होम राजनीति Bihar Chunav Survey: बिहार के दलितों में सबसे अधिक पॉपुलर हैं पीएम मोदी, रामविलास पासवान सबसे बड़े दलित नेता, राहुल गांधी पर क्या सोचता है यह वर्ग?

Bihar Chunav Survey: बिहार के दलितों में सबसे अधिक पॉपुलर हैं पीएम मोदी, रामविलास पासवान सबसे बड़े दलित नेता, राहुल गांधी पर क्या सोचता है यह वर्ग?

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Bihar Chunav Survey: बिहार की सियासत में दलित समुदाय की आवाज को सामने लाने वाले NACDOAR और TCM के संयुक्त सर्वे ने 18,581 दलित मतदाताओं की राय को जाहिर किया है.इस सर्वे में कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं जो…और पढ़ें

बिहार के दलितों में नरेंद्र मोदी सर्वाधिक लोकप्रिय, रामविलास पासवान को सबसे बड़े दलित नेता का दर्जा

हाइलाइट्स

  • NACDOAR-TCM सर्वे में दलितों के बीच नरेंद्र मोदी सबसे अधिक लोकप्रिय, राहुल गांधी भी दे रहे टक्कर.
  • रामविलास पासवान को दलितों ने सबसे बड़ा दलित नेता माना, तेजस्वी यादव पसंदीदा मुख्यमंत्री उम्मीदवार.
  • बेरोजगारी दलितों का सबसे बड़ा मुद्दा,चिराग पासवान की उभरती छवि एनडीए के लिए उम्मीद की किरण.
पटना. नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स (NACDOAR) और द कन्वर्जेंट मीडिया (TCM) का यह सर्वे बिहार के दलित समुदाय पर किया गया है. 10 जून से 4 जुलाई 2025 तक 25 दिनों में 49 विधानसभा सीटों पर बिहार को कोसी, मिथिलांचल, सीमांचल, भोजपुर, चंपारण और मगध-पाटलिपुत्र में बांटकर यह सर्वे किया गया है. खास बात यह है कि इस सर्वे को करने वाले 98 दलित कार्यकर्ताओं ही थे. इस सर्वे में बिहार की 23 दलित जातियों, खासकर दुसाध (31%), रविदास/चर्मकार (30.72%) और मुसहर (17.08%) को शामिल किया गया. सर्वे के नतीजों ने बिहार की सियासत को नये नजरिये से देखने की ओर संकेत किया है. दलित मतदाताओं में नरेंद्र मोदी 47.51% समर्थन के साथ लोकप्रियता में बहुत आगे हैं. हालांकि, राहुल गांधी का का कद भी ऊंचा हुआ है और उनको 40.30% दलितों का समर्थन मिलता दिख रहा है.

वहीं, दिवंगत रामविलास पासवान को 52.35% दलितों ने सबसे बड़ा दलित नेता चुना है. खासकर दुसाध (65.37%) और अन्य छोटी जातियों (68.36%) रामविलास पासवान को अपना सबसे बड़ा नेता माना है. रविदास/चर्मकार समुदाय ने बाबू जगजीवन राम (47.87%) को प्राथमिकता दी. यह नतीजा पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की दलितों में गहरी पैठ को दर्शाता है. उनके बेटे चिराग पासवान भी 25.88% समर्थन के साथ दलितों में दूसरे सबसे पसंदीदा नेता बने हैं. जबकि सर्वे के अनुसार, तेजस्वी यादव ने 28.83% समर्थन के साथ नीतीश कुमार (22.80%) को पछाड़कर दलितों में सबसे पसंदीदा सीएम उम्मीदवार का स्थान हासिल किया है. नीतीश की महादलित पहल ने कभी उन्हें दलितों का मसीहा बनाया था, लेकिन सर्वे के अनुसार लगता है कि अब कमजोर पड़ती दिख रही है. खासकर दुसाध (18.79%) और अन्य महादलित जातियों में उनका समर्थन 20-33% तक सिमट गया.
बिहार में दलितों पर नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स (NACDOAR) और द कन्वर्जेंट मीडिया (TCM) का सर्वे

तेजस्वी यादव की मुहिम भी रंग ला रही

तेजस्वी यादव की बेरोजगारी और सामाजिक न्याय पर जोरदार मुहिम ने दलित युवाओं को प्रभावित किया है. सर्वे में महागठबंधन को 46.13% और एनडीए को 31.93% समर्थन मिला. कोसी (72.33%) और भोजपुर (53.75%) में महागठबंधन की मजबूत स्थिति है, जबकि सीमांचल में एनडीए (42.57%) आगे है. 2020 के मुकाबले महागठबंधन का वोट शेयर 0.19% बढ़ा, जबकि एनडीए का 4.6% घटा. रविदास/चर्मकार (52.31%) और अन्य छोटी जातियां महागठबंधन का आधार हैं, जबकि दुसाध और मेहतर/वाल्मीकि में एनडीए को समर्थन है. कोसी (80.51%) और भोजपुर (61.42%) में बेरोजगारी 58.85% दलितों का सबसे बड़ा मुद्दा बनी. शिक्षा-स्वास्थ्य (14.67%) और भ्रष्टाचार (11.21%) भी प्रमुख चिंताएं हैं.

पीएम मोदी को जातिगत जनगणना का श्रेय

जातिगत जनगणना का श्रेय सबसे अधिक 33.15% दलित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हैं. जबकि राहुल गांधी को 30.81% और तेजस्वी यादव 27.57% को श्रेय देते हैं. नीतीश सरकार से 48.43% दलित असंतुष्ट बताए गए हैं. खासकर भोजपुर (71.10%) और कोसी (68.75%) में. 71.56% दलितों को वोटर लिस्ट से नाम हटने का डर है विशेष रूप से रविदास/चर्मकार (83.05%) में. वहीं, 51.22% लोग चुनाव आयोग पर भरोसा करते हैं. 82.89% दलित आरक्षण की सीमा बढ़ाने के पक्ष में हैं जो बिहार में आरक्षण सीमा तोड़ने की मांग को बल देता है.

बिहार में दलितों की मुख्य जातियों के बारे में जानिये.

बिहार चुनाव पर क्या होगा राजनीतिक असर?

यह सर्वे बिहार के 2025 विधानसभा चुनावों से पहले दलित समुदाय की निर्णायक भूमिका को बताता है. महागठबंधन में दलितों की पैठ बढ़ी है, लेकिन सबसे बड़ा तथ्य है कि प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी आज भी सबसे अधिक लोकप्रिय हैं. वहीं, दलितों के नेता आज भी रामविलास पासवान और उनके बाद चिराग पासवान ही हैं. हालांकि, तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ी है, लेकिन नीतीश कुमार की घटती लोकप्रियता सियासी समीकरण बदल सकती है. बहरहाल, रामविलास पासवान की विरासत और चिराग की उभरती छवि एनडीए के लिए उम्मीद की किरण है, लेकिन बेरोजगारी और आरक्षण जैसे मुद्दे महागठबंधन की बांछें खिला रही है.

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Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट…और पढ़ें

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बिहार के दलितों में सबसे अधिक पॉपुलर हैं पीएम मोदी, राहुल गांधी का कद भी बढ़ा

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