चीन में 9 जुलाई 2015 को शुरू हुए ‘709 क्रैकडाउन’ को दस साल पूरे हो चुके हैं. यह मानवाधिकार वकीलों और कार्यकर्ताओं पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का अब तक का सबसे बड़ा हमला था. इस घटना के बाद से वकीलों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि देश में कानून का राज लगातार कमजोर हुआ है. मानवाधिकारों की रक्षा करना अब लगभग नामुमकिन-सा हो गया है.
709 क्रैकडाउन में करीब 300 मानवाधिकार वकीलों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया था. इनमें से कई को ‘राज्य की सत्ता को उखाड़ फेंकने’ जैसे आरोपों में जेल भी हुई थी. दर्जनों लोग आज भी वहां निगरानी, उत्पीड़न और अपने प्रोफेशनल लाइसेंस कैंसिल कर दिए जाने का सामना कर रहे हैं. रेन क्वान्निउ जो एक पूर्व मानवाधिकार वकील हैं वे बताते हैं कि ‘महामारी के बाद से स्थिति और खराब हुई है. अब कानून का स्तर सांस्कृतिक क्रांति के दौर जैसा हो गया है.’
क्या है चीन की सांस्कृतिक क्रांति?
बता दें कि चीन की सांस्कृतिक क्रांति (1966-1976) माओ जेडॉन्ग के नेतृत्व में एक अराजक दौर में हुई थी. जब न्यायिक व्यवस्था को ‘बुर्जुआ’ कहकर खत्म कर दिया गया था. माओ ने पूंजीवादी तत्वों और पुरानी परंपराओं को खत्म करने के लिए इस क्रांति की शुरुआत की थी. इसने व्यापक अराजकता, हिंसा एवं सांस्कृतिक विनाश को जन्म दिया था. बता दें कि माओ की नीतियों ने चीन को एकजुट किया लेकिन साथ ही भारी मानवीय व आर्थिक की भी कीमत चुकाई. माओ के इस विचार को माओवाद कहा जाता है जो आज भी दुनिया के कई हिस्सों में प्रभावी हैं, जैसे- भारत में नक्सलवाद. इनकी विचारधारा यह मानती है कि सत्ता बंदूक की नली से ही निकलती है.
पहले थी कुछ आजादी
2000 के दशक में इंटरनेट के प्रसार और वैश्विक मंच पर चीन की बढ़ती छवि ने समाज को थोड़ी राहत दी थी. मानवधिकार वकील उस समय दूषित बेबी मिल्क पाउडर कांड से लेकर प्रवासी मजदूरों के शोषण तक के मामलों में जीत हासिल कर रहे थे. लेकिन 2012 में शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद यह आजादी छिन गई है. जियांग तियानयोंग, एक पूर्व वकील जो दो साल जेल में रहे बताते हैं कि ‘हमारा काम आम लोगों की आवाज बनना था, लेकिन हमें मौका तक नहीं दिया गया. वर्तमान चीनी सरकार लोगों को अधिकार देने के बजाय, जो अधिकार उनके पास थे उन्हें भी छीनने का काम कर रही है.’
अभी कैसी हैं परिस्थितियां?
ह्यूमन राइट्स वॉच की माया वांग की माने तो शी जिनपिंग के नेतृत्व में सरकार ने स्वतंत्र वकीलों का प्रभाव को खत्म करने की पूरी कोशिश की है. बता दें कि अब दमन पहले से ज्यादा व्यवस्थित और कम दिखाई देने वाला हो गया है. कई वकीलों के लाइसेंस छीन लिए गए हैं, और कानूनी सुधारों ने सीसीपी को और अधिक निरंकुश बना दिया है. चीनी ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स के आंकड़ों के मानें तो 2017-2019 के बीच 29 लॉ फर्म्स या वकीलों के लाइसेंस रद्द किए गए है. वहीं, सरकार ने लीगल एड का दायरा बढ़ाया है, लेकिन इसका मकसद सीसीपी की सत्ता को मजबूत करना बताया जाता है.
कैसी है चीन में वकीलों की जिंदगी?
709 क्रैकडाउन के बाद से कई वकील निगरानी और उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं. चीन के एक वकील जियांग तियानयोंग अपनी पत्नी और बेटी से दस साल से नहीं मिले है. बता दें कि उनके परिवार ने चीन की बिगड़ती हालत को देखकर देश छोड़ है. रेन क्वान्निउ का लाइसेंस 2021 में रद्द हुआ था. बिना लाइसेंस के कई वकील अब गुप्त रूप से लोगों की मदद करने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी पहुंच सीमित है ओर पकड़े जाने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है. जी यानयी जो 709 क्रैकडाउन में हिरासत में लिए गए थे बताते हैं कि ‘कोई भी चीन में पूरी तरह सुरक्षित नहीं है.’ चीन के न्याय मंत्रालय और सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है.