होम नॉलेज भारत में कैसे चुने जाते हैं ग्रैंड मुफ्ती, जिन्होंने यमन में रुकवाई नर्स निमिषा प्रिया की सजा-ए-मौत? जानें इनका काम

भारत में कैसे चुने जाते हैं ग्रैंड मुफ्ती, जिन्होंने यमन में रुकवाई नर्स निमिषा प्रिया की सजा-ए-मौत? जानें इनका काम

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94 साल के कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने यमन में नर्स निमिषा प्रिया की फांसी टलवा दी है.

यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा टल गई है. भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर निमिषा के लिए फरिश्ता साबित हुए, उनकी पहल के कारण निमिषा की सजा को फिलटाल दिया गया है. इसके बाद से 94 साल के कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के नाम की चर्चा हो रही है. वो मौलाना जिनके नाम में ग्रैंड मुफ्ती लगा हुआ है. जानिए क्या है ग्रैंड मुफ्ती की उपाधि का मतलब, किसी के नाम में यह कब और क्यों लगाया जाता है और भारत में कैसे चुना जाता है ग्रैंड मुफ्ती.

इस्लामिक देशों में ग्रैंड मुफ़्ती अत्यंत प्रतिष्ठित और प्रभावशाली धार्मिक पद होता है. इस उपाधि को पाने वाले शख्स का मकसद शरिया के अनुसार लोगों का मार्गदर्शन करना और इस्लामिक न्याय व्यवस्था को आगे बढ़ाना.

ग्रैंड मुफ़्ती का काम क्या है?

ग्रैंड मुफ़्ती की उपाधि पाने वाले शख्स के पास खासतौर धर्म से जुड़ी कई जिम्मेदारियां होती हैं. इसमें धार्मिक सवालों के जवाब देना, फतवा जारी करना, शरिया कानून की व्याख्या करना और धार्मिक मामलों पर सरकार को सलाह देना. इसके अलावा इस्लामिक त्योहारों जैसे रमज़ान और ईद की तारीख तय करना. मस्जिदों और धार्मिक संस्थानों की निगरानी भी इनके पास होती है.

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निमिषा का अब आगे क्या होगा?

किसे मिलता है यह पद?

ग्रैंड मुफ़्ती वो शख्स होता है जो शरिया कानून का विशेष होता है. धार्मिक मामलों पर फतवा जारी करने का काम करता है. इस्लामिक नीतियों और न्याय पर आखिरी निर्णय दे सकता है. इसके लिए इस्लाम की गहरी जानकारी होना अनिवार्य होता है. यह वजह है कि ग्रैंड मुफ्ती एक उच्चतम उपाधि है. कोई भी योग्य इस्लामी स्कॉलर मुफ्ती हो सकता है, लेकिन “ग्रैंड मुफ़्ती” राष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्तर पर बड़ा पद होता है. जैसे- शेख अबूबकर भारत के 10वें ग्रैंड मुफ्ती हैं.

भारत में कैसे होता है ग्रैंड मुफ्ती का चुनाव?

ग्रैंड मुफ़्ती की नियुक्ति भारत सरकार की तरफ से नहीं होती. यह कोई संवैधानिक या सरकारी पद नहीं है. ग्रैंड मुफ्ती का चुनाव मुस्लिम समाज, उलेमा (धार्मिक विद्वान) और मुस्लिम संगठन करते हैं. इनके चयन की कोई निर्धारित राष्ट्रीय प्रक्रिया नहीं है, लेकिन आमतौर पर बरेलवी या सुन्नी मुसलमानों के संगठन जैसे दारुल उलूम, अल जामियतुल अशरफिया, दारुल उलूम मनीरिया आदि मिलकर अपने वरिष्ठ उलेमा में से किसी को ग्रैंड मुफ़्ती घोषित करते हैं.

ज्ञान और वरिष्ठता के आधार पर चयन होता है. जिसने इस्लामी फिक़्ह (कानून), तफ़्सीर, हदीस और अरबी में गहरी पकड़ बनाई हो. बुज़ुर्ग, सम्मानित और निष्कलंक छवि वाले व्यक्ति को यह उपाधि दी जाती है. यह उपाधि तभी संभव मानी जाती है जब समुदाय या मुस्लिम संगठनों का बड़ा वर्ग उसे मान्यता दे.

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भारत के 10वें ग्रैंड मुफ्ती

शेख अबूबकर देश के 10वें ग्रैंड मुफ्ती हैं. दक्षिण भारत के पहले शफी स्कॉलर हैं. वे ऑल इंडिया मुस्लिम स्कॉलर्स एसोसिएशन के महासचिव और भारत के एक प्रमुख शैक्षणिक और मानवीय संस्थान, जामिया मरकज़ सकाफतु सुन्निया के संस्थापक और कुलपति हैं. जॉर्डन से प्रकाशित 500 प्रभावशाली मुस्लिम पत्रिका ने शेख को दुनिया भर के 500 प्रभावशाली मुसलमानों में से एक माना है. वो ऑल इंडिया इस्लामिक स्कॉलर्स एसोसिएशन के महासचिव भी हैं; यह बोर्ड भारत के सभी राज्यों में कार्यरत है और इसका पाठ्यक्रम छह से अधिक भाषाओं में उपलब्ध है. भारत और अरब जगत में, शेख अबूबकर को अनाथों और बेसहारा लोगों की सेवा करने के लिए अक्सर उनके विशेषण अबुल अयतम (अनाथों का पिता) से पुकारा जाता है.

ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, शेख अबूबकर ने अरबी, उर्दू और मलयालम विषयों पर 60 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं. उन्होंने 5000 से अधिक सांस्कृतिक केंद्रों का निर्माण किया है. पिछले चार दशकों से, शेख अबूबकर भारत में अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन का संचालन कर रहे हैं, जो राष्ट्रों के बीच शांति के लिए एक उच्च-स्तरीय सम्मेलन है. इसमें विदेशी प्रतिनिधि और मरकज़ सम्मेलन से जुड़े भारतीय राजनयिक शामिल होते हैं.

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