रिजिजू ने जोर देकर कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लाने की पहल सरकार की नहीं, बल्कि विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों की है, जिनमें कांग्रेस सांसद भी शामिल हैं। उन्हों कहा कि खुशी है कि कांग्रेस ने गंभीरता को समझा।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पर तीखा हमला बोला। रिजिजू ने सिब्बल को “औसत वकील” करार देते हुए कहा कि संसद को किसी एक सांसद के निजी एजेंडे से नहीं चलाया जा सकता। यह बयान सिब्बल के उस बयान के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार को जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया तब तक नहीं शुरू करनी चाहिए, जब तक जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ “सांप्रदायिक” टिप्पणियों के लिए महाभियोग की जांच शुरू नहीं की जाती।
रिजिजू ने कहा कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एकमत हैं। न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से नोटों की जली हुई गड्डियां बरामद हुई थीं। रिजिजू ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “मुझे जानकारी मिली कि कपिल सिब्बल किसी को बचाने और किसी के खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने महसूस किया कि सिब्बल एक वरिष्ठ व्यक्ति हैं, लेकिन वे केवल अपने निजी एजेंडे से प्रेरित हैं।” उन्होंने सिब्बल पर संसद में कम समय बिताने और सांसदों को उपदेश देने का आरोप लगाया। रिजिजू ने कहा, “वह नहीं समझते कि कई सांसद उनसे समझ, बौद्धिकता और ज्ञान में कहीं आगे हैं। वह एक औसत वकील हैं और संसद को दिशा नहीं दे सकते।”
रिजिजू ने जोर देकर कहा कि संसद केवल सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज को हटाने का एकमात्र मंच है, और यह नियम है। उन्होंने कहा, “संसद भारत के लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का सर्वोच्च मंच है। इसे किसी एक व्यक्ति के एजेंडे से नहीं चलाया जा सकता।” यह विवाद जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया से जुड़ा है, जिनके दिल्ली स्थित आवास पर मार्च में आग लगने की घटना के बाद आउटहाउस में आधा जला हुआ कैश का ढेर मिला था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व में एक आंतरिक जांच समिति ने जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के स्टोर रूम पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण की पुष्टि की, जिसके आधार पर उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की गई।
दूसरी ओर, सिब्बल ने जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ 55 विपक्षी सांसदों द्वारा दिसंबर 2024 में दायर महाभियोग याचिका का हवाला देते हुए सरकार पर जस्टिस यादव को “बचाने” का आरोप लगाया। रिजिजू ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि संसद सभी सांसदों द्वारा सामूहिक रूप से निर्देशित होगी, न कि किसी एक व्यक्ति के एजेंडे से।
रिजिजू ने यह भी बताया कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दलों, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा, “न्यायपालिका में भ्रष्टाचार एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर मुद्दा है। इस पर कोई पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं हो सकता।” संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने वाला है, जिसमें इस प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान होने की संभावना है।