होम छत्तीसगढ़ chhattisgarh banbarad papmochan kund lord vishnu temple where people washed sin of cow slaughter know all about it यहां मिलती है गौ हत्या के पाप से मुक्ति, छत्तीसगढ़ के बानबरद और उस मंदिर की कहानी, Chhattisgarh Hindi News

chhattisgarh banbarad papmochan kund lord vishnu temple where people washed sin of cow slaughter know all about it यहां मिलती है गौ हत्या के पाप से मुक्ति, छत्तीसगढ़ के बानबरद और उस मंदिर की कहानी, Chhattisgarh Hindi News

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अहिवारा से लगे बानबरद के इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के समीप एक सीढ़ीदार बावड़ी है। यह बावड़ी पापमोचन कुंड के नाम से देशभर में प्रसिद्ध है। ऐसी स्थानीय मान्यता है कि कुंड में स्नान करने से गो-हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाती है।

बानबरद…जितना रहस्मयी नाम है, उतना ही रहस्य यह अपने अंदर समेटे हुए है। छत्तीसगढ़ के इस प्रख्यात स्थान को देश का इकलौता पाप प्रायश्चित धाम भी कहा जाता है। यहां भगवान विष्णु की चतुर्भुजी प्रतिमा है। बानबरद में लोग गौ हत्या का पाप धोने आते हैं। यहां विधि-विधान से गो-हत्या पाप निवारण मुक्ति पूजा करने और पापमोचन कुंड में स्नान करने से गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है। यह पाप मोचन कुंड और धाम छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 32 किलोमीटर की दूरी और दुर्ग जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर अहिवारा नगर पालिका परिषद के वार्ड क्रमांक 15 में है।

गौ हत्या के पाप से मिलती है मुक्ति

अहिवारा से लगे बानबरद के इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के समीप एक सीढ़ीदार बावड़ी है। यह बावड़ी पापमोचन कुंड के नाम से देशभर में प्रसिद्ध है। ऐसी स्थानीय मान्यता है कि कुंड में स्नान करने से गो-हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर का निर्माण 16वीं-17वीं ईस्वी में हुआ था। मंदिर की नक्काशी और शिलालेख भी बेजोड़ है। बानबरद में गौ-हत्या के पाप से मुक्ति पाने छत्तीसगढ़ सहित देशभर से लोग पहुंचते हैं। पापमोचन कुंड में स्नान कर भगवान विष्णु के मंदिर की परिक्रमा करने से आत्मा की शुद्धि होती है, तभी उन्हें गौ-हत्या के पास से मुक्ति मिलती है।

पापी 21 दिनों तक घर और गांव से बाहर रहेगा

हिन्दू धर्म के मुताबिक गाय में 23 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। जाने-अनजाने गौ-हत्या का पाप लगने पर इसे सबसे बड़ा पाप माना गया है। इस पाप के प्रायश्चित के लिए 21 दिन के अंदर विधान पूरा करना पड़ता है,तभी गौ-हत्या पापमोचन पूजा फलित होती है। पुजारी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में प्रचलित मान्यता के अनुसार गौ-हत्या का पाप लगने के बाद उस व्यक्ति को 21 दिनों के लिए घर व गांव से बाहर कर दिया जाता है। इस दौरान वह किसी के घर भोजन नहीं कर सकता। भीख में मिले अनाज से खुद भोजन बनाएगा और उसे ग्रहण करेगा। बर्तन व कपड़े भी खुद साफ करना होता है।

पापमोचन कुंड में स्नान और पूजा से मुक्ति

बानबरद गांव के प्राचीन बावड़ी में स्नान करने से गौ-हत्या के महापाप से मुक्ति मिलने की मान्यता प्राचीनकाल से चली आ रही है। चतुर्भुज विष्णु मंदिर के पुजारी वैष्णव ने बताया कि उनकी आठ पीढ़ी यहां गौ-हत्या पाप निवारण मुक्ति पूजा करते आ रही है। प्रदेश के अलावा देश के कोने-कोने से लोग पापमोचन कुंड में स्नान करने और पूजा कराने पहुंचते हैं। यहां गौ-हत्या के पाप से प्रायश्चित करने वालों में सबसे ज्यादा संख्या छत्तीसगढ़ के लोगों की है।

पापी को 21 गांवों से मांगनी पड़ती है भिक्षा

जिस व्यक्ति पर गौ-हत्या का पाप चढ़ जाता है,उसे गांव से बाहर रहना पड़ता है। उसे 21 दिनों तक अलग-अलग गांवों में भिक्षा मांगनी पड़ती है। भिक्षा में मिले अन्न और पैसे लेकर बानबरद के पापमोचन कुंड में पहुंचना होता है। यहां आने के बाद पहले मुंडन करवाता है उसके बाद बरेठ समुदाय के लोग उसके कपड़ों को शुद्घ करते हैं। पापमोचन कुंड में स्नान करके भगवान विष्णु की पांच परिक्रमा करना होता है। भगवान विष्णु के समक्ष गो-हत्या पापमोचन पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। फिर प्रसाद लेकर पूरे गांव को भोजन कराकर उसे समाज में पुन: शामिल किया जाता है। इस तरह गो-हत्या के पाप से उसे मुक्ति मिलती है।

बानबरद धाम की यह कथा है प्रचलित

मंदिर के पुजारी वैष्णव ने बताया कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण और राक्षस बाणासुर के बीच भयंकर युद्घ हुआ। जब बाणासुर युद्घ में पराजित होने लगा तो उसने छद्म रूप धारण कर कृष्ण की गायों को मारना शुरू कर दिया। एक दिन उसे अपनी गलती का अहसास हुआ। तब भगवान कृष्ण के चरणों में पहुंचकर उसने गौ-हत्या के पाप से मुक्ति का रास्ता पूछा। भगवान श्री कृष्ण ने उसे कहा कि बानबरद नामक जगह पर एक बावड़ी में जाकर खुदाई करना। खुदाई में मिले विष्णु की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करके बावड़ी में स्नान और पूजन करना। तब जाकर गौ-हत्या के महापाप से मुक्ति मिलेगी। राक्षस बाणासुर ने ठीक वैसा ही किया। तब से लेकर आज तक बानबरद में गो-हत्या का पाप धोने लोग आते हैं। यह देश का इकलौता मंदिर है, जहां गो हत्या का पाप धुलता है।

जमीन से निकले विष्णु का एकमात्र मंदिर

ऐसी मान्यता है कि बानबरद मंदिर का निर्माण छहमासी रात व दिन के दौरान हुआ है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के ऊपर पत्थर पर श्रीयंत्र बनाया गया है। मंदिर की नक्काशी भी अद्भुत है। इस मंदिर के ऊपर कलश की स्थापना नहीं की गई है। इसी मंदिर के निर्माण के दौरान छत्तीसगढ़ के खजुराहो यानी भोरमदेव, देवबलौदा, सिरपुर, बारनवापारा के मंदिर शामिल है। सभी मंदिरों के प्रवेश द्वार एक जैसे और सभी मंदिरों में कलश स्थापित नहीं है। पुजारी बताते हैं कि जमीन से निकले भगवान विष्णु का संभवत: पूरे देश में यह इकलौता मंदिर है। यहां हर साल भव्य मेला लगता है।

रिपोर्ट- संदीप दीवान

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