भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 27-29 मई के वॉशिंगटन दौरे के दौरान यह डोजियर अमेरिकी विदेश विभाग को सौंपा। इसी प्रकार की जानकारी संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति को भी न्यूयॉर्क में दी गई।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को 26 लोगों की नृशंस हत्या के एक महीने के भीतर भारत ने द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के खिलाफ तैयार डोजियर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र (UN) को सौंप दिया था। इसी का परिणाम है कि अमेरिकी विदेश विभाग ने TRF को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, भारत को यह जानकारी चार दिन पहले ही दे दी गई थी कि TRF को अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया जा रहा है।
यह घोषणा पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि ‘आतंकवाद पर जोरो टॉलरेंस’ की नीति में भारत और अमेरिका कोई रियायत नहीं देगा। आपको बता दें कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद यह फैसला हुआ है।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 27-29 मई के वॉशिंगटन दौरे के दौरान यह डोजियर अमेरिकी विदेश विभाग को सौंपा। इसी प्रकार की जानकारी संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति को भी न्यूयॉर्क में दी गई।
लश्कर का मुखौटा है टीआरएफ
टीआरएफ की कमान शेख सज्जाद गुल उर्फ सज्जाद अहमद शेख के हाथ में है, जो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI द्वारा लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ‘कश्मीरी चेहरा’ बनाकर तैयार किया गया है। TRF ने 2020 से 2024 तक कश्मीर घाटी में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया। इसने पहलगाम नरसंहार के अलावा, मध्य कश्मीर (2023) में ग्रेनेड हमले, 2023 में अनंतनाग के बिजबेहरा इलाके में जम्मू-कश्मीर पुलिस पर घात लगाकर हमला, गगनगीर, जेड-मोड़ सुरंग हमला और 2024 में गंदेरबल हमला किया है।
कौन है सज्जाद गुल?
सज्जाद गुल वर्तमान में रावलपिंडी में रहता है और जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथीकरण, भर्ती, आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने में शामिल है। उसका भाई परवेज अहमद शेख 1990 के दशक में कश्मीर घाटी में एक आतंकवादी था। परवेज अपने परिवार के साथ सऊदी अरब गया और फिर पाकिस्तान चला गया। वह खाड़ी देशों में स्थित भारतीय भगोड़ों के साथ आतंकी फंडिंग और हवाला गतिविधियों में शामिल है।
दिल्ली में हुआ था गिरफ्तार
सज्जाद गुल को 2022 में यूएपीए के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था। वह श्रीनगर के एचएमटी इलाके का रहने वाला है। उसने अपनी बुनियादी शिक्षा श्रीनगर में पूरी की और फिर बेंगलुरु से एमबीए किया। इसके बाद उसने केरल में लैब टेक्नीशियन का कोर्स किया और श्रीनगर लौटकर एक डायग्नोस्टिक लैब स्थापित की और साथ ही लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करना शुरू कर दिया। उसे दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया और उसके पास से पांच किलोग्राम आरडीएक्स बरामद किया गया। वह दिल्ली में बम विस्फोटों की साजिश रचने और ठिकानों की टोह लेने में शामिल था। गुल और उसके दो साथियों को 7 अगस्त, 2003 को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी।
अपनी सजा पूरी होने और जेल से रिहा होने के बाद, सज्जाद 2017 में अपने परिवार के साथ पाकिस्तान भाग गया। आईएसआई ने ही 2019 में सज्जाद को लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख बनाने और यह दिखाने के लिए टीआरएफ का प्रमुख चुना था कि आतंकवाद जम्मू-कश्मीर में ही पनप रहा है। आईएसआई ने फरवरी 2019 में पुलवामा बम विस्फोट के बाद इस कदम की रणनीति बनाई थी। इसी समय पाकिस्तान आतंकवादियों और आतंकी समूहों को प्रायोजित करने और पनाह देने के लिए दुनिया की नजरों में आया था। टीआरएफ को यह दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है कि कश्मीर में आतंकवाद एक स्वदेशी आंदोलन है, लेकिन सच्चाई यह है कि यह आईएसआई-लश्कर-ए-तैयबा की एक शैतानी संतान है।