राजनीतिक-सामाजिक ताने-बाने पर प्रहार
लालू यादव के कार्यकाल में नरसंहारों का दौर था जिसको उनके राजनीतिक रणनीति से भी जोड़ा गया.
2006 में भंग कर दिया गया अमीर दास आयोग
बहरहाल, शंकर बिगहा नरसंहार ने बिहार में जातीय ध्रुवीकरण को और गहरा किया. रणवीर सेना को कुछ राजनीतिक दलों, विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (यूनाइटेड) के कुछ नेताओं का समर्थन होने की बात सामने आई. 2015 में एक स्टिंग ऑपरेशन में बीजेपी नेताओं मुरली मनोहर जोशी और सी.पी. ठाकुर के रणवीर सेना से संबंधों की बात उजागर हुई थी. उस वक्त लालू प्रसाद की सरकार द्वारा गठित अमीर दास आयोग, रणवीर सेना और राजनीतिक दलों के बीच संबंधों की जांच कर रहा था. लेकिन, बाद में जब नीतीश कुमार सरकार बनी तो वर्ष 2006 में भंग कर दिया जिससे सवाल उठे. सामाजिक रूप से इस नरसंहार ने दलित समुदायों में भय और अविश्वास को बढ़ाया, क्योंकि रणवीर सेना की रणनीति थी कि दलितों को निशाना बनाकर नक्सल आंदोलन को कमजोर किया जाए.
‘न्याय का नरसंहार’, कानूनी कार्रवाई पर सवाल

शंकर बिगहा हत्याकांड के रिहा हुए अभियुक्त
बिहार के सामाजिक ढांचे पर गहरा असर
पुलिस की लापरवाही, गवाहों की सुरक्षा की कमी और राजनीतिक दबाव ने इन मामलों में न्याय को प्रभावित किया. शंकर बिगहा के बाद 10 फरवरी 1999 को पास के नारायणपुर गांव में रणवीर सेना ने 12 और लोगों की हत्या की, जिससे पुलिस की निष्क्रियता और उजागर हुई. शंकर बिगहा नरसंहार ने बिहार के सामाजिक ढांचे पर गहरा प्रभाव डाला. इसने दलितों और भूमिहीन मजदूरों में असुरक्षा की भावना को बढ़ाया, जिससे कई परिवार गांव छोड़कर चले गए. नक्सलवादी संगठनों ने इस घटना का इस्तेमाल अपने समर्थन को बढ़ाने के लिए किया, जिससे हिंसा का चक्र और तेज हुआ. 1999 में ही सेनारी गांव में एमसीसी ने 34 भूमिहारों की हत्या कर बदला लिया जो इस नरसंहार का प्रत्यक्ष परिणाम था.
बिहार के समाज पर दीर्घकालिक प्रभाव
हालांकि, 2005 में नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद नक्सलवादी हिंसा में कमी आई. उनकी सरकार ने सामाजिक-आर्थिक सुधारों और कठोर प्रशासनिक नीतियों के जरिए हिंसा को नियंत्रित करने की कोशिश की. फिर भी शंकर बिगहा जैसे नरसंहारों ने बिहार के समाज में जातीय तनाव को स्थायी रूप से गहरा कर दिया. दलित और पिछड़े समुदायों में राजनीतिक चेतना बढ़ी, जिसने लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे नेताओं की सामाजिक न्याय की राजनीति को मजबूत किया.