्षेत्र और पार्टी हितों की प्राथमिकता पर रखते हैं, जबकि नीतीश कुमार जेडीयू के सर्वेसर्वा के रूप में गठबंधन में अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं. लखीसराय जैसे स्थानीय मुद्दों से लेकर टिकट बंटवारे और प्रशासनिक नीतियों तक में दोनों नेताओं के बीच विश्वास की कमी साफ दिखती है. विजय सिन्हा और अशोक चौधरी की तकरार में नीतीश कुमार चुप रहे, जाहिर है यह संकेत देती है कि नीतीश कुमार और विजय सिन्हा के बीच सीधा टकराव भले नहीं दिखता हो, लेकिन अप्रत्यक्ष तनाव बरकरार है. साफ है कि विधानसभा चुनाव से पहले यह तकरार एनडीए की एकजुटता पर सवाल उठा रही है. सवाल यह भी कि क्या यह विवाद गठबंधन को कमजोर करेगा या समय के साथ शांत होगा?