अमेरिका ने TRF को आतंकी संगठन घोषित कर पाकिस्तान को झटका दिया। भारत को कूटनीतिक और रणनीतिक जीत मिली। यह कदम जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर अंकुश लगाएगा और पाक पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाएगा।
अमेरिका ने शुक्रवार को पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) की सूची में शामिल कर लिया। यह फैसला अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने घोषित किया। इस कदम को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है, जबकि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर करारा झटका लगा है। यह खबर खासकर पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। आइए, इस ताजा घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
पहलगाम आतंकी हमला और TRF की भूमिका
22 अप्रैल 2025 को भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसारन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की, जिसमें 26 लोग मारे गए और कई घायल हुए। यह हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर सबसे घातक आतंकी हमला माना गया। इस हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली थी, हालांकि बाद में संगठन ने अपनी बात से पलटी मारते हुए दावा किया कि उनकी वेबसाइट हैक हो गई थी।
TRF एक ऐसा आतंकी संगठन है, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुखौटा माना जाता है। लश्कर-ए-तैयबा एक पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन है, जिसे संयुक्त राष्ट्र (UN) पहले ही आतंकी संगठन घोषित कर चुका है। TRF की स्थापना 2019 में हुई थी, जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया। यह संगठन कश्मीर में आतंकी गतिविधियों, हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी, और युवाओं को भर्ती करने में सक्रिय है। इसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन प्राप्त है।
TRF का मास्टरमाइंड सज्जाद गुल माना जाता है, जो पाकिस्तान से इस आतंकी संगठन को ऑपरेट करता है। इस संगठन के फाल्कन स्क्वाड जैसे विशेष दस्ते खतरनाक हमलों को अंजाम देने के लिए जाने जाते हैं। भारत ने 5 जनवरी 2023 को TRF को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित किया था।
अमेरिका का फैसला: TRF पर क्यों और कैसे हुआ एक्शन?
अमेरिका ने TRF को आतंकी संगठन घोषित करने का फैसला पहलगाम हमले के बाद भारत की कूटनीतिक कोशिशों के परिणामस्वरूप लिया। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर TRF और पाकिस्तान के बीच संबंधों को उजागर करने के लिए ठोस सबूत पेश किए। कांग्रेस नेता शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी कांग्रेस और अधिकारियों से मुलाकात कर TRF की भूमिका को रेखांकित किया था।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, “TRF लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी संगठन है, जो कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए बनाया गया है। यह कदम आतंकवाद के खिलाफ हमारी जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है।” अमेरिका ने यह भी माना कि TRF ने 2024 में भारतीय सुरक्षा बलों पर कई हमले किए और यह संगठन हाइब्रिड आतंकवादियों (ऐसे लोग जो आम नागरिकों जैसे दिखते हैं, लेकिन आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं) को भर्ती करता है।
इस फैसले के बाद TRF पर कई प्रतिबंध लागू होंगे:
वित्तीय प्रतिबंध: TRF की फंडिंग पर रोक लगेगी। इसके बैंक खाते, संपत्तियां, और लेन-देन पर नजर रखी जाएगी।
यात्रा प्रतिबंध: TRF के सदस्यों को अमेरिका में प्रवेश पर रोक होगी।
अंतरराष्ट्रीय दबाव: वैश्विक स्तर पर TRF को आतंकवाद-प्रायोजक संगठन के रूप में देखा जाएगा, जिससे इसके संचालन में बाधा आएगी।
पाकिस्तान को झटका, भारत को फायदा
पाकिस्तान ने TRF को बचाने की पूरी कोशिश की थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पहलगाम हमले की निंदा के लिए एक बयान तैयार किया गया था, लेकिन पाकिस्तान ने TRF का नाम हटवाने के लिए दबाव डाला। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने अपनी संसद में यह कबूल किया कि उन्होंने UNSC के प्रस्ताव से TRF का नाम हटवाया। इससे पाकिस्तान की आतंकवाद को पनाह देने वाली नीति उजागर हुई।
अमेरिका की जी हुजूरी करते रह गए आसिम मुनीर
पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश में लगे रहे, लेकिन उनकी यह कोशिश अंतरराष्ट्रीय मंच पर उलटी पड़ गई। मुनीर पिछले दिनों अमेरिका गए हुए थे जहां उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ डिनर किया था। ऐसा माना जाता है कि मुनीर इस दौरान अमेरिका से पाकिस्तान के लिए पूरा समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन अमेरिकी प्रशासन ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन करने का फैसला किया।
अमेरिका में उनकी यात्रा के दौरान पाकिस्तानी प्रवासियों ने उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए, उन्हें “कातिल” और “भगौड़ा” कहकर बेइज्जत किया। इसके बावजूद, मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर शांति पुरस्कार की सिफारिश की, लेकिन TRF को आतंकी संगठन घोषित करने के अमेरिकी फैसले ने उनकी कूटनीतिक नाकामी को उजागर कर दिया, जिससे पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक छवि को और बल मिला।
पाकिस्तान के लिए यह फैसला कई मायनों में झटका है:
अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती: TRF को आतंकी संगठन घोषित होने से पाकिस्तान की छवि एक बार फिर आतंकवाद समर्थक देश के रूप में मजबूत हुई है।
ISI की रणनीति पर चोट: TRF को ISI और लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन मिलता है। अमेरिका के इस कदम से ISI की प्रॉक्सी आतंकवाद की रणनीति को झटका लगा है।
आर्थिक दबाव: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसे वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान पर आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने का दबाव बढ़ेगा।
भारत को कैसे फायदा?
कूटनीतिक जीत: अमेरिका का यह कदम भारत की कूटनीतिक कोशिशों का परिणाम है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई को पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए। अमेरिका के इस फैसले ने भारत की जवाबी कार्रवाई को वैश्विक समर्थन दिलाया।
आतंकवाद पर दबाव: TRF पर प्रतिबंध से इसकी फंडिंग, हथियारों की आपूर्ति, और भर्ती प्रक्रिया पर अंकुश लगेगा, जिससे जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां कम होंगी।
वैश्विक समर्थन: अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र, और अन्य देशों ने पहलगाम हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता दिखाई। यह भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को मजबूती देता है।
FATF में मजबूत स्थिति: भारत अब FATF जैसे मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ और सख्ती से अपनी बात रख सकेगा, जिससे पाकिस्तान पर आर्थिक और कूटनीतिक दबाव बढ़ेगा।
पाकिस्तान की बौखलाहट और भारत की जवाबी कार्रवाई
पहलगाम हमले के बाद भारत ने न सिर्फ कूटनीतिक स्तर पर बल्कि सैन्य स्तर पर भी जवाब दिया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पूरे पाकिस्तान में कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया। पाकिस्तान ने भारत पर सीजफायर तोड़ने और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने का आरोप लगाया, लेकिन भारत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने UNSC में TRF का नाम हटवाने की कोशिश की, लेकिन अमेरिका के इस ताजा कदम ने उनकी कोशिशों पर पानी फेर दिया।
TRF का भविष्य और भारत की रणनीति
TRF को आतंकी संगठन घोषित होने से इसकी गतिविधियां सीमित होंगी। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान और ISI नए नामों के साथ प्रॉक्सी संगठन बना सकते हैं, जैसा कि उन्होंने पहले जमात-उद-दावा और अन्य संगठनों के साथ किया।
भारत की आगे की रणनीति
आतंकी ठिकानों पर सटीक कार्रवाई: भारत सैन्य और खुफिया स्तर पर आतंकी नेटवर्क को तोड़ने के लिए सक्रिय रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय दबाव: भारत UN, FATF, और अन्य मंचों पर पाकिस्तान को घेरने की कोशिश जारी रखेगा।
कश्मीर में सुरक्षा: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की तैनाती और खुफिया तंत्र को और मजबूत किया जाएगा।
कुल मिलाकर अमेरिका द्वारा TRF को आतंकी संगठन घोषित करना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और रणनीतिक जीत है। यह कदम न केवल TRF की गतिविधियों पर अंकुश लगाएगा, बल्कि पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर और अलग-थलग करेगा। भारत की सख्त नीति, सैन्य कार्रवाई, और कूटनीतिक प्रयासों ने यह साबित किया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर अडिग है। दूसरी ओर, पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीति एक बार फिर बेनकाब हुई है, जिससे उसकी मुश्किलें और बढ़ेंगी।