भारतीय दंपति का कहना था कि उनके रिश्तेदार का बच्चा अमेरिका में जन्म के कुछ ही महीनों बाद भारत रहने आ गया था। अब वो उसे गोद लेना चाहते हैं। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम और दिलचस्प मामले में दंपति को उनके रिश्तेदार के बच्चे को गोद का अधिकार देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि किसी भारतीय नागरिक को अमेरिकी नागरिकता वाले बच्चे को गोद लेने का मौलिक अधिकार नहीं है, भले ही वह बच्चा उनके रिश्तेदार का ही क्यों न हो। यह फैसला न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने लिया।
अदालत ने स्पष्ट किया कि यह बच्चा न तो “देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे” की श्रेणी में आता है और न ही “कानून का उल्लंघन करने वाला बच्चा” है। इसलिए वह किशोर न्याय अधिनियम या दत्तक ग्रहण विनियमों के तहत गोद लेने योग्य नहीं है।
बच्चे को गोद लेने की अनुमति नहीं दे सकते
पीठ ने कहा, “ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो विदेशी नागरिकता वाले बच्चे को भारतीय दंपति द्वारा गोद लेने की अनुमति देता हो, जब तक कि वह बच्चा भारतीय कानून में परिभाषित ‘विशेष श्रेणी’ में न आता हो।” कोर्ट ने दंपति को सलाह दी कि अगर वे वास्तव में बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, तो उन्हें अमेरिकी कानून और प्रक्रिया के अनुसार अमेरिका में गोद लेने की औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। उसके बाद ही वे भारत में गोद लेने के बाद की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि बच्चे का जन्म 2019 में अमेरिका में हुआ था, कुछ ही महीनों की उम्र में भारत लाया गया था और तब से दंपति के साथ रह रहा है। इसके बावजूद अदालत ने कहा कि “सिर्फ बच्चे के साथ रहने से गोद लेने का अधिकार नहीं बनता।” कोर्ट ने कहा कि गोद लेने की यह अनुमति कानूनन नहीं दी जा सकती और दंपति की याचिका खारिज कर दी गई।