शहबाज शरीफ और असीम मुनीर.
पाकिस्तान में बहुत जल्द सबसे बड़ा सूबा बलूचिस्तान आजाद हो सकता है. बलूचिस्तान के साथ साथ सरहदी प्रांत खैबर पख्तून-ख्वा भी पाकिस्तान आर्मी की बर्बरता से मुक्ति पा सकता है. ऐसा हुआ, तो पाकिस्तान के तीन टुकड़े होना निश्चित हैं. फिर बचेगा सिंध और पंजाब. वहां भी आजादी की आग फैलकर रहेगी. इसकी बानगी खैबर के वजीरिस्तान में देखने को मिली, जहां रात के अंधेरे में मोबाइल की टॉर्च जलाकर पश्तून सड़कों पर उतर आए. ये चीख चीखकर नारा लगा रहे थे कि ‘है हक हमारा आजादी… हम छीन के लेंगे आजादी.’
वजीरिस्तान में लग रहे आजादी के ये नारे. जनरल मुनीर के पैरों तले की जमीन खिसका रहे हैं. इस्लामाबाद में पीएम शहबाज शरीफ भी आजादी के ये नारे सुनकर बेचैन हैं. दोनों को ये समझ में नहीं आ रहा है कि पहले बलूचिस्तान को संभालें या फिर खैबर पख्तूनख्वा पर नियंत्रण पाएं, क्योंकि उनके हाथ से दोनों ही प्रांत तेजी से निकल सकते हैं.
क्यों जल उठा वजीरिस्तान?
वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना के जुल्मो सितम इस हद तक बढ़ गए हैं कि वहां के पश्तून बागी हो चुके हैं? सड़क पर उतरकर ‘आर्मी गो बैक’ के नारे क्यों लगाए जा रहे हैं. हम आपको बारी-बारी से सबकुछ बताने वाले हैं.सबसे पहले तो आप खैबर के बारे में ये जान लीजिए कि पाकिस्तान का ये हिस्सा अफगानिस्तान से लगा हुआ है. ठीक बलूचिस्तान की तरह. बलूचिस्तान में बलूच आर्मी आजादी का बिगुल फूंक चुकी है. तो वहीं खैबर में तहरीके तालिबान पाकिस्तान मुनीर फौज के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन चुका है.
TTP के नाम पर पाक फौज की क्रूरता
पाकिस्तान की सरकार का आरोप है कि जब से अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आया है, तभी से TTP ने खैबर में गहरी पैठ बना ली है. ये संगठन खैबर और दूसरे इलाकों में आतंकी हमले कर रहा है. TTP को खत्म करने के लिए पाकिस्तान फौज लंबे वक्त से ऑपरेशन चला रही है, जबकि सच्चाई ये है कि पाक फौज क्रूरता की सभी हदें पार कर रही है. बीते मई महीने में ही पाक फौज ने यहां ड्रोन अटैक किए थे. ये पहली बार था, जब पाकिस्तान की सेना ने अपने ही देश के एक हिस्से में ड्रोन स्ट्राइक की थी.
दावा किया था कि उसका टारगेट TTP के आतंकी थे, लेकिन आम लोगों का कहना था कि फौज ने TTP के खिलाफ ऑपरेशन के नाम पर आम पश्तूनों को मारा. उल्टे, जब पाकिस्तान सरकार के खिलाफ पश्तूनों ने आवाज़ उठाई, तो कई लोगों को गैर कानूनी ढंग से गिरफ्तार किया गया. खैबर में ये अवैध गिरफ्तारी हजारों की संख्या में हो चुकी हैं. इस इलाके में मानवाधिकारों का हनन और TTP के मददगार बताकर आम लोगों की हत्याएं आज भी की जा रही हैं.
खैबर के CM का क्या है कहना?
खैबर के CM अली अमीन गंडापुर का कहना है कि TTP को लड़ाई से नहीं हराया जा सकता है, तो मुनीर इस बात पर अड़े हैं कि वो TTP को फौज की ताकत से कुचल देंगे. गंडापुर का मानना है कि खैबर में शांति तभी आएगी जब मिलिट्री ऑपरेशन बंद होंगे, जबकि मुनीर का कहना है कि हम पीछे नहीं हटेंगे.TTP पर हमले जारी रहेंगे. अब इस टकराव का खामियाजा आम पश्तून भुगत
रहे हैं. वो पाक फौज की क्रूरता में अपनों को खो रहे हैं. TTP के खिलाफ ऑपरेशन के नाम पर पश्तूनों के संवैधानिक अधिकार फौजी बूटों से कुचले जा रहे हैं. जवाब में पाकिस्तान फौज के जवानों पर हमले हो रहे हैं.
तीन साल में मारे गए डेढ़ हजार पाक फौजी
खैबर में बीते तीन साल में हुए हमलों और उसमें मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों के आंकड़े डरावने हैं खैबर में वर्ष 2023 में 651 हमले हुए, जिसमें 500 सैनिकों की मौत हो गई. वर्ष 2024 में 732 हमले हुए जिसमें 700 सैनिक मारे गए इसी तरह इस साल अब तक 300 हमले हुए, जिसमें 220 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए. यानी कुल डेढ़ हजार सैनिकों की मौत हो चुकी है. बलूचिस्तान की बात करें तो अभी दो दिन पहले ही BLA ने वहां बड़ा अटैक किया. बलोच लिबरेशन आर्मी ने दावा किया कि उसने दो अलग अलग हमलों में पाकिस्तानी सेना के 30 से ज्यादा जवानों को मार गिराया है.