S Jaishankar: विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि UPSC इंटरव्यू के दौरान उन्होंने दो बातें सीखीं। एक तो यह की दवाब में कैसे बातचीत करनी है। दूसरी यह कि महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए लोग किसी बुलबुले में रहते हैं। उन्होंने इसे लुटियन्स बबल कहा।
ीS Jaishankar: विदेश मंत्री जयशंकर ने रविवार को अपने यूपीएससी के दिनों की यादों को ताजा करते हुए इंटरव्यू में पूछे गए सवालों के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि उनका इंटरव्यू 21 मार्च 1977 को हुआ था, उसी दिन देश के ऊपर से आपातकाल हटाया गया था। इसलिए इंटरव्यू में आपातकाल के दौरान आ रहे चुनावी नतीजों ने अपनी भूमिका निभाई। विदेश मंत्री यूपीएससी परीक्षा को अग्नि परीक्षा बताते हुए कहा कि इसका इंटरव्यू ही वास्तव में असली चुनौती है। भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के लिए चुनाव करने के लिए बनाई गई यह प्रक्रिया बेहद अनोखी है।
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों से बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने अपने इंटरव्यू के दौरान हुए अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने कहा, “मेरा इंटरव्यू 21 मार्च 1977 को था। उसी दिन आपातकाल हटाया गया था। मैं शाहजहां रोड पर उस दिन इंटरव्यू देने के लिए सबसे पहले पहुंच गया था। मुझसे 1977 में हुए चुनावों के बारे में पूछा गया था। जेएनयू का छात्र होने के नाते और राजनीति विज्ञान का अध्ययन करने के नाते में भाग्यशाली रहा।”
इंदिरा गांधी की सरकार ने जून 1975 में आपातकाल लगाया था, जिसे बाद में 21 मार्च 1977 को हटा लिया गया था। आपातकाल के दौरान ही 16 मार्च से 20 मार्च के बीच देश में आम चुनाव हुए थे। चुनाव नतीजों की पूर्ण घोषणा के कुछ समय पहले ही आपातकाल को हटा दिया गया। विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ने इंदिरा गांधी को सत्ता से हटा दिया और मोरारजी देसाई देश के अगले प्रधानमंत्री बने थे।
विदेश मंत्री ने कहा कि आपातकाल के दौरान मैंने चुनाव अभियानों में भी भाग लिया था और आपातकाल को हटाने के लिए अपनी आवाज बुलंद की थी। इसलिए वह आपातकाल के बाद हुए चुनाव के नतीजो के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देने में सफल रहे। उन्होंने कहा, “इस सवाल का जवाब देने के बाद मैं भूल गया कि मैं एक इंटरव्यू के लिए बैठा हूं और फिर उस दिन किसी तरह मेरी बात करने की क्षमता काम आ गई।”
उस दिन लुटियन्स बबल के बारे में पता चला: विदेश मंत्री
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि इंटरव्यू के दिन मुझे लुटियन्स बबल के बारे में भी पता चला। उन्होंने कहा, “जो लोग मेरा इंटरव्यू ले रहे थे वह आपातकाल के खिलाफ जनता के आक्रोश को देख कर हैरान थे। वह लोग सचमुच बहुत हैरान थे.. उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि चुनाव का यह परिणाम आ रहा है, जबकि हम आम छात्र आसानी से देख सकते थे कि जनता के बीच में आपातकाल को लेकर कैसी लहर थी।